बालोऽहं जगदानन्द न मे बालासरस्वती ।
अपूर्णे पञ्चमे वर्षे वर्णयामि जगत्रयम् ।।
श्रृंगेरी शारदा पीठ में अध्ययन कर अब अध्यापन की सेवा दे रहे श्री गणेश भट्ट जी का पुत्र बालकृष्ण जिसकी उम्र मात्र ढाई वर्ष की है, अपनी तोतली आवाज में कई श्लोक, तर्कसंग्रह और रामायण आदि के कथानक कण्ठस्थ है।
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पूज्य स्वामिश्री अविमुक्तेश्वरानंद का स्नेह प्राप्त करता संस्कृत वाङ्मय का सबसे छोटा और सबसे प्यारा योध्दा बालकृष्ण भट्ट
- कार्तिक शुक्ल एकादशी, श्रृंगेरी, चिक्मंगलुर, कर्नाटक, दक्षिण भारत – छायापुरुष