वर्ष 2019 में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी कब है ( Janmashtami 2019 ) ?
- भगवान श्रीकृष्ण का 5246वाँ प्राकट्य दिवस पर्व 24 अगस्त को मनाया जाए या नही ?
- किस मुहूर्त में इस वर्ष 2019 में भगवान कृष्ण लेंगे जन्म ?
- भगवान कृष्ण की पूजा स्मार्त, शैव और वैष्णव संप्रदाय में सभी वर्ग करते हैं
- धर्म सिन्धु के अनुसार उदया तिथि को पालन करते हुए पूजा करते हैं तो कुछ सिर्फ मुहूर्त को ही प्रधानता देते हैं
रिलीजन वर्ल्ड ब्यूरो। जन्माष्टमी हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार सृष्टि के पालनहार श्री हरि विष्णु के आठवें अवतार नटखट नंदलाल यानी कि श्रीकृष्ण के जन्मदिन को श्रीकृष्ण जयंती या जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है। अष्ठमी की रात 12 बजे भगवान का श्रीकृष्ण का संकेतिक रूप से जन्म होने पर व्रत का परायण किया जाता है। बहुत से लोग मथुरा जाकर भगवान श्रकृष्ण की जन्मभूमि का दर्शन करते हैं। यह हिन्दुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है। कहा जाता है कि इस दिन सृष्टि के पालनहार श्री हरि विष्णु ने श्रीकृष्ण के रूप में आठवां अवतार लिया था।
हालांकि इस बार कृष्ण जन्माष्टमी की तारीख को लेकर लोगों में काफी असमंजस में हैं। लोग उलझन में हैं कि जन्माष्टमी 23 अगस्त या फिर 24 अगस्त को मनाई जाए?
ऐसे कई सवाल अभी से लोग पूछ रहे हैं। आपको बता दें कि इस साल देशभर में जन्माष्टमी 23 अगस्त को मनाई जाएगी या 24 अगस्त को इसको लेकर उलझन की स्थिति है। मामला उलझा है तिथि और नक्षत्र को लेकर।
दरअसल अगर भाद्रपद कृष्ण पक्ष अष्टमी की तिथि को देखें तो 23 अगस्त 2019 की तारीख कृष्ण जन्माष्टमी के लिए निकलता है। जबकि कान्हा का जन्मदिन रोहिणी नक्षण में मनाने की परंपरा का पालन उनकी जन्म स्थली मथुरा में है। अब इसी को लेकर पूरे देश में उलझन है कि आखिर जन्माष्टमी का व्रत कब रखें और जन्मोत्सव कब मनाएं?
आचार्य पं. दयानन्द शास्त्री जी ने बताया कि भगवान कृष्ण की पूजा स्मार्त, शैव और वैष्णव संप्रदाय में सभी वर्ग करते हैं। धर्म सिन्धु के अनुसार उदया तिथि को पालन करते हुए पूजा करते हैं तो कुछ सिर्फ मुहूर्त को ही प्रधानता देते हैं। वहीं किसी के लिए नक्षत्र ही सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। स्मार्त और शैव संप्रदाय के लोग जिस दिन जन्माष्टमी मनाते हैं, उसके अगले दिन वैष्णव संप्रदाय जन्माष्टमी मनाता है।
जन्माष्टमी की तिथि और शुभ मुहूर्त (Janmashtami 2019)
जन्माष्टमी की तिथि: 23 अगस्त और 24 अगस्त.
अष्टमी तिथि प्रारंभ: 23 अगस्त 2019 को सुबह 08 बजकर 09 मिनट से.
अष्टमी तिथि समाप्त: 24 अगस्त 2019 को सुबह 08 बजकर 32 मिनट तक.
रोहिणी नक्षत्र प्रारंभ: 24 अगस्त 2019 की सुबह 03 बजकर 48 मिनट से.
रोहिणी नक्षत्र समाप्त: 25 अगस्त 2019 को सुबह 04 बजकर 17 मिनट तक।
जानिए श्री कृष्ण जन्माष्टमी पूजा का शुभ मुहूर्त
अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12:04 से 12 :55 बजे तक
जन्माष्टमी निशिता पूजा का समय – मध्य रात्रि 12:09 से 12: 47 बजे तक
निशिता पूजा शुभ मुहूर्त की अवधि – 38 मिनट
कब करें व्रत का पारण ?
जन्माष्टमी के दिन सुबह स्नान करने के बाद भक्त व्रत का संकल्प लेते हुए अगले दिन रोहिणी नक्षत्र और अष्टमी तिथि के खत्म होने के बाद पारण यानी कि व्रत खोल सकते हैं। कृष्ण की पूजा आधी रात को की जाती है।
जन्माष्टमी के दिन व्रत रखने वालों को अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र के खत्म होने के बाद व्रत का पारण करना चाहिए। अगर दोनों का संयोग नहीं हो पा रहा है तो अष्टमी या रोहिणी नक्षत्र उतरने के बाद व्रत का पारण करें।
इस वर्ष 2019 की जन्माष्टमी पर उलझन यह है कि लोग 23 या 24 अगस्त किस दिन मनाएं ?
पंचांग के अनुसार, अष्टमी तिथि 23 अगस्त को सुबह 8.09 बजे से 24 अगस्त को सुबह 8.32 बजे तक है। जबकि रोहिणी नक्षत्र जिसमें भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था वह 24 अगस्त को सुबह 3.48 बजे से शुरू होगा और ये 25 अगस्त को सुबह 4.17 बजे उतरेगा। जबकि कुछ ज्योतिषियों को ये भी मानना है कि रोहिणी नक्षत्र 23 अगस्त को रात 11.56 बजे से लग जाएगा।
अब मंथन यही किया जा रहा है कि ऐसा वक्त जब रोहिणी नक्षत्र और अष्टमी तिथि दोनों एक साथ पड़े तो उत्तम 23 अगस्त की तारीख है।
हालांकि आचार्य पं. दयानन्द शास्त्री के अनुसार 24 अगस्त 2019 ( Janmashtami 2019 ) को जन्माष्टमी के दिन व्रत रखने वाले पारण अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र उतरने के बाद ही करें। अगर दोनों का संयोग साथ नहीं हो पा रहा तो अष्टमी या फिर रोहिण नक्षत्र उतरने के बाद व्रत का पारण करना चाहिए।