श्रावण में स्वामी दीपांकर का प्रण : शोरमुक्त हो कावंड़ यात्रा
मैं अकेला ही चला था जानिबें मंजिल
लोग मिलते गए कारवां बनता गया…
श्रावण का पावन महीना चल रहा है। सड़कों पर शिवभक्तों की भक्ति चल रही है, और साथ ही उनके वाहनों का कारवां भी। ट्रकों, बसों से कांवड़ यात्रा करने वाले शिव स्नेही कई बार शोर का सबब बन जाते है। वे भक्ति की शक्ति को दिखाने के आडंबर में शोर का साथ लेते है। ऐसे में कई बार सड़कों पर असुविधा देखनी पड़ती है। किसी वृद्ध या एंबुलेंस में जा रहे मरीज के लिए ये शोर जानलेवा हो सकता है।
शोर को कम करने और ध्वनि प्रदूषण को समाज और शहरों से कम करने के लिए बीते कई सालों से आध्यात्मिक गुरु स्वामी दीपांकर जी जान से लगे हुए है। गाजियाबाद और एनसीआर में एक महीने तक ट्रैफिक पुलिस के साथ उन्होंने Noise Pollution कम करने की मुहिम चलाई, जिसके नतीजे प्रभावी रहे।
स्वामी दीपांकर ने अब कावंड़ियों के बीच जाकर एक नई मुहिम शुरु की है। वे सबसे अनुरोध कर रहे है कि इस पावन यात्रा में शोर से बचें। हाल ही में गाजियाबाद से लेकर मेरठ के बीच हजारों कांवड़ियों से वे मिले और उन्होंने उनकी स्वीकृति से NoToNoise मुहिम में उन्हें हिस्सेदार बनाया।
कई किलोमीटर लंबी यात्रा पर निकले कांवडियों के संग स्वामी दीपांकर ने इस मुहिम की गंभीरता को रखा और इसके परिणाम सकारात्मक दिख रहे है।
शोर से शांति की इस यात्रा में जरूरी है कि लोग सहभागी बनें। इससे हमें एक शांत समाज बनाने में मदद मिलेगी।
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