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श्रीश्री रविशंकर ने “कश्मीर” को दिया “पैगाम-ए-मोहब्बत” का संदेश 

श्रीश्री रविशंकर ने “कश्मीर” को दिया “पैगाम-ए-मोहब्बत” का संदेश 

कश्मीर, 11 नवम्बर; श्रीश्री रविशंकर ने आर्ट ऑफ़ लिविंग के इंटरनेशनल केन्द्र में कश्मीर में चल रहे संघर्ष के पीड़ितों के सम्मेलन का आगा़ज किया, जिसमें पैगाम-ए-मोहब्बत के तहत कई तरह की भावनाओं का आदान-प्रदान किया गया.

इस कार्यक्रम में मारे गए आतंकवादियों के 100 परिवार, संघर्ष में प्रभावित परिवार और पूरे भारत से सेना के शहीदों के 40 परिवार भी उपस्थित थे.  प्रभावित परिवारों के प्रतिनिधि जिनमें 60 महिलाएं भी थीं और जो सुदूर कश्मीर से यात्रा कर बैंगलुरू इस कार्यक्रम हेतु पहुंचे थे.

यह सचमुच में एक दिल को छू लेने वाला पल था कि परिजनों ने अपने अपने दर्द बयान किए और उस आतंकवाद की संस्कृति को त्यागना की अभिव्यक्ति दी, जिसने उनके परिजन छीन लिए.

इस अवसर पर श्रीश्री रविशंकर ने कहा, ‘‘जब परिवार हिंसा के शिकार हों तब उन्हे क्षमा के भाव से आगे आना चाहिये और तभी एक अहिंसात्मक समाज का निर्माण हो सकता है. मुझे विश्वास भी है कि इस नए रास्ते पर कई युवा चलेंगे.’’ उन्होंने आगे कहा कि, ‘‘जब तक हम उन चोटों पर मरहम नहीं लगायेंगे तब तक यह हिंसा की कड़ी चलती ही रहेगी.’’

श्रीश्री ने आगे कहा कि, ‘‘प्रत्येक हदय में कहीं न कहीं करूणा है और हमें हिंसा और एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने के इस खेल को यही छोड़ना होगा तभी हम सफल हो सकते हैं.’’

जब एक पूर्व आतंकवादी अब्दुल माजिद ने कहा कि, ‘‘युवाओं को अपनी बंदूकें फेंक कर शांति मार्ग अपनाना चाहिये. हम यहां इसलिए आए हैं, क्योंकि गुरुदेव बहुत ही बड़े व्यक्ति हैं और उन्होंने बहुत बडे़-बडे़ काम किये हैं. हमें आशा है कि हमें यहां हमारी समस्याओं का हल बातचीत से मिलेगा.’’

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कार्यक्रम में गंदरबल के एजाज अहमद मीर ने कहा कि, ‘‘हम यहां बहुत सारी आशाएं लेकर आए हैं और हमने यह उम्मीद भी नहीं की थी कि हम ऐसी जगह पर आ भी पाएंगे  हमने बहुत कुछ खोया है. हम यहां से आपे देष से प्रेम और भाईचारे का संदेश ले जा रहे हैं और इसे फैलाएंगे. भिंडीपोरा के नसीर लोन ने कहा कि हमें कोई सुनता ही नहीं है और हमारे जैसे लोगों के लिए कुछ किया जाना चाहिये. इसलिए हम यहां आए हैं और गुरूदेव को भी यही कहना चाहते हैं.’’

एक अफसर की विधवा ने कहा, ‘‘हम किसी के भी विरोधी नहीं हैं. हमारा गुस्सा उन परिस्थितियों पर है जो कश्मीर को हिंसक बनाए हुए है. हमें आशा है कि गुरूदेव इसका हल निकालेंगे.’’

हम परिवार के दर्द को भी महसूस करते हैं जो कश्मीर में ड्यूटी के दौरान मारे जा रहे हैं, लेकिन हम भी उनके हाथों में पीड़ित हैं. हमें इसका अंत करना चाहिए. हम गुरुदेव की पहल की सराहना करते हैं. एक परिवार के परिवार से कश्मीरी महिला मारे गए आतंकवादी ने शहीदों के परिवारों के साथ भावनात्मक क्षण साझा करते हुए कहा.

साथी महिला ने कहा कि हम महिलाओं का कोई राजनैतिक मकसद नहीं है इसलिए हम दिलों को जोड़ सकती हैं.

2004 से कश्मीर में आर्ट ऑफ़ लिविंग कार्य कर रहा है और वहां के कार्यक्रम निदेशक संजय कुमार ने इस अवसर पर कहा कि ’’पिछले दशक में हमने कथित पाकिस्तानी लीडर्स, स्टोन प्लेटर्स, सूफी संत, बुद्धिजीवियों और समस्त हितग्राहियों से लगातार संपर्क रखा है. विवाद का निपटान और एक पुल की तरह कार्य करना हमने इस कश्मीर की घाटियों में जारी रखा है.’’

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इसके अलावा घाटी के कई प्रतिनिधियों ने गुरुदेव से मुलाकात की और घाटी में विश्वास और शांति के पुनर्निर्माण के लिए हस्तक्षेप की मांग की. इनमें मारे गए आतंकवादियों और शहीदों के परिवारों के सदस्य शामिल हैं. हिजबुल मुजाहिदीन के नेता बुरहान वाणी के पिता मुजफ्फर वाणी ने पिछले साल बेंगलुरु के आर्ट ऑफ लिविंग इंटरनेशनल सेंटर में गुरुदेव से मुलाकात की थी.

इस खास शुरुआत को कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने भी सराहा। उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि, “ये एक सकारात्मक पहल है, मैं पूरे मन से आशा करती हीं कि ये एक लोगों को जोड़ने की कदम में एक शुरूआत होगी”।  

विदित है कि आर्ट ऑफ़ लिविंग 2004 से कश्मीर में आतंक प्रभावितों को आघात नियंत्रण, बातचीत, जेलों में तनाव प्रबंधन, सेना में तनाव प्रबंधन और युवाओं को संस्कारित करने जैसे कार्यों को अमलीजामा पहना रहा है.

इस प्रोग्राम में शामिल इंडिया टीवी के एडिटर इन चीफ रजत शर्मा ने कहा कि जब कश्मीर से हिंसा की खबरें आती हैं, खून खराबे की तस्वीरें आती हैं तो उनका दिल कांप जाता है, दर्द होता है क्योंकि खून किसी कश्मीरी नौजवान का बहे या किसी फौजी का, खून तो इंसान का ही है. जो गोली का शिकार हुआ वो किसी मां का ही तो बेटा है. हिंसा से कुछ नहीं होगा. जरूरत इस बात की है कि धरती की इस जन्नत में हर हिन्दुस्तानी जाए और कश्मीरियत की खुशबू हिन्दुस्तान के हर घर को महकाए.”

इंडिया टुडे ग्रुप के एडिटर इन चीफ अरुण पुरी भी शामिल हुए और कश्मीर में हिंसा खत्म करने का मूलमंत्र भी बताया. अरुण पुरी ने कश्मीर समस्या पर मूलमंत्र देते हुए कहा, “पिछले  कुछ दशकों से कश्मीर पर जो पैसा खर्च किया जा रहा है, उससे कश्मीर को स्विट्जरलैंड बन जाना चाहिए था. ना सिर्फ खूबसूरती में बल्कि संपन्नता में भी. तब कश्मीर में गरीबी नहीं होती, ना ही कोई समस्या होती. लेकिन मेरी राय में राजनीतिक की वजह से ऐसा नहीं हुआ. इसलिए राजनीति को दूर रखिए और इंसानियत को पास लाइए.”

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उन्होंने कहा, “जब राजनीति आ जाती है बीच में तो लोग अपना हित देखने लगते हैं और दूसरों का हित नहीं देखते. वो  अपनी वजहों से अमन नहीं चाहते, क्योंकि उनका आतंकवाद में हित सधता है. उनका हिंसा और उपद्रव में हित सधता है. इसे खत्म करना होगा. मेरी नजर में अगर इससे आगे बढ़ना है तो सियासत को खत्म करना होगा. मेरी नजर में आगे बढ़ने के लिए यह अहम है.” 

श्रीश्री रविशंकर ने कहा कि हिंसा से कुछ हासिल होने वाला नहीं है और यह कार्यक्रम कश्मीरियों के दर्द को दूर करने की दिशा में एक शुरुआत है.

श्रीश्री रविशंकर विरोधी पार्टियों को सुलह कराने के लिए कोई अजनबी नहीं है. उन्होंने कोलम्बिया के विद्रोही समूह एफएआरसी; कोलंबिया के क्रांतिकारी सशस्त्र बलद्ध के नेताओं को समझकर 2015 में कोलंबिया में भूमिका निभाई जो बातचीत के लिए वैश्विक दबाव तक पहुंच रहे थे, अहिंसा या अहिंसा के गांधीवादी सिद्धांत अपनाने के लिए. उनके पुनरुत्थान के प्रयासों ने न केवल विद्रोही समूह में ही खत्म किया है जो लगभग 220000 लोगों की जान ले चुका था. इसी तरह से गुरूदेव ने युगोस्लाविया में भी सिविल वार को खत्म किया था.

पैगाम-ए-मोहब्बत का वीडियो देखें….

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Post By Shweta