सूर्य ग्रहण: जैन धर्म में ग्रहण की मान्यता, ग्रहण के दौरान क्या करें क्या न करें ?
इसी महीने की 21 तारीख को सूर्य ग्रहण होने जा रहा है। यह ऐसा सूर्य ग्रहण है जो भारत में भी देखा जायेगा. जब से हमने सूर्य ग्रहण और चन्द्र ग्रहण के बारे में सुना है तब से हम सभी के मन सूर्यग्रहण या चन्द्र ग्रहण के बारे में जिज्ञासा बनी रहती है. हम इसके बारे में काफी जानने के इच्छुक रहते हैं।
यदि हम वैदिक परम्परा की बात करें तो ग्रहण के दौरान समस्त मंदिर बंद कर दिए जाते हैं, इसे सूतक के रूप में स्वीकार किया जाता है और इस दौरान कोई भी धार्मिक कार्य नहीं किया जाता है. ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को सावधानी बरतनी पड़ती है क्यूंकि सूर्य ग्रहण के दौरान निकलने वाली तरंगे या ऊर्जा काफी नकारात्मक मानी जाती है. लेकिन ग्रहण के दौरान निकलने वाले किरणें नकारात्मक के साथ साथ सकारात्मक भी होती है !
यद्यपि जैन धर्म में सूर्य ग्रहण और चन्द्र ग्रहण का किसी भी प्रकार का असर नहीं माना जाता है . जहाँ वैदिक परंपरा में सूर्य ग्रहण से 12 घन्टे पहले ही सूतक लग जाता है और सूर्य ग्रहण की समाप्ति के बाद मंदिरों की शुद्धि की जाती है लेकिन ऐसा जैन मान्यता में नहीं किया जाता.
ग्रहण पर क्या कहता है ज्योतिष सिद्धांत
जैसा कि सब जानते हैं कि इस बार सूर्य ग्रहण 21 जून को हो रहा है और कैलेंडर के अनुसार यह सबसे बड़ा दिन माना जाता है. यह जानकारी बहुत ही विशिष्ट है कि जब भी सूर्य ग्रहण पड़ेगा उस दिन अमावस्या होगी और चन्द्र ग्रहण के दिन पूर्णिमा पड़ेगी. इसके पीछे विज्ञान क्या कहता यह सब जानते हैं लेकिन इसकी जानकारी हजारों साल पूर्व हमारे ज्योतिष सिद्धांत बता चुके हैं.
यह मान्य है कि चन्द्र ग्रहण पूर्णिमा के दिन होगा. पूर्णिमा के दिन जिस समय सूर्यास्त होता है उसके ठीक एक मुहूर्त के बाद चंद्रमा का उदय होता है.पूर्णिमा के बाद जब कृष्णपक्ष आता है तब दो मुहूर्त बाद चंद्रमा का उदय होता है. ऐसे करते करते दिन बढ़ता चला जाता है और चंद्रमा का उदय का काल घटता चला जाता है और फिर अमावस्या के दिन जिस समय सूर्य का उदय होता है उसी समय चंद्रमा का भी उदय होता है. इसलिए उस समय दोनो का उदय एक साथ देखा जा सकता है.
अमावस्या के दिन आकाशमंडल में आप सूर्य के साथ साथ चंद्रमा भी देखते हैं लेकिन सूर्य के प्रकाश के कारण चंद्रमा फीका नज़र आता है. चन्द्र ग्रहण के बारे में यह मान्यता है की जब चंद्रमा और पृथ्वी के बीच में राहु आ जाता है तो राहू चंद्रमा को अपना ग्रास बना लेता है और उसकी छाया पृथ्वी पर पड़ती है तो ऐसा महसूस होता है कि चन्द्रमा गायब हो गया.
इस बार पड़ेगा कंकण सूर्यग्रहण
इस बार 21 जून को जो सूर्य ग्रहण पड़ने जा रहा है वह सूर्य ग्रहण सूर्य और पृथ्वी के बीच में चंद्रमा आ रहा है और सूर्य और पृथ्वी के बीच में चंद्रमा के आने से कंकण जैसी आकृति बनेगी. यानी बीच में चंद्रमा होगा और पीछे सूर्य होगा और वहां से वो रौशनी फेंक रहा होगा और बीच में चंद्रमा की परछाईं पड़ेगी तो ऐसा लगेगा जैसे एक फायर रिंग बन रही है.
यह देखने योग्य दृश्य होगा लेकिन इसे देखने में सावधानी बरतने की आवश्यकता है. चाहे सूर्य ग्रहण हो या चन्द्र ग्रहण हो उसे कभी भी बिना काले चश्मे के नहीं देखना चाहिए अन्यथा आँखों को हानि पहुँच सकती है.
ग्रहण पर क्या करें /क्या न करें ?
वैज्ञानिकों ने इस बात का दावा किया है कि ग्रहण से निकलने वाली ऊर्जा बहुत ही ज्यादा हनिकारक साबित होती है इसलिए इसके प्रभाव से बचने की आवश्यकता है. लेकिन हमें स्वयं को इससे कैसे बचा कर रखना है इस बारे में आज आपको जानकारी देंगे. जब भी ग्रहण की अवस्थाएं बनती हैं तो हमें उनकी ऊर्जा से स्वयं को बचाने के लिए निम्न उपाय करने की आवाश्यकता है-
• मोबाइल और टीवी आदि रेडियेशन वाले उपकरणों का बिल्कुल प्रयोग न करें, इन्हे बंद ही रखें।
• भोजन न करें।
• गर्भवती महिलाओं को विशेष मंत्र जाप करना चाहिये और स्वयं को पूरी तरह से सुरक्षित रखना चाहिए ।
• सुई, कैंची आदि नुकीली चीजों का प्रयोग वर्जित है ।
• ब्रह्मचर्य का पालन करें
• मंत्र जप जाप साधना करें
• ग्रहण काल के अंतिम चरण में सर्वार्थसिद्धि महायज्ञ करें , यह आपके जीवन को स्वस्थ, सुखद एवं समृद्धशाली भविष्य के लिये लाभकारी रहेगा ।
– योगभूषण जी महाराज
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