श्रीराम जन्मभूमि व सामाजिक समरसता रहेंगे विश्व हिन्दू परिषद की बैठक के केन्द्र बिन्दु
नई दिल्ली। जून 24, 2018। विश्व हिन्दू परिषद की केन्द्रीय प्रबंध समिति की दो दिवसीय बैठक आज राजधानी दिल्ली के राजघाट स्थित गांधी स्मृति दर्शन समिति, में महामण्डलेश्वर पू0 स्वामी राघवानंद जी के आशीर्वचन से प्रारंभ हुई।
अपने उद्घाटन उद्बोधन में विश्व हिन्दू परिषद के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (रिटा0) श्री विष्णु सदाशिव कोकजे ने कहा कि भगवान राम की जन्मस्थली अयोध्या में भव्य मंदिर हेतु सैकड़ों वर्षों के संघर्ष की परिणिती का समय निकट है। 1984 से सदा ही श्रीराम जन्मभूमि का मामला हमारे कार्य का केन्द्र बिन्दु रहा है और मंदिर की भव्यता तक रहेगा। माननीय उच्चतम न्यायालय से आग्रह है कि वह शीघ्रताशीघ्र अपना निर्णय सुनाए। सामाजिक समरसता के संदर्भ में विहिप की प्रतिबद्धता पर उन्होंने कहा कि 54 वर्षों में छुआ-छूत के उन्मूलन हेतु हमने अनेक कार्य किये हैं किन्तु बहुत कुछ किया जाना अभी बाकी है। विषमता किसी धर्म से जुड़ी न होकर एक मानसिक विकृति है जिसे व्यक्तिगत आचरण के द्वारा ही दूर किया जा सकता है। यह सिर्फ सरकार का नहीं बल्कि सम्पूर्ण समाज की जिम्मेदारी है कि प्रत्येक पिछड़े को गले लगाकर आगे बढ़ाए। 23 जून को डॉ0 श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस तथा 25 जून 1975 को आपातकाल के आक्रमण को याद करते हुये उन्होंने कहा कि हमारी इस बैठक की तिथियों से शिवाजी महाराज द्वारा स्थापित हिन्दू साम्राज्य दिवस का पावन दिन भी जुड़ा है। छद्म धर्म-निरपेक्ष लोगों पर प्रहार करते हुये उन्होंने कहा कि यह विहिप व हिन्दू समाज के कार्यों का ही परिणाम है कि जो लोग कल तक हम पर प्रहार करते थे आज जनेऊधारी हिन्दू बनने का दिखावा कर रहे हैं। हमारी इस बैठक में आये पदाधिकारियों को धर्म-परिवर्तन, गौ-हत्या, विदेशी घुसपैठ हिन्दू मानबिन्दुओं पर आक्रामण सहित अन्य धार्मिक सामाजिक व राष्ट्रीय विषयों पर चर्चा कर उनका समाधन ढूंढ़ना होगा।
दीप प्रज्ज्वलन के पश्चात अपना आशीर्वचन देते हुये महामण्डलेश्वर पूज्य स्वामी राघवानंद जी महाराज ने वेद, वेदांग, उपनिषद तथा वैदिक वांग्मेय के पठन पाठन व विस्तार हेतु आह्वान करते हुये कहा कि देशभर में वेद विद्यालयों की स्थापना की नितांत आवश्यकता है। इस संदर्भ में विहिप कार्यकर्ताओं को आगे आना होगा।