पश्चिम की धरती से परमार्थ निकेतन आया चिकित्सकों का दल
- अमेरीका और वियतनाम से आये चिकित्सकों ने तीर्थ नगरी ऋषिकेश के विद्यालयों में छात्रों का किया स्वास्थ्य परिक्षण एवं हाइजीन के विषय में किया जागरूक
- छः से चौदह वर्ष तक के छात्रों का किया स्वास्थ्य परिक्षण, विटामिन, मिनरल, कैल्शियम एवं स्वच्छता सामग्री वितरीत की
निष्काम सेवा ही सबसे बड़ा धर्म -स्वामी चिदानन्द सरस्वती
ऋषिकेश, 25 अक्टूबर। परमार्थ निकेतन आश्रम मंे अमेरीका एवं वियतनाम से आया दस चिकित्सकों का एक दल ने परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज के सानिध्य एवं मार्गदर्शन में तीर्थनगरी ऋषिकेश के विद्यालय, परमार्थ गुरूकुल ऋषिकेश, प्रकाश भारती संस्कार शाला एवं विद्यालय एवं वीरपुर परमार्थ गुरूकुल में छात्र-छात्राओं का स्वास्थ्य परिक्षण किया।
परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष, ग्लोबल इण्टरफेथ वाश एलांयस के सह-संस्थापक पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के पावन सानिध्य मंेे डॉ टोंग, डॉ रवि कौशल एवं वियतनाम एवं अमेरीका से आये चिकित्कों ने दीप प्रज्जवलित कर स्वास्थ्य शिविर का विधिवत शुभारम्भ किया।
चिकित्सक दल के प्रमुख डॉ टोंग के निदेशन में डॉ धन कासी घेल, डॉ कामुन चान, डॉ दीप्ती धन, डॉ खन्ह धन एवं डॉ लाम ठन्ह एक सप्ताह तक परमार्थ निकेतन में रहकर ऋषिकेश के विद्यालयों एवं आस-पास के क्षेत्र में जाकर लोगो को स्वास्थ्य सुविधायें उपलब्ध करायेंगे। इस दल के सदस्यों ने आज प्रकाश भारती संस्कार शाला एवं विद्यालय में जाकर छात्रों का स्वास्थ्य परिक्षण किया तथा उन्हे विटामिन, मिनरल एवं कैल्शियम की खुराक दी गयी।
चिकित्सकों ने छात्रों को स्वच्छता की जानकारी देते हुये दांतांे की स्वच्छता का अभ्यास कराया तथा स्वच्छता सामग्री एवं टूथ ब्रश वितरीत किये।
पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि बच्चों के शारीरिक एवं मानसिक विकास के लिये पोषक तत्वों का सेवन अति आवश्यक है। इसी क्रम में हमने स्कूलों में ’मेरा स्कूल मेरा पेड़’, ’मिड डे फ्रूट योजना’ शुरू की है साथ ही उत्तराखण्ड के अनेक स्कूलों में फलदार पौधों का रोपण किया है। उन्होने कहा कि समय-समय पर बच्चों का स्वास्थ्य परिक्षण एवं उन्हे स्वच्छता के विषय में जानकारी देना आवश्यक है।
पूज्य स्वामी जी ने कहा कि ’निष्काम सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है। यह डॉक्टरों का दल अपने अवकाश काल मेें भी समाज की, बच्चों की सेवा करने हेतु भारत आया है। लोग अवकाश के पलो को आपने आनन्द के लिये व्यतित करते है परन्तु इन्होने गरीबों की सेवा में ही आनन्द को खोज लिया हैं; इनके लिये यह जरूरी नहीं की हमें क्या चाहिये बल्कि यह की हम समाज को क्या दें सकते है; हमारी जरूरत कहां पर है यही तो साधना है।’
डॉ टोंग ने कहा कि ’भारत के बच्चों में कुपोषण की समस्या अत्यधिक पायी गयी है। हमारा यह प्रयास है कि हम बच्चों के बेहतर शारीरिक एवं मानसिक विकास के लिये सहयोग करें पूज्य स्वामी जी की कृपा से हमें गंगा के तट पर आकर यह कार्य करने का अवसर प्राप्त हुआ हमारे लिये यह गर्व का विषय है।’
इस दल के सदस्यों ने सायकालीन गंगा आरती में सहभाग किया उसके पश्चात सत्संग का भी लाभ लिया।