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महाशिवरात्रि : क्या है शिव ? क्या है शिवरात्रि?

महाशिवरात्रि : क्या है शिव ?

शेते तिष्ठति सर्वं जगत्यस्मिन् स: शिव: शम्भु: विकाररहित: …।
अर्थात ‘जिसमें सारा जगत् शयन करता है, जो विकार रहित हैं वह ‘शिव’ हैं, अथवा जो अमंगल का ह्रास करते हैं, वे ही सुखमय, मंगलरूप भगवान् शिव हैं। जो सारे जगत् को अपने अंदर लीन कर लेते हैं वे ही करुणा सागर भगवान् शिव हैं। जो भगवान् नित्य, सत्य, जगदाधार, विकार रहित, साक्षीस्वरूप हैं, वे ही शिव हैं।’
क्या है शिवरात्रि ?
शिव और शक्ति के पूर्ण समरस होने की रात्रि है। शिवरात्रि का अर्थ होता है ‘वह रात्रि जो आनन्द देने वाली है और जिसका शिव के नाम के साथ विशेष संबंध है। ‘ऐसी रात्रि फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी की है, जिसमें शिवपूजा, उपवास और जागरण होता है। उक्त फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी की रात्रि को शिवपूजा करना एक महाव्रत है। अत: उसका नाम महाशिवरात्रि – व्रत पड़ा।
शिव पुराण के अनुसार ब्रह्मा ने इसी दिन रुद्र रूपी शिव को उत्पन्न किया था। इसी दिन शिव व हिमाचल पुत्री पार्वती का विवाह हुआ था। शिव-शक्ति का प्रतीक ज्योतिर्लिंग का प्रादुर्भाव भी इसी दिन हुआ था। शिव रात्रि व्रत-उपवास का तात्विक अर्थ क्या है?
शास्त्रों के अनुसार जिस कर्म द्वारा भगवान का सान्निध्य होता है वही व्रत है। उपवास क्या है ? जीवात्मा का शिव के समीप वास ही ‘उपवास’ कहा जाता है। महाशिव रात्रि के दिन श्रद्घा भाव से जो इस व्रत को संपन्न करता है संपूर्ण का पापों का क्षय होता है। और इस व्रत को लगातार 14 वर्ष करने से शिव लोक की प्राप्ति होती है।
भगवान शिव को सर्वाधिक प्रिय क्या और क्या है व्रत की सामग्री ? अखण्ड बिल्वपत्र भगवान शिव को अत्यन्त प्रिय है। जो श्रद्धापूर्वक नम: शिवाय मंत्र जाप करते हुए शिव लिंग पर बेलपत्र अर्पित करता है वह सभी पापों से मुक्त हो शिव के परमधाम में स्थान पाता है। यहाँ तक कि बिल्वपत्र के दर्शन, स्पर्श व वंदना से ही दिन-रात के किये पापों से छुटकारा मिल जाता है।
इसके अलावा भगवन् भोलेनाथ को आक-धतूरा विजया भांग आदि भी अति प्रिय हैं। पत्र, पुष्प, फल अथवा स्वच्छ जल तथा कनेर से भी भगवान्ï शिव की पूजा करके मनुष्य उन्हीं के समान हो जाता है। आक (मदार) का फूल कनेर से दसगुना श्रेष्ठ माना गया है।
आक के फूल से भी दस गुना श्रेष्ठ है धतूरे आदि का फल। नील कमल एक हजार कह्लार (कचनार) से भी श्रेष्ठ माना गया है।महाशिव रात्रि के व्रत की सामग्री है पंचामृत (गंगा जल, दूध, दही, शहद, घी) सुगंधित फूल, शुद्घ वस्त्र, बिल्वपत्र, धूप, दीप, नैवेद्य, चंदन का लेप और ऋतु फल।
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शिवरात्रि व्रत करते हुए शिवोपासना से मनुष्य के त्रिविध तापों का शमन हो जाता है, संकटव कष्ट के बादल छंट जाते हैं, कर्मज व्याधियों व ग्रह बाधाओं से मुक्ति मिल जाती है। इससे अकाल मृत्यु को टाला जा सकता है, मोक्ष प्राप्ति होती है। इस पर्व पर मनुष्य जिस मनोकामना से जिस रूप में शिव की आराधना करता है वह पूरी होती है और भोले शंकर उसी रूप में प्रसन्न होकर फल भी प्रदान करते हैं।
आप यदि इस महान पर्व पर अपनी राशि के अनुसार शिव उपासना करें तो आपकी जीवन की सारी समस्याओं का निवारण हो जाएगा। आप पर भगवान शिव की अनुकम्पा बरसेगी। भगवान शिव आप पर प्रसन्न हो, कृपा करेंगे। आपके कार्य सिद्ध होंगे। यदि आप पूरे विधि-विधान से पूजा नहीं कर सकते तो मात्र ऊं नम: शिवाय का जाप करते हुए शिवलिंग पर अभिषेक करते हैं तो मनोकामना पूरी होगी। और यदि आप दूध, दही घी, शक्कर, शहद पंचामृत से अभिषेक करें तो बात ही कुछ और है। अभिषेक के उपरांत पर शिवलिंग पर बेलपत्र, मदार के पुष्प, भांग, धतूरे का फल अर्पित करें तो आपके लिए बहुत ही अच्छा रहेगा।
यदि आपके जीवन में आपको कारोबारी, पारिवारिक या स्वास्थ्य सम्बंधी समस्या है या आपको किसी प्रकार की मानसिक समस्या है अथवा कोई तनाव है या किसी भी कार्यक्षेत्र में बाधा या रुकावट है तो द्वादश राशियों के लोग किस तरह भगवान भोलेनाथ की पूजा करें कि धन की बरसात हो।

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Post By Religion World