आगरा, 1 फरवरी; मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पर्यटन विभाग के प्रमुख सचिव के साथ बैठक करते हुए आगरा में सिख धर्म के गुरुओं से जुड़े प्रमुख स्थलों को जोड़ते हुए सिख सर्किट और शोध केंद्र बनाने पर विचार किया है। योगी सरकार की इस योजना का आगरा में सिख समाज ने स्वागत किया है।
यहां चार गुरुद्वारों का एतिहासिक महत्व है। सिख म्यूजियम और शोध केंद्र बनने से एतिहासिक महत्व के साथ धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। नई पीढ़ी सिखों की कुर्बानियों के बारे में जान सकेगी।
गुरूद्वारे जिनके थे ऐतिहासिक महत्त्व
गुरुद्वारा लोहामंडी में पहले गुरु नानक देव जी महाराज आए थे।
गुरुद्वारा दमदमा साहिब में छठे गुरु हरगोविंद साहिब,
गुरुद्वारा माईथान में माता जस्सी ने नवें गुरु तेगबहादुर को कपड़े का थान दिया था, तभी से इसका नाम माईथान पड़ गया।
गुरुद्वारा गुरु का ताल में मंजी साहिब से गुरु तेग बहादुर साहिब ने गिरफ्तारी दी थी।
हाथीघाट गुरुद्वारा में दसवें गुरु गोविंद सिंह महाराज के पावन चरण पड़े।
इन गुरुद्वारों का एतिहासिक और धार्मिक महत्व होने के साथ ही यहां देश-दुनिया से संगत भी मत्था टेकने आती है। सिख म्यूजियम और शोध केंद्र में सिख संगत ने सहयोग करने को कहा है।
यह भी पढ़ें-भारत के प्रमुख सात गुरूद्वारे
सिखों के इतिहास के बारे में मिलेगी जानकारी
सिख म्यूजियम स्थापित होगा तो इससे आगरा का एतिहासिक महत्व और बढ़ेगा। नई पीढ़ी भी वैभवशाली इतिहास के बारे में जान सकेगी।
देश-धर्म की रक्षा के लिए सबसे ज्यादा सिखों की कुर्बानी हुई। शहादत की गौरवगाथा इतिहास में चंद लाइनों तक ही सीमित कर दी, लेकिन म्यूजियम खुलने से सिखों के गौरवशाली इतिहास के बारे में लोग जानेंगे।