कुछ लोग बहुत खर्चीले होते हैं। उनके हाथ में धन कभी टिकता नहीं है। ऐसे व्यक्ति जीवन में कभी धन संचय नहीं कर पाते। ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार, “भले ही पैसा सब कुछ ना हो, लेकिन बहुत कुछ तो जरूर है”, ये कथन शत-प्रतिशत सच है। पहले के दौर में सामाजिक ओहदा आपके ज्ञान और विचारों से तय होता है लेकिन आज के समय में यह सब आपके बैंक बैलेंस को देखकर निर्धारित होता है।
सौरमंडल के नौ ग्रह, काल, नक्षत्र आदि सब मिलकर बारह राशियों का निर्माण करते हैं और हर कुंडली में बनने वाल धन योग अलग-अलग ग्रहों से बनता है। ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की ज्योतिषशास्त्र के अंतर्गत यह माना जाता है अगर किसी जातक की कुंडली में धन योग या धन को आकर्षित करने वाले अथवा खर्चा करवाने वाले ग्रह मौजूद हैं तो उसे धनवान होने से या खर्चीला होने से कोई रोक नहीं सकता। अगर ऐसा वाकई है तो यकीन मानिए आपकी किस्मत के सितारे किस ओर जा रहे हैं, आप मेहनत कर रहे हैं या नहीं, इस बात से भी कोई अंतर नहीं पड़ता।
आईए जानते हैं वे कौन से योग होते हैं जिनके फ़लस्वरूप जातक खर्चीला होता है…
किसी भी जन्मपत्रिका के बारहवें भाव को व्यय भाव कहा जाता है। जन्मपत्रिका के दूसरे भाव से संचित धन का विचार किया जाता है वहीं एकादश भाव से आय व लाभ का।
– यदि धन भाव का अधिपति (धनेश) व्यय भाव में हो और व्ययेश की उस पर पूर्ण दृष्टि हो।
– यदि व्यय भाव का अधिपति (व्ययेश) लाभ भाव के अधिपति (लाभेश) के साथ युतिकारक होकर व्यय भाव में हो।
– यदि धनेश व लाभेश अशुभ भाव में हो एवं व्ययेश व्यय भाव में हो।
– यदि व्ययेश की दृष्टि व्यय भाव पर हो।
– यदि व्ययेश स्वराशिस्थ होकर व्यय भाव में हो।
– यदि धनेश व्यय भाव में हो एवं व्ययेश स्वराशिस्थ हो व लाभेश अशुभ भावों में हो।
– यदि धन भाव पर राहु की दृष्टि हो व धनेश अशुभ भावों हो एवं व्ययेश व्यय भाव में हो।
– यदि व्यय भाव में चर राशि हो अथवा व्ययेश चर राशिगत हो।
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार यदि उपर्युक्त योग किसी जातक की जन्मपत्रिका में हों तो यह जातक को खर्चीला बनाते हैं।