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कौन थे ऋषि विश्वकर्मा: जानिए उनसे जुड़ी कुछ ख़ास बातें

कौन थे ऋषि विश्वकर्मा: जानिए उनसे जुड़ी कुछ ख़ास बातें

विश्वकर्मा पूजा का त्योहार कारीगरी के देवता विश्वकर्मा की जयंती के रूप में मनाया जाता है. उनको इस विश्व की रचना करने वाला माना गया है. आइये जानते हैं उनसे जुडी कुछ ख़ास बातें-

ऋषि विश्वकर्मा का जन्म
ऋषि विश्वकर्मा के जन्म को लेकर कई मान्यताएं है-
कहते हैं ब्रह्मा जी के पौत्र वास्तुदेव थे जो शिल्पशास्त्र के आदि प्रवर्तक थे। उन्हीं वास्तुदेव की अंगिरसी नामक पत्नी से विश्वकर्मा उत्पन्न हुए थे।
इसी तरह स्कंद पुराण के अनुसार धर्म ऋषि के आठवें पुत्र प्रभास का विवाह देव गुरु बृहस्पति की बहन भुवना ब्रह्मवादिनी से हुआ। भगवान विश्वकर्मा का जन्म इन्हीं की कोख से हुआ। महाभारत आदिपर्व अध्याय 16 श्लोक 27 एवं 28 में भी इसका स्पष्ट उल्लेख मिलता है।
तीसरी मान्यता के अनुसार वराह पुराण के अध्याय56 में उल्लेख मिलता है कि सब लोगों के उपकारार्थ ब्रह्मा परमेश्वर ने बुद्धि से विचार कर विश्वकर्मा को पृथ्वी पर उत्पन्न किया, वह महान पुरुष विश्वकर्मा घर, कुआं, रथ, शस्त्र आदि समस्त प्रकार के शिल्पीय पदार्थों की रचना करने वाला यज्ञ में तथा विवाहादि शुभ कार्यों के मध्य, पूज्य ब्राह्मणों का आचार्य हुआ।

कैसे बने विश्वकर्मा शिल्पकार


प्राचीन काल में जनकल्याणार्थ मनुष्य को सभ्य बनाने वाले संसार में अनेक जीवनोपयोगी वस्तुओं जैसे वायुयान, जलयान, कुआं, बावड़ी कृषि यन्त्र अस्त्र-शस्त्र, भवन, आभूषण, मूर्तियां, भोजन के पात्र, रथ आदि का अविष्कार करने वाले महर्षि विश्वकर्मा जगत के सर्व प्रथम शिल्पाचार्य होकर आचार्यों के आचार्य कहलाए।
कहते हैं कि प्राचीन समय में इंद्रपुरी, लंकापुरी, यमपुरी, वरुणपुरी, कुबेरपुरी, पाण्डवपुरी, सुदामापुरी, द्वारिका, शिवमण्डलपुरी, हस्तिनापुर जैसे नगरों का निर्माण विश्‍वकर्मा ने ही किया था। उन्होंने ही कर्ण का कुंडल, विष्णु का सुदर्शन चक्र, पुष्पक विमान, शंकर भगवान का त्रिशुल, यमराज का कालदंड आदि वस्तुओं का निर्माण किया था।

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विश्‍वकर्मा की पुत्री से उत्पन्न हुआ महान कुल
राजा प्रियव्रत ने विश्वकर्मा की पुत्री बहिर्ष्मती से विवाह किया था जिनसे आग्नीध्र, यज्ञबाहु, मेधातिथि आदि 10 पुत्र उत्पन्न हुए। प्रियव्रत की दूसरी पत्नी से उत्तम, तामस और रैवत ये 3 पुत्र उत्पन्न हुए, जो अपने नाम वाले मन्वंतरों के अधिपति हुए। महाराज प्रियव्रत के 10 पुत्रों में से कवि, महावीर तथा सवन ये 3 नैष्ठिक ब्रह्मचारी थे और उन्होंने संन्यास धर्म ग्रहण किया था।

ऋषि विश्‍वकर्मा के विभिन्न रूप


भगवान विश्वकर्मा के अनेक रूपों का उल्लेख पुराणों में मिलता हैं- दो बाहु वाले, चार बाहु और दस बाहु वाले विश्‍वकर्मा। इसके अलावा एक मुख, चार मुख एवं पंचमुख वाले विश्‍वकर्मा।
पुराणों में विश्वकर्मा के पांच स्वरूपों का वर्णन मिलता है-
1.विराट विश्वकर्मा- सृष्टि के रचयिता,
2.धर्मवंशी विश्वकर्मा- महान् शिल्प विज्ञान विधाता और प्रभात पुत्र,
3.अंगिरावंशी विश्वकर्मा- आदि विज्ञान विधाता वसु पुत्र,
4.सुधन्वा विश्वकर्मा- महान् शिल्पाचार्य विज्ञान जन्मदाता अथवी ऋषि के पौत्र
5.भृंगुवंशी विश्वकर्मा- उत्कृष्ट शिल्प विज्ञानाचार्य (शुक्राचार्य के पौत्र)।

Post By Shweta