सिख धर्म के दसवें गुरु गोबिंद सिंह जी की आज जयंती है. सिख समुदाय के लोग इस जयंती को प्रकाश पर्व के रूप में बड़े ही उमंग और उत्साह के साथ मनाते हैं. आज के दिन गुरुद्वारों में कीर्तन और गुरुवाणी का पाठ होता है.
सिख समुदाय के लोग सुबह प्रभातफेरी निकालते हैं और लंगर का आयोजन किया जाता है. गुरुद्वारों में सेवा की जाती है. गुरुद्वारों के आस-पास खालसा पंथ की झांकियां निकाली जाती हैं. कई लोग घरों में कीर्तन भी करवाते हैं.
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प्रधानमंत्री मोदी ने किया नमन गुरु गोबिंद सिंह जी
इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने श्री गुरु गोविंद सिंह जी के प्रकाश पर्व पर उनका नमन किया है.
The Guru Sahibs have a special Kripa on me that the 350th Parkash Purab of Sri Guru Gobind Singh Ji took place during the tenure of our Government. I recall the grand celebrations in Patna, where I also had the opportunity to go and pay my respects. pic.twitter.com/BNElOBj8hk
— Narendra Modi (@narendramodi) January 20, 2021
प्रधानमंत्री मोदी ने कई ट्वीट करते हुए लिखा कि “मैं गुरु गोविंद सिंह जी के प्रकाश पर्व के पवित्र अवसर पर उनका नमन करता हूं. उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन न्यायपूर्ण और समावेशी समाज बनाने के लिए समर्पित किया. वो अपने सिद्धांतो का पालन करने में अटूट थे. हम उनके साहस और बलिदान का भी स्मरण करते है. श्री गुरु गोविंद सिंह जी के 350वें प्रकाश पर्व के मेरी सरकार के कार्यकाल में स्थान लेने के कारण श्री गुरु साहिब की मुझ पर विशेष कृपा रही है. मैं इस अवसर पर पटना में हुए भव्य समारोह का स्मरण करता हूं,जहां मुझे जाने और सत्कार करने का अवसर प्राप्त हुआ”
I bow to Sri Guru Gobind Singh Ji on the pious occasion of his Parkash Purab. His was a life devoted to creating a just and inclusive society. He was unwavering when it came to upholding his principles. We also recall his courage and sacrifices. pic.twitter.com/eBn7H9uYXO
— Narendra Modi (@narendramodi) January 20, 2021
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आपको बता दें कि गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म बिहार की राजधानी पटना में हुआ था. उनका जीवन परोपकार और त्याग का जीता जागता उदाहरण है. गुरु गोविंद ने अपने अनुयायियों को मानवता को शांति, प्रेम, करुणा, एकता और समानता का पाठ पढाया.
सिखों के दसवें गुरु गुरु गोविंद सिंह ने ही साल 1699 में बैसाखी के दिन खालसा पंथ की स्थापना की थी. उनका जीवन अन्याय, अधर्म, अत्याचार और दमन के खिलाफ लड़ाई लड़ते हुए गुजरा.
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