श्राद्ध के प्रकार
श्राद्ध में जो दान हम अपने पूर्वजों को देते है वो श्राद्ध कहलाता है. जो जिस दिन इस संसार से मुक्ति पाता है उसी दिन उसका श्राद्ध किया जाता है. इस दिन ब्राह्मणों को दान-पुण्य किया जाता है. जिससे प्रसन्न होकर पूर्वज आपको मनचाहा वरदान देते है.
इस बारे हरवंश पुराण में बताया गया है कि भीष्म पितामह ने युधिष्टर को बताया था कि श्राद्ध करने वाला व्यक्ति दोनों लोकों में सुख प्राप्त करता है.श्राद्ध से प्रसन्न होकर पितर धर्म को चाहनें वालों को धर्म, संतान को चाहनें वाले को संतान, कल्याण चाहने वाले को कल्याण जैसे इच्छानुसार वरदान देते है.
12 प्रकार के श्राद्धों का उल्लेख
निर्णय सिन्धु में – 12 प्रकार के श्राद्धों का उल्लेख मिलता है। आइये आज आपको इन 12 प्रकार के श्राद्धों की जानकारी देते हैं…
1- नित्य श्राद्धः कोई भी व्यक्ति अन्न, जल, दूध, कुशा, पुष्प व फल से प्रतिदिन श्राद्ध करके अपने पितरों को प्रसन्न कर सकता है.
2- नैमित्तक श्राद्ध: यह श्राद्ध विशेष अवसर पर किया जाता है.जैसे- पिता आदि की मृत्यु तिथि के दिन. इसे एकोदिष्ट कहा जाता है. इसमें विश्वदेवा की पूजा नहीं की जाती है, केवल मात्र एक पिण्डदान दिया जाता है.
3- काम्य श्राद्धः किसी कामना विशेष के लिए यह श्राद्ध किया जाता है.जैसे- पुत्र की प्राप्ति आदि.
4- वृद्धि श्राद्धः यह श्राद्ध सौभाग्य वृद्धि के लिए किया जाता है.
5- सपिंडन श्राद्ध- मृत व्यक्ति के 12 वें दिन पितरों से मिलने के लिए किया जाता है. इसे स्त्रियां भी कर सकती है.
6- पार्वण श्राद्धः पिता, दादा, परदादा, सपत्नीक और दादी, परदादी, व सपत्नीक के निमित्त किया जाता है.इसमें दो विश्वदेवा की पूजा होती है.
7- गोष्ठी श्राद्धः यह परिवार के सभी लोगों के एकत्र होने के समय किया जाता है.
8- कर्मागं श्राद्धः यह श्राद्ध किसी संस्कार के अवसर पर किया जाता है.
9- शुद्धयर्थ श्राद्धः यह श्राद्ध परिवार की शुद्धता के लिए किया जाता है.
10- तीर्थ श्राद्धः यह श्राद्ध तीर्थ में जाने पर किया जाता है.
11- यात्रार्थ श्राद्धः यह श्राद्ध यात्रा की सफलता के लिए किया जाता है.
12- पुष्टयर्थ श्राद्धः शरीर के स्वास्थ्य व सुख समृद्धि के लिए त्रयोदशी तिथि, मघा नक्षत्र, वर्षा ऋतु व आश्विन मास का कृष्ण पक्ष इस श्राद्ध के लिए उत्तम माना जाता है.
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पितृ पक्ष के विशेष दिन
1- प्रतिपदा तिथि को नाना का श्राद्ध किया जाता है.
2- चतुर्थी या पंचमी तिथि में उसका श्राद्ध किया जाता है जिसकी मृत्यु गतवर्ष हुयी है.
3- अपने जीवन काल में मरने वाली स्त्री का श्राद्ध
नवमी तिथि को किया जाता है.
4- युद्ध, दुर्घटना या आत्महत्या आदि में मृत व्यक्तियों का श्राद्ध चतुर्दशी तिथि में किया जाता है.
5-अमावस्या तिथि को सभी पितरों का श्राद्ध किया जा सकता है.
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