वृक्ष कांवड़ यात्रा : श्रावण में गायत्री परिवार की प्रेरणादायी पहल
सावन के साथ ही कांवड़ यात्रा भी शुरू हो जाती है। सावन के महीने में जगह-जगह केसरिया रंग के कपड़े पहने, कंधे पर कांवड़ लेकर चलते हुए शिवभक्त देखे जा सकते हैं। कांवड़ियां भगवान शिव की आराधना करते हुए गंगा से जल लाते हैं और किसी विशेष शिव मंदिर के शिव अर्थात कल्याणकारी। आज के समय में शिव आराधना के साथ प्रकृति को जोड़ने का एक अनुपम प्रयोग है वृक्ष कावड़ यात्रा । विश्व गायत्री परिवार प्रमुख डॉ प्रणव पंड्या के आवाहन पर सन 2016 से वृक्ष कावड़ यात्रा का शुभारंभ किया गया। उत्तर, मध्य भारत सहित समग्र देश में गायत्री परिवार द्वारा श्रावण महीने में कावड़ यात्रा का पैमाने पर आयोजन होता है।
एक व्यक्ति एक वृक्ष के संकल्प के साथ यह कावड़ यात्रा नगर में निकाली जाती है । वृक्ष से प्रकृति की साधना और जलाभिषेक से शिव की आराधना करते हैं । गायत्री उपासक गुरु पूर्णिमा से श्रावणी पूर्णिमा एक माह तक प्रतिदिन यह कार्यक्रम पूरे भारत एवं विश्व में चलाते हैं।
डॉ प्रणव पंड्या जी के अनुसार अपने आराध्य पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य की जन्म शताब्दी पर संकल्पित वृक्ष गंगा अभियान के अंतर्गत यह वृक्ष कावड़ यात्रा का विचार हम सब में आया। आज कांवड़ यात्रा को लेकर जहां एक और विवाद है, तो दूसरी और गायत्री परिवार जैसे संगठन वृक्ष का लड़का ने नई पहल कर एक विचारधारा को जन्म दे रहे हैं।