Exclusive : मदरसों में संस्कृत की शिक्षा, उत्तर प्रदेश अनुदानित मदरसों में संस्कृत अनिवार्य
- उत्तर प्रदेश के अनुदानित मदरसों में पढ़ाई जाती है अनिवार्य संस्कृत
गोरखपुर, 11 अप्रैल। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संसदीय क्षेत्र गोरखपुर शहर के एक मदरसे दारुल उलूम हुसैनिया, दीवान बाजार संस्कृत पढ़ाने के कारण चर्चा में है। लेकिन गोरखपुर के अतिरिक्त जितने भी अनुदानित मदरसे हैं, वहां पर अनिवार्य संस्कृत पढ़ाने का प्रावधान है। इस बात की जानकारी हमें स्थानीय पत्रकार सैय्यद फरहान अहमद, जो सालों से मदरसों को कवर कर रहे है, ने दी। फरहान बताते हैं कि “मदरसों में पढ़ने वाले कक्षा 6, 7, 8 के छात्र संस्कृत अनिवार्य पाठ के रूप में पढ़ते है। परीक्षाओं में बाकायदा प्रश्न भी पूछे जाते है। मदरसे के छात्रों को परीक्षा में संस्कृत से हिंदी में अनुवाद भी करना होता है। कक्षा 6-7 की हिंदी किताब ‘मंजरी’ में अनिवार्य-संस्कृत के तहत कई पाठ होते हैं, जिन्हें मदरसा शिक्षक छात्रों को पढ़ाते है। हां, यह और बात है कि मदरसों में संस्कृत विषय के रूप में नहीं पढ़ाई जाती, लेकिन क्या यह कम है कि मदरसे के छात्र पाठ के रूप में संस्कृत से रूबरू होते है।”
रिलीजन वर्ल्ड से बात करते हुए मदरसा दारुल उलूम हुसैनिया, दीवान बाजार के शिक्षक आजम बताते है कि, “मदरसे में हिंदी विषय के तौर पर कक्षा 1-5 तक ‘कलऱव’ व कक्षा 6-8 तक ‘मंजरी’ किताब पढ़ाई जाती है। कक्षा 1-5 की हिंदी किताब ‘कलऱव’ में संस्कृत पाठ नहीं है लेकिन कक्षा 6-8 की हिंदी किताब ‘मंजरी’ में अनिवार्य- संस्कृत के कई पाठ है। संस्कृत वंदना भी है”। इस मदरसे में राना इकबाल, शीरी तबस्सुम, शबाना बेगम, अनीसुल हसन, अब्दुल हमीद आदि शिक्षक छात्रों को हिंदी के साथ संस्कृत पढ़ाते हैं।
हिन्दी की किताब मंजरी जो कक्षा 6 / 7/ 8 में पढ़ायी जाती है उसमें कुछ पाठ अनिवार्य संस्कृत के रुप में होता है।
छात्रों में शब्दार्थ, व्याकरण, पाठ का अनुवाद, उच्चारण, प्रश्न-उत्तर, रिक्त स्थान की पूर्ति आदि के जरिए संस्कृत का ज्ञान दिया जाता है। शिक्षक नावेद आलम बताते है कि, “अमूमन लोग यह ख्याल करते है कि मदरसे में अरबी, फारसी, उर्दू ही पढ़ाई जाती है। हालांकि ऐसा नहीं है। मदरसे में हिंदी के साथ संस्कृत, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान व सामाजिक विज्ञान की भी शिक्षा दी जाती है”।
गोरखपुर के इन दस अनुदानित मदरसों में पढ़ाया जाता है अनिवार्य संस्कृत का पाठ।
बेसिक शिक्षा द्वारा नि:शुल्क किताबें आती है इन मदरसों में।
जिले के दस अनुदानित मदरसों में नि:शुल्क भेजी जाने वाली पुस्तकों में संस्कृत की किताब भी रहती है। जिसे छात्रों में वितरित किया जाता है। मदरसे में संस्कृत विषय के रुप में नहीं पाठ के रूप में पढ़ाई जाती है, जो उन्हें आगे की कक्षाओं में लाभ देती है, खास तौर से 9वीं से 12वीं कक्षा तक।
गोरखपुर के दस अनुदानित मदरसे
- मदरसा अंजुमन इस्लामियां, खूनीपुर, गोरखपुर
- मदरसा जियाउल उलूम, पुराना गोरखपुर, गोरखनाथ, गोरखपुर
- मदरसा अरबिया शमसुल उलूम, सिकरीगंज, गोरखपुर
- मदरसा अनवारुल उलूम, गोला बाजार, गोरखपुर
- मदरसा दारुल उलूम हुसैनिया, दीवान बाजार, गोरखपुर
- मदरसा जामिया रजविया मेराजुल उलूम, चिलमापुर, गोरखपुर
- अंजुमन इस्लामियां, उनवल, गोरखपुर
- मदरसा जामिया रजविया, गोला बाजार, गोरखपुर
- मदरसा मिस्बाहुल उलूम, असौजी बाजार, गोरखपुर
- मदरसा मकतब बहरुल उलूम, बड़गो, गोरखपुर
मदरसा जियाउल उलूम पीपीगंज के शिक्षक सैयद मेहताब आलम बताते है कि मदरसों में हिन्दी के साथ संस्कृत पढ़ाने का रिवाज पुराना है। अनिवार्य संस्कृत के पाठों से छात्रों को संस्कृत के बारे में ज्ञान मिलता है।
कक्षा – 6 की हिन्दी किताब ‘मंजरी’ के कुछ पाठ
‘क्रीडा-महोत्सव:’, ‘पत्र-नौका’, ‘मूर्ख सेवक:’, ‘वर्षर्तु:’ (वर्षा+ऋतु:) आदि