4 अप्रैल को ईस्टर संडे है. यह असत्य पर सत्य एवं हिंसा पर अहिंसा की जीत का दिन है. ईसाई धर्म की मान्यता के अनुसार, यह ईसा मसीह के पुनर्जीवित होने का दिन है. क्षमा और दया को समर्पित ईस्टर संडे के दिन पूरे विश्व के कल्याण के लिए प्रार्थना की जाती है.
ईसाई समुदाय गुड फ्राइडे के तुरंत बाद आने वाले रविवार को ईस्टर संडे के रूप में मनाता है. इस दिन लोग प्रार्थनाएं करते हैं और खुशियां मनाते हैं.
क्यों मनाते हैं ईस्टर सन्डे
चूंकि स्वयं ईसा मसीह ने उन लोगों को क्षमा कर दिया था जिन्होंने उन्हें कष्ट दिया था. इस प्रकार ईस्टर संडे शत्रुता भुलाकर क्षमा करने का संदेश देता है. इस दिन लोग एक-दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं और ईश्वर से अपने पापों की क्षमा मांगते हैं.
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ईस्टर सन्डे की कहानी
ईसाई धर्म की पवित्र पुस्तकों के अनुसार, करीब दो हजार साल पहले यरुशलम के एक पहाड़ पर ईसा मसीह को क्रॉस पर लटका दिया गया था. इससे पूर्व उन्हें काफी यातनाएं दी गईं. तब कष्ट सहने करते हुए भी ईसा मसीह ने ईश्वर से प्रार्थना की- हे प्रभु, इन्हें माफ कर देना, क्योंकि ये नहीं जानते कि क्या कर रहे हैं. जिस दिन ईसा मसीह ने सत्य की रक्षा करते हुए देह का त्याग किया, वह गुड फ्राइडे के रूप में मनाया जाता है.
इसके पश्चात उनके शरीर को कब्र में सुरक्षित रखा गया और रविवार के दिन वे पुन: जीवित हो गए. यह दिन ईस्टर संडे के रूप में मनाया जाता है.
क्या है सन्देश
इस प्रकार ईस्टर संडे का यह संदेश है कि सत्य परेशान हो सकता है, परंतु उसे मिटाया नहीं जा सकता. एक दिन वह पुन: जीवित होकर आता है.
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