परमार्थ निकेतन में श्रीश्री रविशंकर और स्वामी चिदानंद सरस्वती ने मनाई हनुमान जयंती
- परमार्थ निकेतन पधारे श्री श्री रविशंकर जी महाराज
- श्री श्री रविशंकर जी महाराज का परमार्थ निकेतन में भव्य स्वागत
- ’सेवा हो तो हनुमान जी जैसी जहाँ अपने लिये कुछ भी नहीं’
- हनुमान जयंती पर सम्पन्न हुआ महास्वच्छता अभियान
- परमार्थ गंगा घाट पर हनुमान चालिसा, हवन एवं सुन्दर काण्ड के पाठ का आयोजन
- श्रेष्ठ संकल्प, अनन्य भक्ति और निःस्वार्थ सेवा की प्रतिमूर्ति है हनुमान – स्वामी चिदानन्द सरस्वती
ऋषिकेश, 31 मार्च। भगवान शिवजी के 11 वें रूद्रअवतार श्री हनुमान जी का जन्म ज्योतिषियों के गणना के आधार पर 1 करोड़ 85 लाख 58 हजार 113 वर्ष पूर्व चैत्र पूर्णिमा को हुआ था। आज इस पावन अवसर पर परमार्थ निकेतन ऋषिकेश में विविध गतिविधियां एवं श्रेष्ठ संकल्पों के साथ श्री हनुमान जी की जयंती मनाई गयी। श्रीश्री रविशंकर जी महाराज आज हनुमान जयंती के विशेष अवसर पर परमार्थ निकेतन पधारे। परमार्थ निकेतन में ऋषिकुमारों एवं आचार्यों द्वारा श्रीश्री जी का भव्य स्वागत किया गया।
पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज और श्रीश्री रविशंकर जी महाराज ने आध्यात्मिक विषयों के साथ पर्यावरण संरक्षण, नदियोें की स्वच्छता, निर्मलता एवं स्वच्छ भारत निर्माण हेतु विभिन्न मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की। श्री हनुमान जयंती के विशेष अवसर पर दोनों पूज्य संतों ने माँ गंगा के तट पर दिव्य आरती एवं हवन किया। परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष, गंगा एक्शन परिवार के प्रणेता एवं ग्लोबल इण्टरफेथ वाश एलायंस के संस्थापक पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज के सानिध्य में परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों ने महास्वच्छता अभियान सम्पन्न किया। श्री हनुमान जंयती के पावन अवसर पर सांय 4ः00 से 6ः00 बजे परमार्थ गंगा के तट पर विशाल हनुमान जी की प्रतिमा के सामने हनुमान चालीसा का पाठ एवं भजन भारत सहित दुनिया के कई देशों से आये अतिथियों ने मिलकर किया। 6ः00 से 6ः30 बजे तक सभी ने दिव्य गंगा आरती में सहभाग किया। 7ः00 बजे पूज्य स्वामी जी के सानिध्य में सभी साधकों ने जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती जी द्वारा ‘रामायण और हनुमान चरित्र’ पर दिये विशेष व्याख्यान में भाग लिया। परमार्थ गंगा घाट पर सुन्दर काण्ड का पाठ का आयोजन किया गया।
श्रीश्री रविशंकर जी महाराज ने कहा कि “प्रत्येक मनुष्य को हनुमान जी से ईश्वर की भक्ति और समर्पण की शिक्षा ग्रहण करना चाहिये। तथा अपने जीवन को गरीबों और असहायों की सेवा ही समर्पित करें यही आज के पर्व का संदेश है”।
साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा कि ’सेवा, समर्पण एवं त्याग द्वारा प्रभु को आत्मसात करना ही हनुमान चरित्र का मर्म है।’ पूज्य स्वामी जी महाराज ने सभी साधकों को प्रकृति, पर्यावरण एवं जल के स्रोतों के संरक्षण का संकल्प कराया। पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने पूज्य श्री श्री रविशंकर जी महाराज को शिवत्व का प्रतीक रूद्राक्ष का पौधा भेंट किया।