नववर्ष के पूर्व संध्या पर वृक्षारोपण का लिया व्रत
- कल्पवृक्ष, पीपल वृक्ष, वट वृक्ष और तुलसी का पूजन कर मनायें नव वर्ष
- परमार्थ निकेतन गुरूकुल के ऋषिकुमारों ने वृक्षारोपण कर नववर्ष की पूर्व संध्या पर दिया वृक्षारोपण का संदेश
- नवरात्रि के नौ दिन पाठ भी होगा और पौधे भी लगेंगे, व्रत भी होगा और वृक्षारोपण भी होगा – स्वामी चिदानन्द सरस्वती
ऋषिकेश, 5 अप्रैल। परमार्थ निकेतन में हिन्दू नववर्ष का स्वागत वृक्षारोपण से किया। परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों और सेवकों ने नववर्ष की पूर्व संध्या पर वीरपुर और कुनाव में फलदार, छायादार और औषधीय युक्त पौधों का रोपण किया। साथ ही कल्पवृक्ष, पीपल, वट और तुलसी के पौधों का पूजन कर पौधांे के संरक्षण का संदेश लिया।
आज की दिव्य गंगा आरती में हरिद्वार विकास प्राधिकरण के चेयरमैन महोदय ने सहभाग किया। उन्होने परमार्थ निकेतन के सेवकों के साथ जल संरक्षण के प्रति जागरूक करने हेतु परमार्थ की नवोदित परम्परा वाॅटर ब्लेसिंग सेरेमनी सम्पन्न की। सभी ने मिलकर नया वर्ष, नया हर्ष, नया उत्कर्ष और नये संकल्पों को पूरा करने का संकल्प लिया। परमार्थ परिवार के सदस्यों ने हरिद्वार विकास प्राधिकरण के चेयरमैन महोदय से स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज के विचारोें को साझा करते हुये कहा कि नववर्ष में नये संकल्प लें और जीवन में आगे बढ़े। इस बार प्रयागराज में दिव्य और भव्य कुम्भ मनाया गया। वर्ष 2021 में हरिद्वार में होने वाले कुम्भ मेला को भी स्वच्छ, हरित, दिव्य और भव्य मनाने हेतु विचार विमर्श किया ताकि उत्तराखण्ड से स्वच्छ और हरित कुम्भ, स्वच्छ गंगा और स्वच्छ पर्यावरण संरक्षण का संदेश प्रसारित हो सके। सुश्री नन्दिनी त्रिपाठी जी ने बताया कि पूज्य स्वामी जी महाराज के विदेश यात्रा से आने के पश्चात हरिद्वार की स्वच्छता और हरिद्वार कुम्भ मेला की स्वच्छता के लिये एक योजना बनायी जायेगी ताकि हरिद्वार कुम्भ में आने वाले श्रद्धालु गंगा संरक्षण, जल और पर्यावरण संरक्षण का संदेश लेकर जाये।
शास्त्रों के अनुसार चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की प्रथम तिथि को सृष्टि का आरंभ हुआ था। अतः हिन्दू नववर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को शुरू होता है। इस दिन ग्रह और नक्षत्र में परिवर्तन होता है। हिन्दी महीने की शुरूआत इसी दिन से होती है। इस समय पूरे वातावरण में नव उल्लास, नई उमंग और उत्साह छाया रहता है जो मन को आह्नादित कर देता है। कहा जाता है कि इसी दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि का निर्माण किया था। इसी दिन से नवरात्रि की शुरूआत होती है इसलिये नववर्ष का स्वागत दिव्यता के साथ व्रत, उपवास और पूजन से करते है। चैत्र मास में प्रकृति पेड़-पौधे, फूल, मंजरी आदि से आच्छादित होती है चारों ओर सुगंध ही सुगंध होती है इसलिये इस मास का नाम मधुमास भी है इस मास में सृष्टि में चारों ओर महक प्रस्फुटित होती है और नई फसल पकने लगती है वास्तव में चैत्र मास उत्सव मनाने का मास है क्योंकि इस माह में प्रकृति अनेक सौगात देती है अब समय आ गया है कि हम प्रकृति को सौगात दे, उसकी हरियाली को बनाये रखने के लिये पौधों का रोपण करे।
इस अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने अमरीका से भेजे अपने संदेश में देशवासियांे को हिन्दू नववर्ष की शुभकामनायें देते हुये कहा कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को बंसतोत्सव के रूप में नववर्ष महोत्सव का आरंभ होता है। जब ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना प्रारंभ की थी तब से इसे नव वर्ष के रूप में माना जाता है। चैत्र नववर्ष से ही नवरात्रि पर्व का शुभारम्भ होता है। नवरात्रि में व्रत करे साथ ही वृक्षारोपण भी करे; पाठ करे साथ ही पौधों का रोपण भी करे और नवरात्रि से नव सृजन की यात्रा की ओर बढ़े। अब धीरे-धीरे जीवन से प्लास्टिक के प्रयोग को समाप्त करे; पर्यावरण मित्र बने और स्वच्छता की ओर बढ़े। भीतर का पर्यावरण व्रत के माध्यम से शुद्ध होता है, पवित्र होता है और बाहरी पर्यावरण के लिये हम स्वयं वृक्षारोपण के लिये संकल्पित हो। स्वच्छता को जीवन में धारण करे। उन्होने कहा कि व्रत और उपवास हमारी प्रवृति को बदलते है और बाहरी स्वच्छता हमारी प्रकृति को बदलती है।
परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों एवं देशी-विदेशी सेवकों ने नववर्ष के स्वागत में परमार्थ निकेतन और आस-पास के क्षेत्र में स्वच्छता अभियान चलाया। सभी ने मिलकर विश्व शान्ति हेतु हवन किया। आज की परमार्थ गंगा आरती में सभी ने स्वच्छ और हरित पर्व मनाने का संकल्प लिया। हरिद्वार विकास प्राधिकरण के चेयरमैन महोदय को पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक रूद्राक्ष का पौधा भेंट किया।