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विश्व पर्यावरण दिवस: कुछ इस तरह बनाये पर्यावरण दिवस को ख़ास

लॉकडाउन से जहाँ आम इंसान का जीवन अस्त व्यस्त हो गया. वहीँ प्रकृति का दूसरा रूप  ही देखने को मिला. वाहनों कि आवाजाही रुकने से, फैक्ट्रीज बंद होने से पर्यवरण खुद बा खुद साफ़ हो गया.



जिन  नदियों को स्वच्छ करने के लिए सरकार ने करोड़ो रूपये खर्च कर दिए इस लॉकडाउन पीरियड में वह खुद ही स्वच्छ हो गयी, हवा शुद्ध हो गई, पशु -पक्षी फिर से नज़र आने लगे.

इन बातों से एक बात ओत साफ़ हो गयी प्रकृति को किसी कि ज़रूरत नहीं है. लेकिन यहाँ हमें एक सबक लेने की भी आवश्यकता है. वैसे तो प्रकृति हमें हमेशा तोहफा देती है लेकिन इस बार हमारी बारी है पर्यावरण दिवस पर कुछ ख़ास करने की.  हम  कुछ संकल्प लेकर पर्यावरण दिवस को  ख़ास बना सकते हैं ।

संसाधनों का दुरुपयोग न करें

यह प्रकृति का नियम है कि अगर कोई जीव पृथ्वी को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करता है तो वह उसे स्वतः ही नष्ट कर देती है। कई बार बाढ़, सूखा, भूकंप या किसी अन्य महामारी के माध्यम से वह हमें ऐसा संकेत देती है कि हम उसके संसाघनों को नष्ट कर रहे हैं, लेकिन भौतिक सुख-सुविधाएं पाने के लालच में हम पेड़-पहाड़, धरती और नदियों को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देते हैं।

हम गाड़ियों, एयरकंडीशनर और फैक्ट्रियों के जहरीले धुएं से पूरे वायुमंडल को प्रदूषित कर रहे हैं। भेल ही कोरोना महामारी खत्म हो जाए, लेकिन उसके बाद भी हमें अपनी आदतें बदलनी होंगी।

पर्यावरण को स्चच्छ बनाए रखने की दिशा में निरंतर प्रयास करना होगा। सभी को ज्यादा से ज्यादा संख्या में पेड़-पौधे लगाने चाहिए। पेड़ों की कटाई रोकनी होगी और नदियों को दूषित होने से बचाना बहुत जरूरी है।

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स्वच्छता का रखना होगा पूरा ध्यान

लोगों की गतिविधियां सीमित होने की वजह से नीला आसमान नजर आ रहा है, नदियों का पानी साफ हो गया है। कई सारी ऐसे जीव-जंतु और पक्षी नजर आने लगे हैं जिन्हें बहुत सालों पहले कभी देखा था।

तो आप खुद सोचिए प्रकृति कितनी खुश है और इस समय वह खुद को फिर से संवारने का काम कर रही हैं तो उसमें अडंगा लगाने से बेहतर योगदान दें। पेड़-पौधों से अपने भर को हरा भरा रखें।

बेशक कोरोना महामारी की वजह से सभी को बहुत तकलीफ हो रही है लेकिन इससे हमें यह सीख मिली है कि स्चच्छता के नियमों का पालन करते हुए हम अपने परिवार, समजा, देश और दुनिया को बेहतर बना सकते हैं।

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गलतियों से सीखें सबक

कोरोना वायरस के माध्यम से प्रकृति ने हमें यह सबक सिखाया है कि अगर हम उसके नियमों का पालन नहीं करेंगे तो महामारी और आपदाओं के रूप में हमें अपनी गलतियों का दंड भुगतना ही पड़ेगा।

लोग मनाही होने के बावजूद पॉलीथिन बैग यूज करते हैं और धार्मिक समारोहों में लाउडस्पीकर बजाकर हर मुमकिन स्तर पर पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं।



भले ही कोरोना संक्रमण का दौर खत्म हो जाए, लेकिन भविष्य में भी हमें स्वच्छता के नियमों का पालन जारी रखना चाहिए। अगर हम सात्विक भोजन और रहन-सहन अपनाएं तो न केवल तन-मन स्वस्थ रहेगा, बल्कि प्रदूषण का स्तर भी घटने लगेगा।

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Post By Shweta