आध्यात्मिक साधना के लिए भारत के दस प्रमुख आश्रम : Ten Famous Ashrams of India for Spiritual Knowledge
भारत की आध्यात्मिक विरासत से रूबरू होने के लिए पूरी दुनिया से लोग साल भर यहां आते हैं। हिंदू धर्म में सदियों पहले योग, ध्यान और आयुर्वेद की जो खोज और शोध हुई उसकी बदौलत आज देश के हर कोने में आध्यात्मिक साधना के लिए कई आश्रम, सेंटर चल रहे है। लेकिन आज भी गुरु-शिष्य परंपरा के तहत भारत में कई ऐेसे आश्रम स्थापित है, जहां योग, साधना और ध्यान के लिए एक परंपरा जारी है। आइए जानते है देश में कहां कहां आप जाकर, वक्त बिताकर आध्यात्मिक अनुभव को पा सकते है।
विपश्यना इंटरनेशनल एकेडमी, ईगतपुरी, महाराष्ट्र
विपश्यना भारत की एक अत्यंत पुरातन साधनाओं में से एक ध्यान प्रणाली विधि है। जिसका अर्थ जो जैसा है, उसे ठीक वैसा ही देखना-समझना है। महाराष्ट्र के ईगतपुरी में एसएन गोयनका द्वारा स्थापित ये आश्रम में ध्यान की इस खास विधा को सिखाया जाता है। यहां विपश्यना दस-दिवसीय आवासी शिविरों में सिखायी जाती है। शिविरार्थी दस दिनों में साधना की रूपरेखा समझते है एवं इस हद तक अभ्यास कर सकते है कि साधना के अच्छे परिणामों का अनुभव कर सकें। शिविर का कोई शुल्क नहीं लिया जाता, रहने एवं खाने का भी नहीं। शिविरों का पूरा खर्च उन साधकों के दान से चलता है जो शिविर से लाभान्वित होकर दान देकर बाद में आने वाले साधकों को लाभान्वित करना चाहते हैं।
स्वामी दयानंद सरस्वती आश्रम, ऋषिकेश, उत्तराखंड
वेदांत के अमूल्य ज्ञान को समेटे हुए ये आश्रम उत्तराखंड में है। यहां संस्कृत और वेद के ज्ञान की शिक्षा दी जाती है। योग की जानकारी, प्रैक्टिस और उसके अभ्यास के लिए यहां समय-समय पर कोर्स करवाए जाते है। हिमालय और गंगा की गोद में बने आश्रम के योग स्टूडियो में योग की गूढ़ जानकारी दी जाती है। स्वयं के विकास और आध्यात्मिक साधना के लिए इस जगह पर बहुत कुछ मौजूद है। आश्रम में गंगा धरेश्वर के मंदिर, योग स्टूडियो और लाइब्रेरी मौजूद है।
आर्ट ऑफ लिंविंग, बैंग्लोर, कर्नाटक
जीवन जीने की कला सीखने के लिए लाखों लोग आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकरजी के इस आश्रम में आते है। बैंग्लोर के पंचागिरी पहाड़ियों में बसे इस आश्रम में योग, ध्यान और आयुर्वेद की सभी शिक्षाएं बहुत ही प्रवीण गुरुओं द्वारा दी जाती है। गुरुदेव के आश्रम में रहने पर सुबह शाम उनके खास आयोजनों में लोगों को शिरकत करने का मौका भी मिलता है। सुदर्शन क्रिया नाम से मशूहर विधि से आर्ट ऑफ लिविंग कार्यक्रम के कई चरण होते है। प्रथम ट्रेनिंग 3-7 दिन की होती है। साधना की तमाम तकनीक के जरिए यहां लोगों के मन, बुद्धि और आत्मा को विकसित किया जाता है।
ओशो इंटरनेशनल मेडिटेशन रिजॉर्ट, पुणे, महाराष्ट्र
ओशो द्वारा बताई गई चौदह ध्यान विधियों से दुनिया भर में लोग उनसे जुड़े। पुणे के उनके इस रिजॉर्ट में सालों विदेशी और देशी सैलानी आते रहते है। आध्यात्म की मूल जानकारी ओशो को सुनने और पढ़ने के बाद कोई भी इस जगह एक बार आना ही चाहता है। सालाना 200,000 लोग तो यहां आते ही है। ओशो का डायनैमिक ध्यान की प्रणाली बहुत मशूहर है। ये ऊर्जा के खर्च होने और फिर शांति की यात्रा जैसा प्रयोग है। संगीत, नृत्य, ध्यान विपश्यना और कुंडलिनी के बहुत सारे अभ्यास के लिए रिजॉर्ट में बहुत सारे कोर्स चलते रहते है। बुद्धा आडिटोरियम में यहां हर रोज सुबह शाम ध्यान की कक्षा लगती है।
ईशा फाउंडेशन, कोयम्बटूर, तामिलनाडु
सद्गुरु जग्गी वासुदेव एक प्रख्यात ध्यान गुरु है। वे अपनी बातों से ही किसी भी को प्रभावित कर लेते है। ईशा फाउंडेशन 1992 में शुरु हुआ और आज वो पूरी दुनिया में सद्गुरु के जरिए पहुंच रहा है। ईशा योग, ईनर इंजीनियरिंग, और ध्यान की कुछ और शिक्षाओं से आप यहां योग और साधना के पथ पर स्वयं को चला सकते है। ये खुद को और मजबूत और स्पष्ट बनाने की प्रक्रिया है। तीन से सात दिन के कोर्स के दौरान बेसिक योग, ध्यान की जानकारी दी जाती है और आपका आपसे परिचय करवाया जाता है। हठ योग, बच्चों के लिए योग, आयुर्वेद की जीवनशैली और कई बार आध्यात्मिक यात्राओं के जरिए यहां जीवन को एक नई सोच दी जाती है।
परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश
हिमालय की गोद में गंगा की धारा के मध्य बसा है परमार्थ निकेतन आश्रम। ऋषिकेश के हजारों योग सेंटरों और ध्यान साधना के केन्द्रों के बीच परमार्थ निकेतन मुकुट की तरह है। यहां हर रोज शाम गंगा आरती की छटा निराली होती है। सुबह चार बजे से योग और ध्यान की साधना यहां आयोजित होती है। साथ ही योग की क्लास, ध्यान की ट्रेनिंग के लिए स्पेशल कार्यक्रम भी आयोजित होते है। स्वामी चिंदानंद सरस्वती और साध्वी भगवती के सानिध्य में यहां आध्यात्म का स्पंदन सदैव मिलता रहता है। आयुर्वेद आधारित कुछ सेवाएं, जैसे पंचकर्म भी यहां दिया जाता है। ध्यान और योग सीखने के लिए जिस खास वातावरण की तलाश सबको होती है, वो यहां चारों ओर आश्रम में मिलता है।
श्री ओरोबिंदो आश्रम, पुड्डुचेरी
1926 में श्री ओरोबिंदो और मदर द्वारा स्थापित आश्रम में ध्यान की साधना होती है। यहां ज्ञान की बहुत ही विस्तृत पूंजी मौजूद है। श्री ओरोबिंदो ने शोध के बाद कई पुस्तकें लिखी, जिनमें भारतीय ज्ञान की पूरी सामग्री मौजूद है। आश्रम में बनें खास पिरेमिड में लोग बैठकर घंटों ध्यान साधना करते है। यहां ध्यान की कोई खास विधि नहीं बताई जाती है, पर समूहों में ध्यान की प्रैक्टिस हर दिन होती है।
माता अमृतानंदमयी आश्रम, कोल्लम, केरल
समुद्र तट पर बसे इस आश्रम में प्रेम और करुणा हर ओर महसूस की जा सकती है। वैसे अम्मा यानि माता अमृतानंदमयी की पहचान उनके सामाजिक कार्यक्रमों से ज्यादा है, पर आश्रम में आने पर आप ध्यान की खास प्रेरणा महसूस कर सकते है। आश्रम के पीछे और दाएं ओर समुद्र और बैकवॉटर होने से यहां आने वाले रेत पर घंटों बैठकर ध्यान साधना करते है। स्वंय के जुड़ने कई अवसर यहां मिलते है। अम्मा के दर्शन और उनके गले लगाने की दिन रात चलने वाली दिव्य प्रक्रिया के दौरान भजन की मधुर प्रस्तुति से साधकों को ध्यान का अहसास मिलता रहता है।
स्वामी रामा साधक ग्राम, ऋषिकेश
हिमालयन इंस्टीट्यूट के संस्थापक स्वामी रामा ने ध्यान को विदेशों में बहुत लोकप्रिय किया है। आज भी उनके ऋषिकेश के आश्रम में बनी कुटियाओं में आपको देश विदेश के बहुत सारे लोग ध्यान की गूढ़ विद्याओं को सीखते मिल जाएंगे। उन्होंने ध्यान को आम जिंदगी से जोड़कर कई सारी विधियों का विकास किया, जो आज लोगों के बीच में लोकप्रिय है।
फूल चट्टी आश्रम, ऋषिकेश
योग और ध्यान की क्लास के जरिए इस आश्रम ने विदेशियों के बीच खास पहचान बनाई है। वैसे 120 सालों से यहां योग और ध्यान की धारा बह रही है। इनकी सात दिन की योग ध्यान की साधना की कोर्स बहुत की लोकप्रिय है। आश्रम में रहने की ठीक व्यवस्था है और साफ सफाई का पूरा ध्यान रखा जाता है। यौगिक पथ आश्रम की सहज जिंदगी का अहसास यहां रहकर किया जा सकता है। हठ योग, अष्टांग योग, लाफ्टर योग जैसी लोकप्रिय योग शिक्षाओं को यहां कम समय में दिया जाता है।
- रिलीजन वर्ल्ड टीम
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