आत्मशुद्धि का दशलक्षण महापर्व शुरू : योगभूषण महाराज
त्रिलोकतीर्थ प्रणेता आचार्य श्री विद्याभूषण जी महाराज के अंतिम दीक्षित शिष्य परम श्रद्धेय, मंत्र महर्षि, धर्मयोगी (डॉ. क्षुल्लकरत्न श्री योगभूषण जी महाराज ने दस लक्षण धर्म के संदर्भ में कहा कि भाद्रपद माह की पंचमी से नए युग के प्रारंभ के उपलक्ष्य में दशलक्षण पर्व मनाए जाते है, जिसमे दस दिन दस धर्मों को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ सामूहिक रूप से बड़े स्तर पर मनाया जाता है । दस धर्म :- उत्तम क्षमा, उत्तम मार्दव, उत्तम आर्जव, उत्तम शौच, उत्तम संयम, उत्तम तप, उत्तम त्याग, उत्तम आकिंचन्य, उत्तम ब्रह्मचर्य ।संयम और आत्मशुद्धि के इस पवित्र पर्व में सभी भक्त भगवान सा होने की प्रक्रिया में जुट जाता है । सभी अपनी – अपनी शक्ति अनुसार व्रत – उपवास करते है ।
जैन मंदिरों में हुई सजावट
इस पर्व को सभी जैन मंदिरों में बहुत ही उत्साह पूर्वक मनाया जाता है । सभी मंदिरों में सुंदर – सुंदर सजावट की जाती है । दस लक्षण के दस दिन में मंदिरों में उत्साह जैसा माहौल बना रहता हैं। सुबह पूजा – पाठ, धान आदि कर के सभी प्रभु के समक्ष अपनी भक्ति का प्रदर्शन करते है व शाम को सांस्कृतिक कार्यक्रम के द्वारा ये उत्सव मनाया जाता है ।
यह भी पढ़ें-दशलक्षण महापर्व: क्या है इसका महत्व, लक्षण और शिक्षा
जीवन को पवित्र बनाता है पर्युषण महापर्व
इन दस दिनों में हम अपने जीवन को पवित्र बनाने का प्रयास करते है। सभी पर्व में सबसे बड़ा पर्व महापर्व पर्युषण पर्व का आगाज हो चुका है । दस लक्षणों (क्षमा, विनम्रता, मृदुता, निर्मलता, सत्य, संयम, तप, त्याग, अपरिग्रह, ब्रह्मचर्य) पालन करने से मनुष्य को इस संसार से मुक्ति मिल सकती है । तो आइए हम सब मिल कर गुरूदेव श्री योगभूषण जी महाराज के सन्मार्ग में अपने जीवन को संयम के पथ पर अग्रसर करें ।
आप सभी को दसलक्षण पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं । ये जानकारी धर्मयोगी गुरुदेव श्री योगभूषण जी महाराज के संघस्थ ब्र. योगांशी दीदी ने दी ।