ऋषिकेश में 21 जून को ‘अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस’ के लिये योगभ्यास
- अध्यात्मिक अनुशासन ही योग-योगी प्रेम
ऋषिकेश 17 जून। योगा धरर्णेद द्वारा गंगा मरीन ड्राईव निकट दयानन्द आश्रम पर लगभग 50 छात्रों ने 21 जून को ‘अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस’ के लिये योगभ्यास करवाया गया। योगी प्रेम ने कहा कि योग हमें आत्मा की शुद्धि के मार्ग की ओर ले जाने का प्रयास करता है। योग का मार्ग हमें सन्तोष और सत्य की ओर ले जाता है। समग्र योग को केवल शारीरिक और मानसिक अभ्यास नहीं, बल्कि मानव के सम्पूर्ण व्यक्तित्व के विकास के केंद्र के रूप में देखा जाना चाहिए।
योग हमें आत्मा की शुद्धि के मार्ग की ओर ले जाने का प्रयास करता है। योग का मार्ग हमें सन्तोष और सत्य की ओर ले जाता है। समग्र योग को केवल शारीरिक और मानसिक अभ्यास नहीं, बल्कि मानव के सम्पूर्ण व्यक्तित्व के विकास के केंद्र के रूप में देखा जाना चाहिए।
योगी प्रेम ने कहा कि भारतीय ऋषि-मुनियों की देन ‘योग’ भारत की अत्यंत प्राचीन विरासत है। इस विरासत को योगा धरर्णेद ने सुरक्षित रखा और उसे जनता के बीच जीवन्त बनाए रखा। आज योग को जीवन जीने की कला के साथ वैज्ञानिक एवं औषधि रहित चिकित्सा पद्धति के रूप में लोकप्रियता मिल रही है। उन्होंने कहा कि योग का नियमित अभ्यास हमारे अन्दर समता, समभाव और सौहार्द को बढ़ाता है। योग का लक्ष्य रोगों की रोकथाम करने के अलावा लोगों को भौतिक, मानसिक, सामाजिक, आध्यात्मिक और भावनात्मक स्तर पर सम्पूर्ण स्वास्थ्य प्रदान करना भी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जिक्र करते हुए कहा कि 21 जून को ‘अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस’ के आयोजन में भारत के साथ पूरी दुनिया में करोड़ो लोग प्रतिवर्ष विश्व कल्याण के लिए योग कर अपनी प्रतिबद्धता जाहिर करते है। उन्होंने योग के आठ अंगों की चर्चा करते हुए कहा कि यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि में पूरे जीवन का सार छिपा हुआ है। योग का उद्देश्य एक नए संसार का सृजन करना है। कहा कि स्वार्थ, अविश्वास, क्रोध, नासमझी, अधैर्य, ईर्ष्या, असहिष्णुता और तनाव से भरी इस दुनिया का कायाकल्प यदि कोई कर सकता है तो वह है योग। निश्चित रूप से आगे आने वाला युग योग का युग है। ऐसे में साप्ताहिक योग प्रशिक्षण शिविर एवं शैक्षिक कार्यशाला का आयोजन अनुकरणीय प्रयास है।
योगभ्यास में योगा टीचर अनुज, शिवानी, महेश और सजोगिता ने एक सप्ताह से योग प्रशिक्षण करा रहे है।