प्राइवेट और कॉरपोरेट डोनर्स से मिलाप के लिए पहले राउंड में 7 करोड़ का फंड जुटाना चाहता है एचआईएएल
10 जनवरी 2018: हालांकि पिछले 150 सालों से हमारे इर्द-गिर्द बहुत कुछ व्यापक पैमाने पर बदल गया है, लेकिन स्कूलों और कॉलेजों में कक्षाओं में पढ़ाने का हमारा तरीका बिल्कुल नहीं बदला है. हमें थ्योरी के नजरिए से इसका दोबारा आकलन करना चाहिए. याद करने और सीखने का व्यावाहरिक और अनुभवात्मक नजरिया सामने लाने की जरूरत है, जिससे छात्रों को न केवल रोजगार मिल सके और उनमें दक्षता आ सके, बल्कि वह व्यक्तियों के जीवन में असल मुद्दों और परेशानियों का समाधान निकालने के लिए शिक्षा का प्रयोग कर सके. यह वास्तव में दुखद है, जहां भारत ने विश्व को योग और विपश्यना जैसी तकनीक दी, वही भारत आज आईबी, कैंब्रिज या हार्वर्ड के पीछे दौड़ रहा है, जिनके पास इस ग्रह की समस्याओं को सुलझाने के लिए पहले से ही संसाधनों की कमी है.
पिछले 25 साल से लद्दाख क्षेत्र में शैक्षिक सुधारों में सक्रिय रहे सोनम वांगचुक ने पर्वतीय संदर्भ के लिए वैकल्पिक यूनिवर्सिटी के अभियान का समर्थन किया था, जिसे हिमालयन इंस्टिट्यूट ऑफ ऑल्टरनेटिव्स एचआईएएल कहा जाता है. अपने इस अभियान में उन्हें परम पूज्यनीय ड्राईकुंग स्काईबगोन चेत्सांग रिंपाशेई रिंपाशेई का समर्थन मिला है, जो हिमालयन क्षेत्र में दलाई लामा के बाद सबसे बड़े आध्यात्मिक नेता है और फिलहाल माउंटेन पाटर्नरशिप के लिए संयुक्त राष्ट्र में राजदूत हैं.
सोनम वांगचुक विश्व में आइस स्तूप (कृत्रिम ग्लेशियर) के आविष्कारों के लिए मशहूर है. इसके लिए उन्होंने नवंबर 2016 में हॉलीवुड का प्रतिष्ठित रोलेक्स एंटरप्राइज अवॉर्ड जीता. रोलेक्स पुरस्कार की घोषणा के साथ ही उन्होंने इनाम के रूप में मिले एक करोड़ रुपये का यूनिवर्सिटी प्रोजेक्ट में योगदान दिया और भारत के प्रमुख क्राउड फंडिंग प्लेटफॉर्म मिलाप के लिए अभियान की शुरुआत की. उन्होंने एचआईएएल की पहली वैकल्पिक यूनिवर्सिटी के पहले स्कूल के लिए राष्ट्र से 14 करोड़ रुपये में से आधी राशि जुटाने की अपील की, जबकि इसकी आधी राशि कॉरपोरेट्स के सीएसआर से जुटाने की उम्मीद थी. मिलाप के लिए 7 करोड़ का टारगेट रखा गया था, जिसमें से करीब 4.6 करोड़ की राशि अपनी व्यक्तिगत क्षमता के अनुसार 1000 व्यक्तियों से ज्यादा लोगों ने डोनेट की और कुछ राशि कॉरपोरेट डोनेशन से भी आईँ. यूनिवर्सिटी के पहले चरण के लिए 2020 तक उन्हें 150 करोड़ रुपये एकत्र करने की उम्मीद है.
समुदाय से हुई क्राउड फंडिंग में कई व्यक्तियों ने 50 रुपये से लेकर 21 लाख रुपये तक का व्यक्तिगत योगदान दिया, लेकिन यह देखना काफी दिलचस्प था कि गुड़गांव की रिज वैली में आठवीं कक्षा में पढ़ने वाले छात्र ने अपने स्कूल के दोस्तों और रिश्तेदारों में यह मुहिम छेड़कर एक लाख रुपये जुटाए. मुंबई के सिंगापुर इंटरनेशनल स्कूल ने छात्रों की ओर से की गई विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से 2 लाख रुपये एकत्र किए.
सोनम ने विभिन्न कॉरपोरेट इवेंट्स में 25 टॉक सेशन में अपनी फीस के माध्यम से भारी राशि जुटाई और व्यक्तिगत रूप से पिछले साल 1.5 करोड़ का योगदान दिया. वित्तीय समर्थन और योगदान के अलावा कई सीनियर प्रफेशनल ने वॉलंटियर के रूप में अपना समय और अनुभव इस अभियान को देने की पेशकश की.
क्राउड फंडिंग कैंपेन को भारत में कई एचएनआई, जैसे दिलीप शंघावी, वल्लभ भंसाली, दीप कालरा, आशीष कचोलिया, ज्योति सागर, हर्षल मोर्डे और शांतिलाल मेहता समेत कई अन्य लोगों की ओर से समर्थन मिला. जैन इरिगेशन सिस्टम, पेट्रोनेट एलएनजी, मैक्स लाइफ इंश्योरेंस, पीडब्लूसी फाउंडेशन, टिमकेन, एस्सेल ग्रुप, मेक माई ट्रिप, स्टर्लिंग विल्सन, सुप्रीम इंडस्ट्रीज, नेचुरल रेमेडी, प्रिसिजन वायर्स, जेमाल्टो, इंडियन फॉर कलेक्टिव एक्शन-सेन फ्रांसिस्को और कई अन्य कॉरपोरेटेस ने भी इस अभियान को समर्थन दिया है.
इस अवसर पर सोनम वांगचुक ने सभी समर्थकों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह राष्ट्र निर्माण का एक कार्य है. इससे हम भारत को अगली शिक्षा क्रांति की अगुवाई करते देख सकेंगे. शिक्षा को प्रासंगिक माना जाना चाहिए. हालांकि इस समय यह पर्वतीय संदर्भ के लिए है. उन्होंने उम्मीद जताई कि देश भर और विश्व में शिक्षा पद्धति पर इसका प्रभाव पड़ेगा. उन्होंने कहा कि एचआईएएल का उद्देश्य पारंपरिक सोच के कठोर सांचों को तोड़ना, लोगों की जिंदगी के लिए प्रासंगिक बनना और ज्ञान के व्यावहारिक अनुप्रयोगों से शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करना शामिल है. एचआईएएल में छात्र अपना दो तिहाई समय क्लास रूम से बाहर वास्तविक जीवन में शिक्षा का अनुप्रयोग करने के लिए करते हैं. स्कूल ऑफ सस्टेननेबल टूरिज्म के छात्र वास्तविक होटलों, होम स्टे और आइस पार्क का संचालन कर सकते है. स्कूल ऑफ सस्टेननेबल आर्किटेक्चर अपने आप यूनिवर्सिटी का निर्माण कर सकता है. स्कूल ऑफ एप्लाइड इकोलॉजी जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से बर्बाद हुई घाटी की स्थिति में सुधार के उपाय करता है.
इसके बाद उन्होंने परियोजना के संस्थापक साझीदारों के रूप में उन व्यक्तियों और कॉरपोरेट्स के नाम की घोषणा की, जिन्होंने इस परियोजना में एक करोड़ से ज्यादा का योगदान देने का वायदा किया था. संस्थापक समर्थक ऑनलाइन क्राउडफंडिंग कैंपेन से इस विजन को वास्तविकता में तब्दील करने में सक्षम हुए. उन्होंने लद्दाख स्वायत्तशासी पहाड़ी विकास परिषद को एचआईएएल की पहल का समर्थन करने और 200 एकड़ जमीन मुहैया कराने के लिए विशेष रूप से धन्यवाद दिया.
आज एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करने का दिन है क्योंकि एचआईएएल टीम परियोजना को जमीनी स्तर पर लागू करने के लिए बेहतरीन तैयारी कर रही है. प्रमुख पदों पर भर्ती की प्रक्रिया अभी चल रही है. एचआईएएल टीम 2018 की गर्मियों में इंटिग्रेटेड माउंटेन डिवेलपमेंट के लिए डिप्लोमा कोर्स का पहला बैच शुरू करने की तैयारी कर रही है. हम 7 करोड़ जुटाने के अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए और अधिक समर्थन की जरूरत है, जिसमें से 70 फीसदी हमने हासिल कर लिया है.
भारत अपने 69वें गणतंत्र दिवस की ओर बढ़ता जा रहा है. गणतंत्र दिवस पर मिलाप अभियान भी समाप्त हो जाएगा. आइए हाथ मिलाएं और भारत को नए तरीके की शिक्षा पद्धति में नेतृत्व की भूमिका प्रदान करने में अपना योगदान निभाएं.
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