विश्व वेद सम्मेलन में अंग्रेजी भाषा में चारों वेदों का भावार्थ ग्रंथ एवं मनुस्मृति का हुआ विमोचन
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विश्व वेद सम्मेलन में अंग्रेजी भाषा में चारों वेदों का भावार्थ ग्रंथ एवं मनुस्मृति का हुआ विमोचन
विश्व वेद सम्मेलन में स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने किया सहभाग
अग्रेंजी भाषा में चारों वेदों का भावार्थ ग्रंथ एवं मनुस्मृति का हुआ विमोचन
विश्व शान्ति यज्ञ पूर्णाहुति में भारत के उपराष्ट्रपति श्री वेंकैया नायडू जी, स्वामी अग्निवेश और स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज एवं पंतजलि योगपीठ से आचार्य बालकृष्ण जी ने दीप प्रज्जवलन और पूजन कर किया विश्व वेद सम्मेलन का शुभारम्भ
अपनी जड़ों एवं मातृभूमि से जुड़े- श्री वेंकैया नायडू
’वेब से वेद’ की ओर बढ़े-स्वामी चिदानन्द सरस्वती
ऋषिकेश, 15 दिसम्बर। परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष, स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र, नई दिल्ली में आयोजित विश्व वेद सम्मेलन में सहभाग किया। वेद सम्मेलन का उद्घाटन भारत के उपराष्ट्रपति श्री वेंकैया नायडू जी, स्वामी अग्निवेश और स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज एवं पंतजलि योगपीठ से आचार्य बालकृष्ण जी ने दीप प्रज्जवलित कर किया। इस अवसर पर अनेक गणमाण्य अतिथिगण उपस्थित थे। मंगलाचरण एवं राष्ट्रगान के साथ आज के विश्व शान्ति यज्ञ का शुभारम्भ हुआ। डॉ आनन्द कुमार जी ने सभी विशिष्ट अतिथियों का अभिनन्दन किया तथा स्वामी अग्निवेश जी ने इस कार्यक्रम के उद्देश्य के विषय में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस तीन दिनों तक चलने वाले आयोजन में हिन्दू और मुस्लिम दोनों सम्प्रदायों की बालिकाओं ने दैनिक हवन, वैदिक मंत्रोपचार एवं भजनाें में सहभाग किया।
इस कार्यक्रम में अग्रेंजी भाषा में चारों वेदों का भावार्थ ग्रंथ एवं मनुस्मृति का विमोचन किया गया। अंग्रेजी भाषा में रूपांतरित होने के पश्चात यह ग्रन्थ विश्व को वैदिक ज्ञान-विज्ञान एवं परम्परा से अवगत करायेगा। विशिष्ट अतिथियों ने मिलकर वेदों एवं मनुस्मृति पर गहराई से चर्चा की गयी। भारत के उपराष्ट्रपति श्री वेंकैया नायडू जी, ने कहा कि इस तरह के आयोजन आज के समय की जरूरत है इससे हमारी आने वाली पीढ़ी वेद और संस्कृति के पोषित होगी। उन्होने कहा कि आज के युवाओं को वैदिक संस्कृति, हमारी प्राचीनतम भाषा संस्कृत एवं मातृभाषा से जोड़ना नितांत आवश्यक है क्योंकि वेदों में पुरातण ज्ञान के साथ आधुनिक विज्ञान भी समाहित है। उन्होने अपनी जड़ों से जुड़े रहने का संदेश दिया।
परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि ’वेब से वेद’ की ओर लौटने का समय है। वेद मानव सभ्यता के विकास का आधार है; भारतीय संस्कृतिक धरोहर है। इस वेद रूपी धरोहर को ग्रन्थों तक सीमित न रखें इससे ज्ञानार्जन करें तभी हम मानव सभ्यता के प्राचीनतम ग्रण्थ में समाहित अपार ज्ञान के भण्डार तक पहुंच सकते हैं। उन्होने वेद अध्ययन केन्द्र खोलने की बात कही। स्वामी जी ने कहा कि वर्तमान समय में मानव ’वेब पेज’ पर आकर रूक गया है, दिन में सैकड़ो बार वेज पेज खोलते है और घन्टों व्यतित करते है परन्तु कम से कम दिन में एक बार ’वेद पेज’ खोलना आरम्भ करें तो आज का युवा वैदिक इतिहास एवं भारतीय संस्कृति का अग्रदूत होगा।’पंतजलि योगपीठ से आचार्य बालकृष्ण जीे ने कहा कि ’ आज जो भी पंतजलि का प्रसार दिख रहा है और हमारे जीवन में जो भी कुछ है वह वेदों की वजह से है इसके मूल में वेद ही है। अब समय आ गया है कि हम वेदों की ओर लौटे।’