विश्व जल दिवस विशेष : जल संरक्षण के लिए संतों का योगदान
रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून.
पानी गये न ऊबरे, मोती, मानुष, चून॥
रहीम ने पानी को तीन अर्थों में प्रयोग किया है। पहला अर्थ विनम्रता से है, दूसरा अर्थ आभा, तेज या चमक से है और तीसरा अर्थ जल से है।
आज अंतरराष्ट्रीय जल दिवस है। आपको यह जरूर पता होगा कि दुनिया के कई देश युद्ध, हिंसा और आपदा से जूझ रहे हैं लेकिन इस बात को कम ही लोग महत्व देते हैं कि लगभग हर देश जल संकट का सामना कर रहे हैं. हम बचपन से सुनते आए हैं कि पानी ही जिंदगानी है पर जरा सोचिए, अगर किसी दिन आपको पानी न मिले तो क्या होगा? हो सकता है कि हमें वह दिन देखना न पड़े पर जिस तेजी से पानी की बर्बादी हो रही है, हम नहीं तो हमारी आनेवाली पीढ़ी को जरूर पानी के बड़े संकट से गुजरना होगा।
विश्व जल दिवस का इतिहास
पूरे विश्व के लोग हर साल 22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाया जाता है। वर्ष 1993 में संयुक्त राष्ट्र के सामान्य सभा द्वारा इस दिन को एक वार्षिक कार्यक्रम के रूप में मनाने का फैसला किया गया था. लोगों के बीच जल का महत्व, आवश्यकता और संरक्षण के बारे में जागरुकता बढ़ाने के लिए हर साल 22 मार्च को विश्व जल दिवस के रूप में मनाने के लिए इस अभियान की घोषणा की गई थी.
यह पहली बार 1992 में ब्राजील के रियो डी जेनेरिओ में “पर्यावरण और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन” की अनुसूची 21 में अधिकृत रूप से जोड़ा गया था और पूरे दिन के लिए अपनी नल का गलत इस्तेमाल रोकना जल संरक्षण में उनकी सहायता प्राप्त करने के साथ ही प्रोत्साहित करने के लिए वर्ष 1993 से इस उत्सव को मना करना शुरू किया
विश्व जल दिवस क्यों मनाया जाता है?
यह अभियान यूएन अनुशंसा को लागू करने के साथ ही वैश्विक जल संरक्षण की वास्तविक क्रियाकलापों को प्रोत्साहित करने के लिए सदस्य राष्ट्र सहित संयुक्त राष्ट्र द्वारा मनाया जाता है. इस अभियान को प्रति वर्ष यूएन एजेंसी के एक इकाई द्वारा विशेष रूप से बढ़ावा दिया जाता है जिसमें लोगों को पानी के मुद्दों के बारे में सुनना और समझाने के लिए प्रोत्साहित करने के साथ ही विश्व जल दिवस के लिए अंतर्राष्ट्रीय गतिविधियों का समायोजन शामिल है. इस कार्यक्रम के शुरू से ही विश्व जल दिवस पर वैश्विक संदेश फैलाने के लिए विषय (विषय) का चुनाव करना ही विश्व जल दिवस को मनाने के लिए यूएन जल उत्तरदायी होगा.
यूएन सदस्य राज्य और एजेंसी सहित, पानी के सभी जटिल मुद्दों पर लोगों के ध्यान आकर्षित करने के लिए स्वच्छ जल संरक्षण प्रोत्साहन में विभिन्न एनजीओ और गैर-सरकारी संगठन भी शामिल हैं. इस कार्यक्रम को मनाने के दौरान, जल से संबंधित सभी मुद्दों को जनता के सामने उजागर किया जाता है जैसे कि किस तरह से साफ पानी लोगों की पहुंच से दूर हो रहा है आदि.
विश्व जल दिवस कैसे मनाया जाता है?
पर्यावरण, स्वास्थ्य, कृषि और व्यापार सहित जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में जल के महत्व के बारे में लोगों की जागरुकता बढ़ाने के लिए पूरे विश्व में विश्व जल दिवस मनाया जाता है. यह विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों और क्रियाकलापों के आयोजनों के द्वारा मनाया जाता है जैसे दृश्य कला, जल के मंचि और संगीतात्मक उत्सव, स्थानीय तालाब, झील, नदी और जल निकाय की यात्रा, जल प्रबंधन और सुरक्षा के ऊपर स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा, टीवी और रेडियो चैनल या इंटरनेट के माध्यम से संदेश फैलाने, स्वच्छ पानी और संरक्षण उपाय के महत्व पर आधारित शिक्षण कार्यक्रम, प्रतिलिपि गिता तथा ढ़ेर सारी गतिविधियाँ. नीले रंग की जल की बूँद की आकृति विश्व जल दिवस उत्सव का मुख्य चिह्न है.
जल संरक्षण को लेकर संतो द्वारा किये गए कार्य
जल संरक्षण को लेकर भारत में कई संत और उनकी संस्थाएं अपना योगदान देने का प्रयास कर रहे हैं. इसमें ईशा फाउंडेशन के संस्थापक जग्गी वासुदेव जी, परमार्थ निकेतन के संस्थापक स्वामी चिदानंद जी और अखिल विश्व गायत्री परिवार शामिल है.
श्रीश्री रविशंकर के आर्ट ऑफ लिविंग के नदी संरक्षण के प्रयास
कई राज्यों में आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकरजी के कई प्रोजेक्ट्स नदियों को दोबारा जल से ओतप्रोत करने के लिए चल रहे है। केरल के पंपा नदी में कूड़े गिरने की समस्या के समाधान की बात हो या तामिलनाडु के नगानदी के सरंक्षण की कोशिश। महाराष्ट्र में तो पच्चीस नदियों और उनकी सहयोगी धाराओं को आर्ट ऑफ लिविंग ने जीवित किया है।
Apart from being Kerala’s third longest river, Pampa also happens to be one of the most polluted ones in the entire state.@ArtofLiving, along with local volunteers began a cleanliness drive under its River Rejuvenation Project removing 600 tons of waste. #WorldWaterDay pic.twitter.com/4GAUy0NqDz
— The Art of Living (@ArtofLiving) March 22, 2018
The Art of Living, along with local volunteers and experts, initiated the River Rejuvenation Project in Karnataka and has revived Vedavathi, Kumudavathi, and Palar river through numerous innovative and scientific methodologies.#WorldWaterDay pic.twitter.com/0sXIM4z6Qd
— The Art of Living (@ArtofLiving) March 22, 2018
With 500 recharge structures constructed & over 90,000 hectares of agricultural land brought back into use, @ArtofLiving’s River Rejuvenation Project has successfully implemented numerous innovative & scientific methodologies to revive water resources in Tamil Nadu.#WorldWaterDay pic.twitter.com/0mOAFJCiSq
— The Art of Living (@ArtofLiving) March 22, 2018
The Art of Living, along with local volunteers and experts, began the River Rejuvenation Project in 2013 in Maharashtra.
Till date, 25 rivers and their tributaries have been revived in Maharashtra through numerous innovative and scientific methodologies. #WorldWaterDay pic.twitter.com/Ya1R1isjss— The Art of Living (@ArtofLiving) March 22, 2018
ईशा फाउंडेशन का रैली फॉर रिवर ( Rally for River)
भारत की नदियां जबर्दस्त बदलाव से गुजर रही हैं। आबादी और विकास के दबाव के कारण हमारी बारहमासी नदियां मौसमी बन रही हैं। कई छोटी नदियां पहले ही गायब हो चुकी हैं। बाढ़ और सूखे की स्थिति बार-बार पैदा हो रही है क्योंकि नदियां मानसून के दौरान बेकाबू हो जाती हैं और बारिश का मौसम खत्म होने के बाद गायब हो जाती हैं.
लुप्त होती और सूखती नदियों को बचाने के लिए जग्गी वासुदेव जी ने नदियों को बचने के लिए अभियान चलाया. इस अभियान ने पूरे भारतवर्ष ने अपना योगदान दिया. आम आदमी से लेकर सेलिब्रिटीज तक ने इस अभियान में अपना योगदान दिया. इस अभियान के माध्यम से उन सभी नदियों को बचाने के सुझाव दिए गये.जो लुप्त होने की कगार पर हैं.
परमार्थ निकेतन द्वारा आयोजित जल संरक्षण कार्यक्रम
ऋषीकेश के परमार्थ निकेतन में वाटर संरक्षण और शुद्धता को लेकर कई कार्यक्रम किये। इन कार्यक्रमों न सिर्फ स्थानीय लोगों ने बल्कि दिग्गज नेताओं और अभिनेताओं ने भी शिरकत की. परमार्थ निकेतन के निकट गंगा तट पर पर्यावरण और जल संरक्षण हेतु के जल नृत्य का आयोजन किया साथ ही यह भी सन्देश दिया की जल के बिना सब कुछ अधूरा है. ठीक इसी प्रकार आज भी परमार्थ निकेतन में विश्व जल दिवस को लेकर वाटर गोल मेज सम्मलेन का आयोजन किया. जिसका उद्देश्य निजी और सर्कहरी क्षेत्र में कार्य करने वाले वैज्ञानिकों और तकनीशियनों को जल संरक्षण का विशेष प्रशिक्षण दिया जाना था।
अखिल विश्व गायत्री परिवार द्वारा जल संरक्षण हेतु चलाये गए कार्यक्रम
अखिल विश्व गायत्री परिवार ने भी जल संरक्षण हेतु कई अभियान चलाये जिसमे निर्मल गंगा अभियान, जल संरक्षण आन्दोलन, वृक्ष गंगा अभियान जैसे कार्यक्रम शामिल है. जिसमे वह सरोवरों के निर्माण से लेकर जल संसाधन और संरक्षण जैसे कार्यक्रमों को बढ़ावा देते हैं. वृक्ष गंगा अभियान के तहत गायत्री परिवार ने 1 करोड़ वृक्षारोपण का लक्ष्य रखा है।