परमार्थ निकेतन पहुंचा श्री सत्यसाईं बाबा के अनुयायियों का दल
- भारत सहित विश्व के अनेक देशों से 350 से अधिक अनुयायियों का दल ध्यान साधना हेतु परमार्थ गंगा तट पर पहुंचा
- स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज एवं श्री मधुसूदन नायडू जी एवं अन्य विशिष्ट अतिथियों ने मिलकर की गंगा आरती और रूद्राक्ष का पौधा किया भेंट
- कर्नाटक, मुम्बई, तमिलनाडु, चेन्नई, बेंगलुरू, सिंगापुर, स्वीडन, श्रीलंका, मलेशिया, अमेरीका, थाईलैण्ड एवं अन्य देशों से आये अनुयायी
- प्रेम स्वामी मधुसूदन जी, श्री आई सैक टिग्रेट, यूएसए, हार्ड रॉक कैफे के मालिक, बी एन नरसिंघमूर्ति, मुख्य सहालकार श्री
- सत्य साईं लोक सेवा संस्थान, श्री डेविड और जेनिफर कॉर्नवीच एवं सी श्री निवास, प्रमुख सत्य साईं बाबा स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा संस्थान कर रहे है सहभाग
ऋषिकेश, 29 नवम्बर। परमार्थ निकेतन के पावन गंगा तट पर श्री सत्यसाईं बाबा के अनुयायियांे का दल साधना शिविर हेतु पहुुुंचा। इस दल में भारत तथा विश्व के यथा कर्नाटक, मुम्बई, तमिलनाडु, चेन्नई, बेंगलुरू, सिंगापुर, स्वीडन, श्रीलंका, मलेशिया, अमेरीका, थाईलैण्ड एवं अन्य देशों से आये अनुयायियों ने सहभाग किया। इस ध्यान साधना शिविर में विदेशी साधक भी भारतीय संस्कार और भारतीय वेशभूषा में रंगे हुये दिखें। यह तीन दिवसीय साधना शिविर श्री मधुसूदन नायडू जी के मार्गदर्शन में सम्पन्न होगा।
आज परमार्थ गंगा तट पर परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष एवं ग्लोबल इण्टरफेथ वाश एलायंस के सह-संस्थापक स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज, श्री मधुसूदन नायडू जी, साईं बाबा के प्रमुख जिनके बारे में प्रसिद्ध है कि उनके माध्यम से साईं बाबा श्री अब अपना संदेश देते है एवं अन्य विशिष्ट अतिथियों ने मिलकर की गंगा आरती। स्वामी जी ने श्री मधुसूदन नायडू जी को शिवत्व का प्रतीक रूद्राक्ष का पौधा भेंट किया। स्वामी जी एवं नायडू जी के उद्बोधन के पश्चात सभी साधकों ने माँ गंगा जी की आरती एवं सायंकालीन सत्संग में सहभाग किया। इस साधना शिविर में प्रेम स्वामी मधुसूदन जी, श्री आई सैक टिग्रेट, यूएसए, हार्ड रॉक कैफे के मालिक, बी एन नरसिंघमूर्ति, मुख्य सहालकार श्री सत्य साईं लोक सेवा संस्थान, श्री डेविड और जेनिफर कॉर्नवीच एवं सी श्री निवास, प्रमुख सत्य साईं बाबा स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा संस्थान कर रहे है सहभाग।
श्री मधुसूदन नायडू जी ने कहा कि ’साधना अगर परिष्कृत, स्वच्छ एवं दिव्य वातावरण की जाये तो विशेष फलदायी होती है और ध्यान क्रिया पर तो स्थान का विशेष प्रभाव पड़ता है। उन्होने कहा कि यह क्षेत्र ऋषियों की तपस्थली है, परमार्थ गंगा तट दिव्यता से युक्त है एवं शान्ति दायक स्थान है यहां पर की गयी साधना से जीवन में विलक्षण परिवर्तन हो सकता है; यह स्थान आत्मोत्कर्ष के लिये उपयुक्त है। उन्होने कहा कि साधना के यह तीन दिन आत्मोन्नति के है जिसके माध्यम से जीवन को ऊर्जावान बनाया जा सकता है।’ स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि श्री सत्य साईं बाबा जी ने ’लव ऑल , सर्व ऑल, अर्थात सबको प्यारा करों, सबकी सेवा करों’ का जो सूत्र दिया है उसका अनुकरण करते हुये अपनी साधना को पीडि़त मानवता, प्रकृति, पर्यावरण और जीवनदायिनी नदियों के संरक्षण में लगायें यही श्री सत्य साईं बाबा को हमारी ओर से सच्ची श्रंद्धाजलि होगी। उन्होने उपस्थित सभी साधकों एवं अनुयायियों से आहृवान किया की वर्तमान समय में प्रदूषण जैसी वैश्विक समस्या का समाधान करने के लिये सभी को मिलकर अपनी सामर्थ्य एवं ऊर्जा का उपयोग कर इस विकराल समस्या का समाधान करना होगा यही तो है सबको प्रेम करना, लव ऑल और सर्व ऑल। हम भगवान की पुजा तो करते है अब पर्यावरण की भी रक्षा करें यही सबसे बड़ा प्रकृति को तोहफा होगा और मानवता के लिये उपहार होगा । स्वामी जी ने कहा कि ध्यान साधना भीतरी वातावरण को स्वच्छ, स्वस्थ एवं समुन्नत बनाती है परन्तु इसके लिये हमें बाहरी वातावरण को भी स्वच्छ रखना होगा।
स्वामी जी ने कहा कि साधना के द्वारा मनुष्य ’इनर सेल्फ’ को भर कर आध्यात्मिक उन्नति के शिखर तक पंहुच सकता है। परन्तु मनुष्य अपने शेल्फ को; अलमारियाें को भरने में पूरा जीवन लगा देते है और इन सब को भरते-भरते कई बार इनर सेल्फ खाली ही रह जाता है साधना के माध्यम से इनर सेल्फ की रिक्तता को भरकर जीवन में अनेक सकारात्मक परिवर्तन किये जा सकते है और उसे प्रकृति, पर्यावरण की सेवा में लगाये यही है ’लव ऑल, सर्व आल’। सभी अनुयायियों ने सायंकालीन गगंा आरती में सहभाग किया स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने शिवत्व का प्रतीक रूद्राक्ष का पौधा विशिष्ट अतिथियों को भेंट किया।