World Animals Day : हाथी दिवस कार्यक्रम में स्वामी चिदानन्द सरस्वती : प्लास्टिक के पलायन का संकल्प
- स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने हाथी दिवस कार्यक्रम में किया सहभाग
- वन और पर्यावरण मंत्री श्री हरक सिंह रावत जी, स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज, वन्य जीव अधिकारी संजय सिन्हा जी, सनामन सोनकर जी निदेशक राजाजी टाइगर रिर्जव की गरिमामय उपस्थिति
- प्लास्टिक के पलायन का कराया संकल्प
- जितना प्लास्टिक घटेगा उतना पर्यटन बढ़ेगा जितना पर्यटन बढ़ेगा उतना पलायन घटेगा – स्वामी चिदानन्द सरस्वती
ऋषिकेश, 4 अक्टूबर । वन्य जीव सप्ताह के अन्तर्गत वन विभाग द्वारा चीला वन विश्राम गृह में आज हाथी दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें वन और पर्यावरण, कैबिनेट मंत्री उत्तराखंड सरकार श्री हरक सिंह रावत जी, परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष एवं गंगा एक्शन परिवार के प्रणेता स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज, वन्य जीव अधिकारी संजय सिन्हा जी, सनामन सोनकर जी निदेशक राजाजी टाइगर रिर्जव और अन्य गणमान्य अतिथियों ने सहभाग किया।
स्वामी जी महाराज और श्री हरक सिंह रावत जी के मध्य पर्यावरण संरक्षण एवं क्लाइमेंट चंेज के विषयों पर चर्चा हुई। साथ ही स्वामी जी महाराज ने कावड़ मेला के दौरान नीलकंठ मार्ग, राजाजी नेशनल पार्क में लगे कूडे के ढेर के विषय में चर्चा की और बताया कि परमार्थ गुरूकुल के आचार्यो एवं ऋषिकुमारों द्वारा प्रतिदिन स्वच्छता अभियान चलाया गया। स्वच्छता कार्यक्रम की प्रति भी उन्हे भेंट की। स्वामी जी ने सुझाव दिया कि कावड़ मेला के दौरान जब दुकानों का आंवटन किया जाता है उसके लिये एक समीति का गठन किया जाना चाहिये जो यह निगरानी रखे की भण्डारा करने वाले और दुकानदार उस क्षेत्र में प्लास्टिक का उपयोग बिल्कुल न करे। उन्होने कहा कि तीर्थ क्षेत्रों से तो निश्चित रूप से प्लास्टिक का पलायन होना चाहिये ताकि लोगों को तीर्थो की सही तस्वीर मिल सके। स्वामी जी महाराज ने वेलनेस और हेल्थ सेन्टर, योग, आयुर्वेद, ध्यान केन्दों को खोलने तथा राजाजी नेशनल पार्क को प्लास्टिक मुक्त रखने पर जोर दिया। आज हाथी दिवस के अवसर पर उन्होने कहा कि वसुधैव कुटुम्बकम में केवल मनुष्य ही नहीं है बल्कि पूरा पर्यावरण, प्रकृति और प्राणी भी है हमें सभी के संरक्षण और हित पर ध्यान देना होगा।
चर्चा के दौरान स्वामी जी महाराज ने कहा कि नदियों के किनारों को विशेष रूप से रिस्पना के तटों को सुरम्य और आकर्षक बनाने के लिये स्कूल, सेना, संस्थायें, सरकार एवं अन्य सामाजिक संगठनों को मिलाकर इस ओर कार्य किया जा सकता है इस पर विशेष चर्चा हुई।
स्वामी जी महाराज ने कहा कि ’’हाथी मेरा साथी’’ हाथी ही हमारा सच्चा साथी है। वन्य जीव सम्पूर्ण सृष्टि के लिये जीते है अतः हमारा कर्तव्य है कि हम उनका संरक्षण करे। जंगल में हाथियों के लिये जो परम्परागत काॅरिडोर थे वे धीरे-धीरे समाप्त होते जा रहें है अब जंगलों में हाथियों के लिये गलियारा (काॅरिडोर) बनाने की जरूरत है साथ ही हाथियों के लिये उनकी रूचि के पौधे यथा पीपल, वट, केला, आवंला, नीम एवं अन्य पत्तीदार पौधों का रोपण करना होगा क्योंकि इसके अभाव में ही हाथी, जंगलों से बाहर रिहायिशी इलााकों में आकर नुकसान पहुंचा रहे है। उन्होने कहा कि ’’हाथियों के लिये गलियारा बनाने से केवल हाथियों से बचा ही नहीं जा सकता है बल्कि उन्हें भी बचाया जा सकता है जो अत्यंत आवश्यक है।’’ साथ ही रामझूला से लक्ष्मण झूला क्षेत्र तक जहां हेरिटेज पथ बनाया जा रहा है वहां तक और गंगा के किनारे किनारे जड़दार, छायादार, फलदार, फूलदार पौधों का रोपण कर वहां के वातावरण को सुरम्य, सौन्दर्ययुक्त एवं मनमोहक बनाने पर चर्चा की।
स्वामी जी महाराज ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य को जीवंत और उसकी आध्यात्मिक विरासत के साथ भौगोलिक सुन्दरता को सुरक्षित रखने के लिये जंगलों की सुरक्षा करना नितांत आवश्यक है। उन्होने कहा कि वर्तमान समय जंगल, जमीन और जानवरों के प्रति जागरूक होने का है।
इन उक्त योजनाओं के लिये गंगा एक्शन परिवार, परमार्थ निकेतन, ग्लोबल इण्टरफेथ वाश एलांयस (जीवा) सरकार के साथ मिलकर काय करने के लिये तैयार है। स्वामी जी महाराज ने श्री रावत जी को शिवत्व का प्रतीक रूद्राक्ष का पौधा भेंट किया।
श्री हरक सिंह रावत जी ने स्वामी जी महाराज के साथ हुई वार्ता को अत्यंत प्रेरणादायक बताते हुये हाथी काॅरिडोर के सुझाव से अत्यंत प्रभावित होकर इस पर जल्दी ही कार्य योजना बनाने की बात कही। उन्होने कहा कि स्वामी जी महाराज को हाथी और अन्य जीवों के प्रति जो भाव है वह अद्भुत है वे प्राणियों को अपने परिवार का एक हिस्सा मानते है यह हम सभी को ग्रहण करना चाहिये। साथ ही जंगल, जमीन और जीवों के लिये हम सभी को मिलकर कार्य करना होगा तभी हम इन्हे बचा सकते है इस हेतु सरकार अपना प्रयास कर रही है परन्तु जन जागरूकता बहुत आवश्यक है।