कहां, कब और कैसे होगा कुम्भ 2019 ?
हिंदू धर्म में कुंभ मेला एक महत्वपूर्ण पर्व के रूप में मनाया जाता है, जिसमें देश-विदेश से सैकड़ों श्रद्धालु कुंभ पर्व स्थल हरिद्वार, इलाहाबाद, उज्जैन और नासिक में स्नान करने के लिए एकत्रित होते हैं। कुंभ का संस्कृत अर्थ कलश होता है। हिंदू धर्म में कुंभ का पर्व 12 वर्ष के अंतराल में आता है।
प्रयाग में दो कुंभ मेलों के बीच छह वर्ष के अंतराल में अर्धकुंभ भी होता है। उत्तर प्रदेश सरकार ने इस बार अर्द्धकुंभ को कुंभ और पूर्ण कुंभ को महाकुंभ कहने का आदेश पारित किया है। कुंभ का मेला मकर संक्रांति के दिन प्रारम्भ होता है। इस दिन जो योग बनता है उसे कुंभ स्नान-योग कहते हैं। हिंदू धर्म के अनुसार मान्यता है कि किसी भी कुंभ मेले में पवित्र नदी में स्नान या तीन डुबकी लगाने से सभी पुराने पाप धुल जाते हैं और मनुष्य को जन्म-पुनर्जन्म तथा मृत्यु-मोक्ष की प्राप्ति होती है।
2019 कुंभ मेले की शाही स्नान की तारीख
14-15 जनवरी 2019: मकर संक्रांति (पहला शाही स्नान)
21 जनवरी 2019: पौष पूर्णिमा
31 जनवरी 2019: पौष एकादशी स्नान
04 फरवरी 2019: मौनी अमावस्या (मुख्य शाही स्नान, दूसरा शाही स्नान)
10 फरवरी 2019: बसंत पंचमी (तीसरा शाही स्नान)
16 फरवरी 2019: माघी एकादशी
19 फरवरी 2019: माघी पूर्णिमा
04 मार्च 2019: महा शिवरात्रि
प्रयागराज (इलाहाबाद) में जनवरी 2019 में होने वाले कुंभ मेले में अच्छी खासी भीड़ जुटने की उम्मीद है। अर्धकुंभ मेला हर 6 साल बाद होता है और केवल इलाहाबाद और हरिद्वार में ये मेला लगता है। आप भी कुछ महीने बाद लगने वाले इस कुंभ मेले का हिस्सा बन सकते हैं। कुंभ मेला 14 जनवरी से 4 मार्च 2019 तक रहेगा। इस बार के कुंभ में काफी चीजें खास तौर पर होंगी जो पहले कभी नहीं हुई हैं। अगर आप यहां जाने की योजना बना रहे हैं तो मेले से जुड़ी इन खास बातों को जानकार ही यात्रा की योजना बनाएं। यहां हम आपको अर्ध कुंभ मेले के प्रमुख आकर्षणों की जानकारी दे रहे हैं।
वर्ष 2019 का कुंभ पचास दिनों का होगा, जो 14 जनवरी मकर संक्रांति के दिन से शुरू होकर 4 मार्च महाशिवरात्रि तक चलेगा। कुंभ स्नान का अदभुत संयोग करीब तीस सालों बाद बन रहा है।
खगोल गणनाओं के अनुसार यह मेला मकर संक्रांति के दिन प्रारम्भ होता है, जब सूर्य और चन्द्रमा, वृश्चिक राशी में और वृहस्पति, मेष राशि में प्रवेश करते हैं। मकर संक्रांति के होने वाले इस योग को “कुम्भ स्नान-योग” कहते हैं और इस दिन को विशेष मंगलिक माना जाता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस दिन पृथ्वी से उच्च लोकों के द्वार इस दिन खुलते हैं और इस प्रकार इस दिन स्नान करने से आत्मा को उच्च लोकों की प्राप्ति सहजता से हो जाती है। यहाँ स्नान करना साक्षात स्वर्ग दर्शन माना जाता है।
जानिए कुम्भ का ज्योतिषीय महत्व
पौराणिक विश्वास जो कुछ भी हो, ज्योतिषाचार्य पण्डित दयानन्द शास्त्री के अनुसार कुंभ का असाधारण महत्व बृहस्पति के कुंभ राशि में प्रवेश तथा सूर्य के मेष राशि में प्रवेश के साथ जुड़ा है। ग्रहों की स्थिति हरिद्वार से बहती गंगा के किनारे पर स्थित हर की पौड़ी स्थान पर गंगा जल को औषधिकृत करती है तथा उन दिनों यह अमृतमय हो जाती है। यही कारण है कि अपनी अंतरात्मा की शुद्धि हेतु पवित्र स्नान करने लाखों श्रद्धालु यहाँ आते हैं। आध्यात्मिक दृष्टि से अर्ध कुंभ के काल में ग्रहों की स्थिति एकाग्रता तथा ध्यान साधना के लिए उत्कृष्ट होती है।
हालाँकि सभी हिंदू त्योहार समान श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाए जाते है, पर यहाँ अर्ध कुंभ तथा कुंभ मेले के लिए आने वाले पर्यटकों की संख्या सबसे अधिक होती है।
लग्ज़री टैंट में ठहरने का विकल्प
कुंभ मेले के इतिहास में ऐसा पहली बार होगा जब श्रद्धालु लग्ज़री टैंट में ठहर सकेंगे। अपने बजट के हिसाब से पर्यटक डीलक्स, सुपर डीलक्स और सुइट में से चुन सकते हैं। इन टैंट का किराया 10 हजार रुपए प्रतिदिन से शुरू होता है। इसके अलावा इस बार हेलिकॉप्टर व्यू और लेजर शो भी देखने को मिलेगा। सरकार ने इसके लिए काफी तैयारी कर रही है।
शाही स्नान
शाही स्नान का कुंभ मेले में काफी महत्व होता है शाही स्नान सबसे पहले अखाड़े के साधु करते हैं इनके बाद ही आम आदमी पवित्र गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर स्नान कर सकते हैं। इसके लिए आम लोग सुबह 3 बजे से ही लाइन लगा लेते हैं और साधुओं के स्नान के बाद नहाने जाते हैं।
अखाड़ा और साधु
अखाड़े वो स्थान होते हैं जहां धार्मिक संगठन मिलते हैं इनमें अधिकतर साधु होते हैं। शिव की पूजा करने वाले अखाड़े का नाम शैव अखाड़ा होता है जबकि भगवान विष्णु को पूजने वाले साधुओं के अखाड़े का नाम वैष्णव अखाड़ा होता है। यहां आपको नागा, अघोरी जैसे कई तरह के साधु मिल जाएंगे। इन साधुओं के बारे को देखने और समझने की यह सबसे अच्छी जगह है।
सत्संग और कथाएं
कुंभ मेले के दौरान आपको जगह-जगह सत्संग होते हुए मिले जाएंगे। कई साधु सन्यासी हिंदू धर्म के बारे में प्रवचन देते हुए मिलेंगे। यहां कई आश्रम होते हैं जहां आप जब बैठकर सत्संग सुन सकते हैं। हिंदू धर्म को करीब से समझने का यह सुनहरा मौका होता है क्योंकि प्रवचन दे रहे साधु-सन्यासियों को हिंदू धर्म की काफी जानकारी होती है। साथ ही हर पंडाल में भागवतकथा, रामकथा और विभिन्न ग्रंथों का पारायण भी चलता है।
प्रसाद, भोजन और लंगर
कुंभ में हजारों पंडाल लगते है। हर पंडाल में सुबह शाम प्रसाद की व्यवस्था होती है। हजारों साधु, भक्त और कुंभ में आने वालों को इस दौरान खाने की कोई समस्या नहीं होती क्योंकि जगह-जगह लंगर चल रहे होते हैं इनमें साधु सन्यासियों के साथ आम आदमी को भी भोजन कराया जाता है। कुंभ में भोजन का कोई शुल्क नहीं होता है।