जरूरतमंद बच्चियों को सिख धर्म का तोहफा, सामाजिक बदलाव की सराहनीय पहल
गुरुद्वारों के लंगर में हर रोज हजारों जरूरतमंद लोग प्रसादी ग्रहण करते हैं। सामाजिक सरोकारों और सामाजिक विकास में भी सिख समाज के लोग हमेशा अनुकरणीय उदाहरण पेश करते रहे हैं। इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए सिख समाज की ओर एक और सराहनीय शुरुआत की गई है। इसके तहत जरूरतमंद बच्चियों के लिए आकर्षक फ्रॉक बांटने की नेक पहल की गई है।
रुमाला साहिब से तैयार करवाईं फ्रॉक
जरूतमंद बच्चियों को वितरण के लिए तैयार करवाई गई ये फ्रॉक आकर्षक तो हैं ही साथ ही खास बात ये है किये कपड़े एक तरह से गुरुग्रंथ साहिब की प्रसादी भी हैं। ये फ्रॉक गुरुग्रंथ साहिब पर श्रद्धा से भेंट किए जाने वाले रुमाला साहिब से तैयार करवाई गई हैं।
जयपुर में हुई पहल
जयपुर में राजस्थान सिख समाज और गुरुदर्शन यात्रा कमेटी की ओर से यह पवित्र पोशाकें तैयार करवाई गई हैं। राजस्थान सिख समाज के अध्यक्ष अजयपाल सिंह और गुरुदर्शन यात्रा कमेटी के संयोजक जगजीत सिंह सूरी समेत सिख समाज के अन्य लोगों की मौजूदगी में रुमाला साहिब से तैयार पोशाकों को जारी किया गया।
दिल्ली में भी हो चुकी है शुरुआत
जयपुर से पहले दिल्ली में भी इस तरह की सेवा की शुरुआत हो चुकी है। इसके तहत झुग्गी झोंपड़ियों और अन्य जगहों पर रह रही जरूरतमंद बच्चियों को गुरुग्रंथ साहिब पर भेंट रुमाला से तैयार पोशाकों का वितरण किया जा रह है। साथ ही अन्य गुरुद्वारों को भी इस सेवा के लिए प्रेरित किया जा रहा है। समाज के लोगों का कहना है कि जरूरतमंद बच्चियों का तन ढकना सबसे बड़ा और नेक कार्य है। इससे गुरु साहिब भी प्रसन्न होंगे।
सिख धर्म में सेवा की अनूठी मिसाल
सिख धर्म में सेवा की अनोखी मिसालें देखने को मिलती हैं। गुरुद्वारों में सेवाभाव से महिलाएं, पुरुष और बच्चे लंगर की प्रसादी तैयार करने समेत अन्य सेवाओं में तन–मन से लीन दिखाई देते हैं। यहां तक कि गुरुद्वारों में जाने वाले श्रद्धालुओं के जूते–चप्पलों तक को अपने कपड़ों से साफ करते हैं। महिलाएं और युवतियां भी बेहद श्रद्धा भाव से इस सेवा में जुटी रहती हैं। यहां ऊंच–नीच का भेद नहीं होता। करोड़पति घरों की महिलाएं और अन्य सदस्य भी विभिन्न सेवा कार्यों में मन से जुटे रहते हैं।
रिपोर्ट– डॉ. देवेन्द्र शर्मा
ईमेल: sharmadev09@gmail.com