आज यानी 26 दिसंबर को साल 2019 का अंतिम सूर्य ग्रहण लगने वाला है. ये सूर्य ग्रहण इस साल का तीसरा और आखिरी सूर्य ग्रहण होगा. इस साल का पहला सूर्य ग्रहण 6 जनवरी को लगा था जबकि दूसरा सूर्य ग्रहण 2 जुलाई को लगा था. गुरुवार को लगने वाला तीसरा सूर्य ग्रहण कई मायनों में खास बताया जा रहा है.
क्यों खास है ये सूर्य ग्रहण?
इस साल का आखिरी सूर्य ग्रहण एक आग की अंगूठी की तरह नजर आने वाला है. वैज्ञानिक इसे ‘रिंग ऑफ फायर’ का नाम दे रहे हैं. इस ग्रहण में सिर्फ सूरज का मध्य भाग ही छाया के क्षेत्र में आता है जबकि सूर्य के बाहर का क्षेत्र प्रकाशित रहता है. इस साल के तीसरे सूर्य ग्रहण को वैज्ञानिकों ने वलयाकार ग्रहण बताया है. वलयाकार ग्रहण में सूर्य पर पूरी तरह से ग्रहण नहीं लगता है.
सूर्यग्रहण के पीछे का पौराणिक कारण
ज्योतिषाचार्य आलोक शर्मा के अनुसार सूर्य ग्रहण की कथा समुद्र मंथन से जुड़ी है। प्राचीन काल में देवताओं और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था। इस मंथन में 14 रत्न निकले थे। समुद्र मंथन में जब अमृत कलश निकला तो इसके लिए देवताओं और दानवों के बीच युद्ध होने लगा। सभी इसका पान करके अमर होना चाहते थे। तब भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार लिया और देवताओं को अमृतपान करवाया। उस समय राहु नाम के एक असुर ने भी देवताओं का वेश धारण करके अमृत पान कर लिया था। चंद्र और सूर्य ने राहु को पहचान लिया और भगवान विष्णु को बता दिया। विष्णुजी ने क्रोधित होकर राहु का सिर धड़ से अलग कर दिया, क्योंकि राहु ने भी अमृत पी लिया था, इस कारण उसकी मृत्यु नहीं हुई। राहु का भेद चंद्र और सूर्य ने उजागर कर दिया था। इस वजह से राहु चंद्र और सूर्य से शत्रुता रखता है और समय-समय पर इन ग्रहों को ग्रसता है।
कहां दिखेगा ये सूर्य ग्रहण?
2019 का अंतिम सूर्य ग्रहण भारत, सऊदी अरब, कतर, इंडोनेशिया, श्रीलंका, सुमात्रा, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर और गुआम में नजर आएगा. इसके अलावा एशिया, ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका के अन्य हिस्सों में ये आंशिक ग्रहण की तरह दिखेगा.
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भारत में सूर्य ग्रहण का समय
सूर्य ग्रहण 26 दिसंबर को सुबह 8 बजे से शुरू होगा. इसकी अवधि कुल 5 घंटे 36 मिनट तक होगी. जबकि ग्रहण का सूतक काल 25 दिसंबर रात 8 बजकर 17 मिनट से शुरू हो चुका है. सूतक लगने के बाद किसी तरह के शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं. भारतीय समयानुसार आंशिक सूर्यग्रहण सुबह आठ बजे आरंभ होगा जबकि वलयाकार सूर्यग्रहण की अवस्था सुबह 9.06 बजे शुरू होगी. सूर्य ग्रहण की वलयाकार अवस्था दोपहर 12 बजकर 29 मिनट पर समाप्त होगी जबकि ग्रहण की आंशिक अवस्था दोपहर एक बजकर 36 मिनट पर समाप्त होगी.
क्या कहते हैं ज्योतिषाचार्य
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के डॉ. गणेश प्रसाद मिश्रा बताते हैं कि ऐसा दुर्लभ सूर्यग्रहण 296 साल पहले 7 जनवरी 1723 को हुआ था। उसके बाद ग्रह-नक्षत्रों की वैसी ही स्थिति 26 दिसंबर को रहेगी। इस दिन मूल नक्षत्र और वृद्धि योग में सूर्य ग्रहण पड़ रहा है। 296 साल बाद दुर्लभ योग बन रहे हैं। इस दिन मूल नक्षत्र में 4 ग्रह रहेंगे। वहीं, धनु राशि में सूर्य, चंद्रमा, बुध, बृहस्पति, शनि और केतु रहेंगे। इन 6 ग्रहों पर राहु की पूर्ण दृष्टि भी रहेगी। इनमें 2 ग्रह यानी बुध और गुरु अस्त रहेंगे। इन ग्रहों के एक राशि पहले (वृश्चिक में) मंगल और एक राशि आगे (मकर में) शुक्र स्थित है।
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ज्योतिषाचार्य प्रदीप रघुवंशी के अनुसार 26 दिसंबर को धनु राशि में 6 ग्रहों की युति के साथ सूर्य ग्रहण होने जा रहा है, ये योग 296 साल बाद बना है। गुरुवार को सूर्य, बुध, गुरु, शनि, चंद्र और केतु धनु राशि में रहेंगे। राहु की दृष्टि रहेगी, मंगल वृश्चिक में और शुक्र मकर राशि में रहेगा। इस तरह का सूर्य ग्रहण 7 जनवरी 1723 को 296 साल पहले बना था। अब ऐसा योग 559 साल बाद 9/1/2578 को बनेगा। उस समय सूर्य, बुध, गुरु, शनि, चंद्र और केतु धनु राशि में रहेंगे, राहु की दृष्टि के साथ सूर्य ग्रहण होगा।
पंडित संकेत शर्मा के अनुसार इस साल का अंतिम सूर्य ग्रहण मूल नक्षत्र और धनु राशि में होगा। ग्रहण के समय सूर्य, बुध, गुरु, शनि, चंद्र और केतु धनु राशि में एक साथ रहेंगे। केतु के स्वामित्व वाले नक्षत्र मूल में ग्रहण होगा और नवांश या मूल कुंडली में किसी प्रकार का अनिष्ट योग नहीं होने से प्रकृति को नुकसान की संभावना नहीं है। इस बार सूर्य ग्रहण से पहले चंद्र ग्रहण नहीं हुआ है और आगे भी चंद्र ग्रहण नहीं होने से प्रकृति को बड़े नुकसान की संभावना नहीं है। ग्रहण का प्रभाव मूल नक्षत्र और धनु राशि वालों पर ज्यादा रहेगा।
ग्रहण के दौरान क्या करना चाहिए
ग्रहण के समय सिर्फ मंत्रों जाप करना चाहिए। इस दौरान पूजा-पाठ नहीं करनी चाहिए। ग्रहण समाप्ति के बाद पूरे घर की सफाई करनी चाहिए। ग्रहण से पहले खाने-पीने की चीजों में तुलसी के पत्ते डालकर रखना चाहिए। इससे खाने पर ग्रहण की नकारात्मक किरणों का असर नहीं होता है। भोजन की पवित्रता बनी रहती है। ग्रहण पूर्ण होने के बाद किसी पवित्र में नदी में स्नान करें और दान-पुण्य करें। इस दिन अमावस्या तिथि रहेगी। इसलिए ग्रहण के बाद घर के पितर देवताओं की पूजा करनी चाहिए। इस तिथि पर इनके लिए तर्पण और श्राद्ध कर्म करने की परंपरा है।
ज्योतिष के संहिता स्कंध के अनुसार, शुभ दिनों में पड़ने वाली अमावस्या शुभ फल देने वाली होती है। 26 दिसंबर, गुरुवार को पौष माह की अमावस्या का संयोग भी 3 साल बाद बन रहा है। इससे पहले 29 दिसंबर 2016 को गुरुवार और अमावस्या थी। इसके साथ ही 296 साल पहले हुए सूर्य ग्रहण पर भी गुरुवार और अमावस्या का संयोग बना था। इस संयोग के प्रभाव से ग्रहों की अशुभ स्थिति का असर कम हो जाता है। इससे अच्छी आर्थिक और राजनीतिक स्थितियां बनती हैं।