सूर्य ग्रहण के दौरान मन्त्रों से प्राप्त करें लाभ : किस राशि के लोग जपें कौन सा मंत्र ?
– मंत्रमहर्षि श्री योगभूषण जी महाराज
जैसा कि सबको विदित है कि 21 जून को सूर्य ग्रहण है और इस दौरान सबके मन में एक भय सा व्याप्त हो जाता है कि कहीं यह ग्रहण हमारे जीवन में कुछ अनिष्ट न लेकर आये.
हालाँकि जैन धर्म किसी भी प्रकार के ग्रहण के प्रभाव को नहीं मानता अपितु इतना अवश्य है की ग्रहण के दौरान भी मन्त्रों के माध्यम से हम अपने जीवन को सुखमय बना सकते हैं और कई प्रकार के लाभ प्राप्त कर सकते हैं.
मन्त्र क्या है ?
मंत्र शब्दों का संचय होता है, जिससे इष्ट को प्राप्त कर सकते हैं और अनिष्ट बाधाओं को नष्ट कर सकते हैं। मंत्र इस शब्द में ‘मन्’ का तात्पर्य मन और मनन से है और ‘त्र’ का तात्पर्य शक्ति और रक्षा से है। अगले स्तर पर मंत्र अर्थात जिसके मनन से व्यक्ति का विकास हो।
मन्त्र ही जीवन है, जीवन ही मन्त्र है
हमारे जीवन का शुभारम्भ मन्त्र से ही होता है, जब बच्चा 40 दिन का हो जाता है तब उसके कान में मन्त्र सुनाकर उसे अभिमंत्रित किया जाता है, ये हमारे जीवन की पहली मन्त्र हीलिंग होती है जो हमारे बचपन को सुरक्षित रखती है. किशोर अवस्था में रोजाना स्कूल में प्रभु की प्रार्थना से विद्या बुद्धि के विकास की हीलिंग की जाती है. युवा अवस्था में अनजान स्त्री पुरुष के मध्य मन्त्र आहुति से ही सुखद दांपत्य जीवन की शुरुआत होती है और जीवन के अंत में भी प्रभु नाम का मन्त्र मिल जाये तो पूरा जीवन धन्य हो जाता है.
जैन धर्म में मन्त्र साधना
जैन धर्म में मन्त्रों का बहुत महत्त्व है. यदि ऐसा न होता तो जैन तीर्थंकर महावीर स्वामी नवकार मन्त्र पर इतना जोर न देते. जैन धर्म में मंत्र साधना व जाप का बहुत प्रभाव बताया गया है। मानसिक अशॉंति से लेकर शारीरिक बीमारियों को दूर करने के लिए बहुत से मंत्रो के बारे में बताया गया है।
धर्म की बताई हुई इन क्रियाओ पे विश्वास करने वाले को इन सब मंत्रो से बहुत लाभ प्राप्त हो सकता है। फिर वो चाहे किसी तरह का भय हो या पुराने कर्मो का उदय, जाप साधना से आप सभी समस्याओं से मुक्त हो सकते है बस देर है तो मंत्रो पर विश्वास और श्रद्धा रखने की.
सूर्य ग्रहण और मन्त्र साधना
21 जून को हो रहे सूर्य ग्रहण के दौरान मन्त्रमहर्षि, धर्मयोगी गुरुदेव श्रीयोगभूषण जी महाराज विश्वशांति और कोरोना मुक्ति के लिए दोपहर 02 :21 बजे मंत्रयोग महाप्रार्थना पूर्वक सर्वार्थसिद्धि महायज्ञ सम्पन्न करेंगे. 21 जून को मिथुन राशि के मृगशिरा नक्षत्र में सूर्यग्रहण हो रहा है, यह कंकण सूर्यग्रहण चूड़ामणि योग भी बना रहा है. ऐसे सिद्धिकल में की गयी मन्त्र साधना शीघ्र ही फलदायी होती है. मन्त्र साधना के पश्चात सर्वार्थसिद्धि महायज्ञ करने से जप का अनंतगुणा फल मिलता है, ऐसा उल्लेख ज्योतिष शास्त्र में भी है !
सूर्य ग्रहण के दौरान यह मन्त्र देंगे आपको लाभ
जैन मन्त्र विज्ञान के अनुसार यह सूर्य ग्रहण ‘अमृत सिद्धि काल’ माना जा सकता है. इस काल में आप कोई भी मन्त्र साधना करते हैं तो सूर्य ग्रहण से निकलने वाली नकारात्मक ऊर्जा से बचा जा सकता है. सूर्य ग्रहण में सूर्य की ओर से जो ऊर्जा प्रथ्वी पर आयेगी, वह मात्र एक ऊर्जा है और उसका उपयोग कैसे करना है यह हमारे हाथ में है. भंवरा, तितली और मधुमक्खी सभी फूलों से पराग लेती हैं लेकिन शहद बनाने की विधा सिर्फ मधुमक्खियों के पास ही है ठीक उसी प्रकार सूर्य ग्रहण की नकारात्मक ऊर्जा को भी सकरात्मक रूप में परिवर्तित करने का माध्यम सिर्फ मन्त्र हैं.
मेष, सिंह और वृश्चिक राशि के जातक लाल रंग की माला के साथ लाल रंग के कपड़े पहनकर पूर्व दिशा की ओर मुख करके ‘ॐ ह्रीं णमो सिद्धाणं’ मन्त्र का जाप करें !
वृषभ,कर्क और तुला राशि के जातक सफ़ेद रंग के आसन पर सफ़ेद रंग के कपड़े पहनकर सफ़ेद रंग की माला से पूर्व दिशा की ओर मुख करके ‘ॐ ह्रां णमो अरहंताणं’ मन्त्र का जाप करें.
मिथुन और कन्या राशि के जातकों के लिए ‘ॐ णमो उवज्झायाणं’ मन्त्र का जाप सिद्ध होगा. उन्हें हर रंग के आसन पर हरे रंग के कपड़े पहनकर हरे रंग की माला से पूर्व दिशा में जाप करना है.!
धनु और मीन राशि के जातकों को पीले रंग के आसन पर पीले रंग के वस्त्र धारण कर पीले रंग की माला से पूर्व दिशा की ओर मुख करके ‘ॐ ह्रूं णमो आयरियाणं’ मन्त्र का जाप करना है.!
मकर और कुम्भ राशि के जातक ‘ॐ ह्र: णमो लोए सव्वसाहूणं’ मन्त्र का जाप करें. यह लौंग की माला से भी जाप कर सकते हैं. इस राशि के जातक नीले वस्त्र धारण कर और नीले आसन पर इस मन्त्र का जाप करें.
सूर्यग्रहण के दौरान अनाहत विद्या का मन्त्र ‘ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ब्लूँ ऐं अर्हं अ सि आ उ सा अनाहत विद्यायै अर्हं नमः’ की 7 ,9 या 11 माला जाप करनी है. यह आपको हृदय सम्बन्धी समस्याओं से दूर रखेगा।
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