2021 के महाकुम्भ को प्लास्टिक मुक्त-पर्यावरण युक्त कुम्भ बनाने पर संतों की चर्चा
ऋषिकेश, 10 जून; परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने योगगुरू स्वामी रामदेव जी महाराज, आचार्य श्री बालकृष्ण जी, पंचपरमेश्वर महामण्डलेश्वर स्वामी महेशानन्द जी महाराज, महामण्डलेश्वर स्वामी जगदीश्वरानन्द जी महाराज, महामण्डलेश्वर स्वामी हरिचेतनानन्द जी महाराज, महामण्डलेश्वर स्वामी अर्जुनपूरी जी महाराज एवं अन्य पूज्य संतों के साथ वर्ष 2021 के हरिद्वार महाकुम्भ को प्लास्टिक मुक्त कुम्भ, विद्युत कुम्भ, आध्यात्म के साथ सामाजिक सरोकार, वैश्विक समस्याओं का केन्द्र, योग व आयुर्वेद को विश्व के कोने-कोने तक पहुंचाने और पर्यावरण संरक्षण कुम्भ बनाने हेतु विशद चर्चा की.
पूज्य संतों ने कुम्भ को दिव्य, भव्य, समृद्ध बनाने के साथ जागरण का संदेश प्रसारित करने का माध्यम बनाने के लिये अपने विचार व्यक्त किये.
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि कुम्भ एक ऐसा मंच है जहां से भीतरी और बाहरी पर्यावरण को शुद्ध बनायें रखने के लिये हम सभी को मिलकर कार्य करने की जरूरत है. उन्होने कहा कि अब कुम्भ में अध्यात्म के साथ समसामयिक समस्याओं पर विचार विमर्श होना चाहिये. साथ ही समाज में फैली कुरीतियों को भी संतों के उद्बोधनों के माध्यम से हम समाधान कर सकते है. स्वामी जी ने कहा कि आज सबसे बड़ी समस्या है ग्लोबल वार्मिग, एकल उपयोग प्लास्टिक, जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण जैसी अनेक पर्यावरणीय समस्यायें है जिन पर संत समाज आगे आकर अपने विचार व्यक्त करे तो विलक्षण परिवर्तन हो सकता है. उन्होने कहा कि संतों की वाणी उनके अनुयायियों के लिये गीता के उद्घोष की तरह होती है मुझे लगता है इस बार का कुम्भ ऐसा परिवर्तन लाये की आने वाली पीढ़ियों को पर्यावरण प्रदूषण से होने वाली समस्याओं का सामना न करना पड़े. स्वामी जी महाराज ने कहा कि इस बार का कुम्भ निश्चित रूपेन भारत को एक नये भारत की ओर ले जायेगा. यह कुम्भ युवाओं को नई दिशा देगा.
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स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने बताया कि पूज्य संतों के साथ हुई वार्ता अत्यंत सुखद रही. मुझे पूरा विश्वास है कि आने वाला समय लोकहितकारी और सुखद परिणाम लेकर आयेगा.
स्वामी जी महाराज ने कहा कि उत्तराखण्ड योग और अध्यात्म की भूमि है वास्तव में यहां पर होने वाला कुम्भ नवोदित आयामों को साथ लेकर आयेगा और लोगों का मार्ग प्रशस्त करेगा. उन्होने इस बात पर भी जोर दिया कि हम कुम्भ के दौरान जगह-जगह पर भण्डारे करवाते है. भण्डारे तो हो परन्तु प्लास्टिक की प्लेट का उपयोग न किया जाये. साथ ही उस स्थान से वृक्षारोपण, कचरा-कूडा प्रबंधन, शौचालय का प्रयोग, बेटी-पढ़ाओ जैसे संदेश प्रसारित हो. कुम्भ क्षेत्र में जहां पर भी नजर जायें वहां पर प्रेरक सद्वाक्य लिखे हो वेद मंत्र और वसुधैव कुटुम्बकम् का संदेश हो जिससे श्रद्धालुओं को लगे की वास्तव में हम किसी स्वर्ग में है.