शारदीय नवरात्रि 17 अक्टूबर से शुरु हो रही है. नवरात्रि के प्रथम दिन मिट्टी के बर्तन में जौ बोए जाते हैं. जवारों का बहुत अधिक धार्मिक महत्व होता है. धार्मिक महत्व होने के साथ ही इससे सेहत पर भी काफी अच्छा प्रभाव पड़ता हैं.
जवारों का स्वास्थ्य सम्बन्धी महत्व
आइए जानते हैं नवरात्रि में जवारे या जौ बोने के फायदों के बारे में-
पथरी से मिलता है छुटकारा
जौ का सेवन करने से पथरी के मरीजों को काफी फायदा पहुंचता है. पथरी के मरीज पानी में जौ को उबालें और फिर इस पानी को ठंडा होने के बाद रोजाना एक गिलास पी लें. इस पानी का नियमित रूप से सेवन करने से पेट की पथरी की समस्या दूर हो सकती है.
किडनी के मरीजों के लिए लाभकारी
जौ का सेवन किडनी के मरीजों के लिए काफी फायदेमंद साबित होता है. किडनी को स्वस्थ और फिट रखने के लिए आप जौ का सेवन कर सकते हैं.
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विटामिन्स से भरपूर
जौ स्वास्थ्य के लिए भी काफी फायदेमंद होता है. जौ में विटामिंस काफी मात्रा में पाए जाते हैं. जौ में बी-कॉम्प्लेक्स, आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, मैगनीज, सेलेनियम, जिंक, कॉपर, प्रोटीन, अमीनो एसिड, डायट्री फाइबर्स और कई तरह के एंटी-ऑक्सीडेंट पाए जाते हैं.
जवारों का धार्मिक महत्व
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, नवरात्रि में जौ उगाने से भविष्य से संबंधित कुछ बातों के संकेत मिलते है. मान्यता अनुसार जौ बोने के पीछे प्रमुख कारण यही है कि जौ अन्न ब्रह्म है और हमें अन्न का सम्मान करना चाहिए.
देता है भविष्य का संकेत
बोया गया जौ दो तीन दिन में ही अंकुरित हो जाता है, लेकिन अगर यह न उगे तो भविष्य में आपके लिए अच्छे संकेत नहीं है यानि कि आपको कड़ी मेहनत के बाद ही उसका फल मिलेगा. जब जौ का रंग नीचे से आधा पीला और ऊपर से आधा हरा हो इसका मतलब आने वाला साल का आधा समय ठीक रहेगा. अगर आपका बोया हुआ जौ सफेद या हरे रंग में उग रहा है तो यह बहुत ही शुभ माना जाता है.
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