Coronavirus : उत्पात काल कब तक ?
वाराह मिहिर संहिता के अनुसार 8 माह में उत्पात का शमन होना चाहिए। वशिष्ठ जी के मुताबिक 8 माह अथवा संवत्सर पर्यांत शमन हो जाना चाहिए। 18 नवंबर 2019 को चीन से रिपोर्ट की गई घटना कोविड 19 के बाद दिसंबर में वृहस्पति अस्त हो गए और सूर्य ग्रहण की स्थिति बनी तो उत्तराषाण में शनि के आने से जीवों का विनाश और प्रजा में क्रंदन होने लगता है। शनि वृहस्पति और मंगल तीनों मकर राशि के हो गए हैं सो कोई मार्ग पर नहीं दिखता सभी अपने अपने घरों में हैं।
भगवान पुनर्वसु ने कहा जब घृणा भाव बढ़ जाता है, मनुष्यों के विचार और क्रियाएँ दूषित हो जाती हैं तो महामारी होती है। चरक ने भी कहा है कि सबसे बडा रोग है प्रज्ञापराध यानी जानबूझकर बुद्धि पूर्वक किया गया अपराध का परिणाम सबसे भयानक है। महात्मा तुलसी दास ने कहा कि जो सबकी निंदा करता है अगले जन्म में चमगादड़ हो जाता है। और चमगादड़ के तो मलद्वार भी नहीं होता और अगर उनका वध भी बुद्धि पूर्वक हो तो प्रकृति कुपित होगी ही। इसका उपाय यही है क्या हम प्रकृति से क्षमायाचना करें।
प्रातःकाल में दुर्गा दुर्गा नाम जप करने से ही सारे आपदा नष्ट हो जाते हैं। भगवान सूर्य की उपासना से संपूर्ण रोग नष्ट होते हैं। भगवान सूर्य 13 अप्रैल को रात्रि 10.30 बजे मेष राशि में जो उनकी सर्वोच्च राशि है उसमें प्रवेश करेंगे। फिर 13-14 मई पर्यंत इसका शमन होने लगेगा। जब घोर संकट उत्पन्न हो जाए तो….हरं हरिं हरिश्चन्द्रं हनुमंतम् हलायुधम् का स्मरण करें
जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी
दुर्गा शिवा क्षमा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते।
का पाठ भी अपेक्षित है
अच्युतानंत गोविन्द नामोच्चारण भेषजात
नश्यन्ति सकला रोगा: सत्यम सत्यम वदाम्यहम्
हम पवित्र हो जाएं। पवै: त्रायते इति पवित्र: यानी जो पवै: यानी वज्र से भी हमारी रक्षा करे वो पवित्र है। ये महामारी कुछ भी नहीं है, वज्रपात भी हो जाए तो भी पवित्रता हमारी रक्षा करती है।
असंग रूपी शस्त्र का प्रयोग करें। लोगों से दूरी बना लें। किसी को भी दोष न दें। इसे प्रारब्ध जन्य कष्ट मान कर हम सब का कर्तव्य है कि एक दूसरे के प्रति सद्भावना रखते हुए सबकी मंगल कामना करते हुए परस्पर सौहार्द बनाए रखें और परमपिता के चरणों में प्रणिपात करते हुए संपूर्ण विश्व के मंगल की कामना करें
हरि ॐ ।।
सौजन्य : प्रोफेसर पं गिरिजा शकर शास्त्री, ज्योतिष विभाग बीएचयू ।