चैत्र नवरात्रि की अष्टमी कब करें, 24 या 25 मार्च 2018 को ?
इस वर्ष चैत्र नवरात्रि में अष्टमी को लेकर भ्रम फैला हुआ है। कई मन्दिरों में ये 24 मार्च को तो कई मन्दिरों मे 25 मार्च को मनाया जा रहा है। इसलिए आम जनता में भ्रम है।
आईये जानते है ज्योतिषाचार्य पण्डित दयानन्द शास्त्री जी के उनके विचार ज्योतिष व शास्त्रो के माध्यम से….
नवरात्रि 9 दिन के बनाये जाते है जिसमे देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों का पूजन किया जाता है। हमारे धर्म शास्त्रों के अनुसार, देवी दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए नवरात्रि के दौरान लोग व्रत करते है। प्रतिदिन पूरे विधि विधान से माँ दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों का पूजन करते है। वैसे तो नवरात्रि के सभी नौ दिनों में देवी स्वरुप कन्यायों के पूजन का विधान है परन्तु अष्टमी और नवमी तिथि को कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है।
पिछले कई वर्षों में केवल 2014 में ही चैत्र नवरात्रि नौ दिन की हुई थी। उसके बाद से यह लगातार 8 दिन की पड़ रही है इसका कारण तिथियो का आपस मे मिलना है।
पण्डित दयानन्द शास्त्री ने बताया कि इस वर्ष भी 24 मार्च को सुबह 10:07 मिनट पर अष्टमी तिथि लग जायेगी जो 25 मार्च को सुबह 8:03 मिनट पर अष्टमी तिथि समाप्त होगी इसका अर्थ हुआ कि 10:07 से 25 की सुबह 8:05 तक अष्टमी मना सकते है
ज्योतिष का नियम कहता है कि जिस तिथि मे सूर्य उदय हो उस तिथि को लेना चाहिए। इस वर्ष 25 मार्च को सूर्य सुबह 6:30 पर उदय हो रहा है उस समय अष्टमी तिथि लगी हुई है ओर नवमी तिथि का क्षय हो रहा है न कि अष्टमी तिथि का क्षय तिथि का अर्थ है ।
सूर्य उदय के बाद शुरू होकर अगले दिन सूर्य उदय से पहले समाप्त तिथि को क्षय बोला जाता है यानि नवमी तिथि 25 मार्च 8:04 मिनट पर शुरू हो कर 26 मार्च को सूर्य उदय से पहले समाप्त हो रही है। इस कारण से नवमी 25 मार्च को बनाई जायेगी व अष्टमी तिथि भी सूर्य उदय मे हो रही है तो इस चेत्र नवरात्रि में अष्टमी व नवमी तिथि दोनो एक ही दिन 25 मार्च 2018 को मनाई जायेगी ।
24 मार्च को सूर्य उदय के समय सप्तमी तिथि लगी है अष्टमी तिथि नहीं।
आइए अध्यात्मिक दृष्टि से समझते हैं मां दुर्गा के प्रत्येक स्वरूप को 9 दिनों में देखा गया है। प्रत्येक दिन का एक रूप माना गया है। दिनों के हिसाब से देखें तो आज 23 मार्च को छठा नवरात्रा है ओर कल 24 सातवां, और परसों 25 मार्च को आठवां ओर 26 को नवम्।मगर यहा नवम तिथि का क्षय होने के कारण नवम नवरात्रा अषटम मे मिल गया जो एक नवरात्रा कम हो गया इस हिसाब से अष्टमी 25 मार्च को बिना किसी भ्रम व बिना किसी टाईम देखे बनाये ओर माता रानी से व भगवान श्री राम चन्द्र जी से झोलियां फैला कर अपने व अपने परिवार वालों के लिए खुशियां मांगे l
नवरात्रि का हवन 25 तारीख को दोपहर में 2 बजे के बाद कभी भी किया जा सकता है।
कुछ लोगों का ऐसा भी भ्रम है कि कन्या पूजन कैसे करें? तो उनके लिए सीधा नियम ये लागू होगा कि यदि वो अष्टमी को कन्या पूजन हर साल से करते चले आ रहे है तो वो इस बार 25 तारीख को 8:30 से पहले करेंगे। यदि वो हर साल नवमी में कन्या पूजन करते थे तो 25 को ही 8:30 के बाद करेंगे।