ध्यान एक अवस्था को कहा गया है। मानिसक प्रक्रिया के तौर पर ध्यान को खुद को बदलने, समझने और रूपांतरित करने का सबसे सशक्त तरीका बताया गया है। ध्यान करने के लिए तीन चीजों की जरूरत बताई गई है। खुद की इच्छा, ध्यान करने का ज्ञान और एक खास अनुशासन की पालना। रिलीजन वर्ल्ड ध्यान की इस खास दुनिया में आपको ले जाने के लिए एक खास सीरीज शुरू कर रहा है। इसके तहत आप दुनिया में प्रचलित, गुप्त और विशेष ध्यान के प्रकारों और उसके प्रभावों को समझ पाएंगे। हम पूरी दुनिया में होने वाले ध्यान को आपके सामने पेश करेंगे। आप इससे ये समझ बना पाएंगे कि कौन सा ध्यान किसलिए किया जाता है। साथ ही आप कौन सा ध्यान करके जीवन को और ज्यादा जी सकते हैं।
पेश है हमारी दूसरी खोज…
जानिये क्या है प्रेक्षा ध्यान…What is Preksha Meditation?
‘प्रेक्षा’ शब्द ईश धातु से बना है. इसका अर्थ है- देखना. प्र+ईक्षा=प्रेक्षा, यानी गहराई में उतर कर देखना. विपश्यना का भी यही अर्थ है. इसे ही हिन्दू दर्म में साक्षी ध्यान कहते हैं. इसे वेद में दृष्टा हो जाना कहते हैं.
सिर्फ देखना ही है प्रेक्षा ध्यान
विपश्यना में श्वासों को देखना मूल तत्व है जबकि प्रेक्षा में सिर्फ देखना हर उस हरकत को जो आपके शरीर और मन से जुड़ हुई है. चेतना को देखने की साधना ही प्रेक्षा ध्यान है. सर्वप्रथम भाव और विचारों के आवागमन को देखना और जानना.
प्रेक्षा के माध्यम से स्वयं के द्वारा स्वयं की आत्मा अर्थात स्वयं को देखने की साधना की जाती है. इसके लिए सबसे पहले मन के द्वारा सूक्ष्म मन को, स्थूल चेतना के द्वारा सूक्ष्म चेतना को देखने की साधना की जाती है. ‘देखना’ ध्यान का मूल तत्व है.
ध्यान का पहली स्टोरी – विपश्यना ध्यान: अभ्यास से शारीरिक व मानसिक तनाव को दूर करने की है साधना
कैसे देखना सीखें
साधना के दो सूत्र हैं- ‘जानो और देखो.’ चिंतन और विचार का पर्यालोचन करो, यानी उन्हें सिर्फ सोचो मत, देखने का प्रयास करो, देखने का अभ्यास करो. यही अभ्यास प्रेक्षा ध्यान है. जब हम देखते हैं, तब सोचते नहीं और जब सोचते हैं, तब देखते नहीं. विचारों का जो अनंत सिलसिला चलता रहता है, उसे रोकने का पहला और अंतिम साधन है- ‘देखना.’ कल्पना के चक्रव्यूह को तोड़ने का सशक्त उपाय है- ‘देखना.’ देखना दो तरह का होता है. पहले भीतर देखें और फिर बाहर दृश्य को देखें. पहले भीतर का अभ्यास करेंगे तो बाहर को साक्षी भाव से देखना स्वत: ही आ जाएगा.
आचार्य तुलसी के सूत्र
आचार्य तुलसीजी ने प्रेक्षाध्यान के 5 सूत्र बताए गए है. पहला भावक क्रिया (मन की एकाग्रता का प्रयास), दूसरा श्रुतिक्रिया (सुनने-समझने में जागरूक रहे), तीसरा मैत्री भाव (सब प्राणियों के प्रति मैत्री की भावना), चौथा भोजन का संयम व पांचवा वाणी का संयम. जीवन शैली के भी 5 सूत्र हैं. आचार्य तुलसीजी ने किसी भी विशेष लक्ष्य की प्राप्ति के लिए चार सूत्रीय योजना निर्मित की है-
- अभिप्रेरणा
- एकाग्रता
- शिथिलीकरण
- द्रष्टाभाव
प्रमाद यानी बेहोशी. अप्रमाद की इस साधना-पद्धति है के मुख्य आठ प्रयोग हैं-
- कायोत्सर्ग या शवासन
- अंतर्यात्रा
- श्वास प्रेक्षा (अपनी आती-जाती सांसों को ‘देखने’ की साधना)
- शरीर प्रेक्षा (आंखें बंद कर मानस चक्षु से शरीर के विभिन्न अंगों को देखने की साधना)
- चैतन्य-केंद्र प्रेक्षा (अपनी चेतना के स्रोत और उसके केंद्र को देखने की साधना)
- लेश्या ध्यान (शरीर और मानस के आभा मंडल के रंगों को देखने की साधना)
- अनुप्रेक्षा (स्वभाव परिवर्तन के लिए संकल्प लेना और उन संकल्पों को ‘देखने’ की साधना)
- भावना.
यह भी पढ़ें – आतंरिक ऊर्जा का निर्माण करता है ध्यान
प्राचीन ग्रंथों में 12 से 16 अनुप्रेक्षाएं वर्णित हैं. आचार्य श्रीतुलसी और आचार्य श्रीमहाप्रज्ञ की के शोध के कारण अब बढ़कर इनकी संख्या 30 हो गई है. पुरानी आदतों को मिटाकर नए संस्कारों के निर्माण के लिए अनुप्रेक्षा बहुत महत्वपूर्ण उपाय है.
उपरोक्त 8 प्रयोगों के 4 सहायक प्रयोग और 3 विशिष्ट प्रयोग हैं. सहायक प्रयोग हैं-
- आसन
- प्राणायाम
- ध्वनि
- मुद्रा
विशिष्ट प्रयोग हैं-
- वर्तमान क्षण की प्रेक्षा,
- विचार प्रेक्षा
- अनिमेष प्रेक्षा.
प्रेक्षा ध्यान के लाभ
इससे हमें भावात्मक, मानसिक, शारीरिक और व्यावहारिक लाभ प्राप्त होते हैं. प्रेक्षा ध्यान के माध्यम से हम सत्य की खोज कर सकते हैं. इस ध्यान को निरंतर करते रहने से उक्त चारों स्तरों पर व्यापक परिवर्तन हो जाता है. इससे व्याधि, आधि और उपाधि से मुक्त होकर व्यक्ति उत्तम स्वास्थ्य प्राप्त करता है. प्रेक्षा हमें अतींद्रिय ज्ञान से संपन्न करता है. इससे सुख-दुख, प्राप्ति-अप्राप्ति, लाभ-हानि, यहां तक कि जन्म-मृत्यु के बीच संतुलन स्थापित करने का प्रयास भी कर सकते हैं. प्रेक्षा ध्यान द्वारा मानसिक तनाव हटकर भावात्मक बीमारियां दूर होती हैं.
———————————
Religion World is one and only indian website to give information of all religions. We are dedicated to present the religions. You can send any info, news, engagements and advice to us on – religionworldin@gmail.com – or you can WhatsApp on – 9717000666 – we are also on Twitter, Facebook and Youtube.