लखनऊ, 16 नवम्बर; अयोध्या में मंदिर के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद अब धार्मिक नगरी में प्रभु राम की 251 मीटर उंची प्रतिमा के प्रॉजेक्ट पर काम तेजी से शुरू कर दिया गया है। पयर्टन विभाग इसका जल्द शिलान्यास करवाना चाहता है।
क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी आरपी यादव के मुताबिक अब अयोध्या की विकास योजनाओं में प्राथमिकता में प्रभुराम की प्रतिमा का प्रॉजेक्ट ही है। इसका जल्द ही शिलान्यास होना है। लेकिन इसके पहले प्रस्तावित स्थल पर जमीन के क्रय का काम पूरा होना जरूरी है।
‘एनओसी लेने का हो रहा प्रयास‘
उन्होंने बताया, ‘पहले चरण मे रेलवे, एनएचएआई ,एनजीटी और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से एनओसी हासिल करने का प्रयास हो रहा है। इसके बाद जमीन की रजिस्ट्री करवाने का काम शुरू होगा। सरयू तट पर मीरपुर मांझा इलाके में 24 हेक्टेयर जमीन क्रय करना है। इसके अधिग्रहण लिए दो बार नोटिफिकेशन विभाग कर चुका है। एनओसी हासिल पहले ही की जा रही है, जिससे परियोजना शुरू करने के बाद कोई तकनीकी बाधा न पहुंचा सके।’
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100 हेक्टेयर जमीन की ज़रूरत
पर्यटन स्थल के रूप में इस स्थल को विकसित करने के लिए यहां 100 हेक्टेयर की जमीन की जरूरत पडे़गी। जिसमें फूड पार्क, लाइब्रेरी, अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय सहित कई योजनाएं भी शामिल की गई है। प्रभुराम की प्रतिमा के प्रॉजेक्ट का टाइम बाउंड कार्यक्रम पहले से घोषित है। इसे 2023 तक हर हाल में पूरा करना है। जिसमें मूर्ति के निर्माण के लिए अंतरराष्ट्रीय टेंडर भी निकालना पड़ेगा। प्रतिमा के निर्माण का काम तकनीकी तौर पर गुजरात में पूर्व गृहमंत्री बल्लभभाई पटेल की विशाल प्रतिमा के पैटर्न पर होगा। इसके लिए 24 हेक्टेयर की जमीन को खरीदने के बाद शेष 76 हेक्टेयर जमीन पुल के दूसरे तरफ अधिग्रहण करना पडे़गा।
117 करेाड़ रुपये का फंड
क्षेत्रीय प्र्यटन अधिकारी ने बताया कि इस योजना के लिए 117 करोड़ का फंड आ चुका है। 437 करोड़ के फंड का प्रॉजेक्ट है। बाकी 320 करोड़ का फंड और आना है। जो फंड उपलब्ध है उससे जमीन खरीदने का काम शुरू हो जाएगा। जमीन खरीदने के बाद इस बृहद परियोजना का शिलान्यास करवाया जा सकेगा। इस प्रॉजेक्ट को राम मंदिर पर काम शुरू होने के पहले ही शुरू करने पर मंथन हो रहा है। इससे राम मंदिर के निर्माण के साथ अयोध्या में प्रभु राम की विश्व की सबसे उंची प्रतिमा को लगाने का भी संदेश जाए।