प्रेम–सद्भाव और आपसी भाईचारे का साक्षी बनेगा “शुकराना” समारोह
आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी का यह कथन बिल्कुल सटीक है कि “धन्य है वो देश जहां गुरु गोविंद सिंह जी पैदा हुए थे। सर्वंशदानी, संत सिपाही, सफल नेतृत्वकर्ता, महान योद्धा, सामाजिक, आध्यात्मिक, राजनैतिक चिंतक थे। सिक्खों के दसवें गुरु श्री गुरुगोविंद सिंह जी महाराज महान शख्सियत थे। इनका जन्म बिहार की धरती पर माता गुजरी जी और पिता श्री गुरु तेगबहादुर जी के यहां पटना में 22 दिसम्बर 1666 को हुआ था। मानवता की भलाई के लिए सर्वअंश अर्पण कर दिया। कौम की रक्षा के लिए प्राण न्योक्षावर करने के साथ–साथ अपना सबकुछ वतन को समर्पित कर दिया। 42 वर्षों की अल्पायु में इतने महान कार्यों को अंजाम देना असाधारण बात है। यह किसी चमत्कार से कम नहीं। इनका संघर्ष दलित, शोषित, मानवता के लिए था। गुरु गोविंद सिंह जी सिक्ख आदर्शों को जिंदा रखने के लिए किसी भी हद तक गुजरने को तैयार थे। मुगलों से सिक्ख वर्चस्व की लड़ाई में उन्होंने अपने बेटों तक की कुर्बानी दे दी और स्वयं भी शहीद हो गए। दबे–कुचलों को एकत्र कर वर्ष 1699 में “खालसा पंथ” का सृजन किया और ऐसी अदम्य शक्तिशाली सेना तैयार की, जिसमें उस समय की सबसे बड़ी सैन्य शक्ति को हराया था। जनता की सोयी हुई शक्ति को जगाया। खालसा पंथ को बहादुरी एवं भाईचारे के रुप में देखा जाता है। गुरु गोविंद सिंह जी को ज्ञान, सैन्य क्षमता और दूरदृष्टि का सम्मिश्रण माना जाता है। “सवा लाख से एक लड़ाऊं, चिड़ियों सो मैं बाज लड़ाऊं, तबे गोविंद सिंह नाम कहाऊं…” यह पंक्तियां सिक्ख धर्म के दसवें और आखिरी गुरु गोविंद सिंह जी के जीवन को समझने के लिए पर्याप्त है।
— Nitish Kumar (@NitishKumar) December 22, 2017
पंजाब के माननीय मुख्यमंत्री, कैप्टन अमरिन्दर सिंह जी से पटना में मुलाकात करते हुए।https://t.co/dxIexrfuqi pic.twitter.com/7yojD5FuJF
— Nitish Kumar (@NitishKumar) December 22, 2017
श्री गुरु गोविन्द सिंह जी महाराज के 350वें प्रकाश पर्व के शुकराना समारोह के अवसर पर कला, संस्कृति एवं युवा विभाग, बिहार सरकार द्वारा पटना के श्री कृष्ण मेमोरियल हॉल में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम के उदघाट्न सत्र में माननीय मुख्यमंत्री जी एवं उप मुख्यमंत्री जी साथ।#PrakashParv pic.twitter.com/5vGQVMSpUp
— Nand Kishore Yadav (@nkishoreyadav) December 22, 2017
गुरुगोविंद सिंह जी महाराज के 350वें प्रकाशोत्सव के शुकराना समारोह को लेकर पटना जिला प्रशासन और गुरुद्वारा प्रबंधक समिति की ओर से विशेष इतंजाम किया गया है. पटना साहिब गुरुद्वारा में प्रकाशोत्सव के अलग-अलग रंग देखने को मिल रहे हैं.. https://t.co/lgVZ2bBzjc pic.twitter.com/Xv0Ibu3Oes
— News18 Bihar (@News18Bihar) December 22, 2017
गुरुनानक जी,गुरु तेगबहादुर जी, गुरुगोविंद सिंह जीका संबंध बिहार से रहा है। इन से जुड़े जगहों जैसे पटना साहिब का तख्त मंदिर साहिब, पटना सिटी का गुरुबाग, पटना का बाललीला साहब, दानापुर का हांडी साही, गायघाट का गुरु तेगबहादुर साहेब गुरुद्वारा, राजगीर का गुरुनानक कुंड, मुंगेर का गुरु पच्चीस संगत के अलावा आरा, कटिहार, नवादा, गया, सासाराम एवं भागलपुर के अन्य गुरुद्वारों एवं धार्मिक स्थलों को एक साथ जोड़कर “गुरु सर्किट”के विकास का निर्णय बिहार सरकार ने लिया है। इसके अलावा गुरु के बाग के समीप बहुद्देशीय प्रकाश केंद्र की स्थापना की जाएगी जो आने वाली पीढ़ी दश्मेश पिता के त्याग एवं बलिदान से सीख लेगी और मत्था टेकेगी। बिहार सरकार यह प्रयास कर रही है कि देश–विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं को इन सारी जगहों को एक साथ भ्रमण करने का मौका मिले।यह महत्वपूर्ण वर्ष है चाहे गुरु गोविंद सिंह जी महाराज जी का प्रकाशपर्व हो या बापू का चंपारण सत्याग्रह। इस विशिष्ट अवसर पर पूर्ण शराबबंदी, नशामुक्ति, दहेज–प्रथा एवं बाल विवाह अभियान को सफल बनाकर इन विभूतियों के प्रति सच्ची श्रद्धांजली अर्पित की जा सकती है।