मॉं कात्यायनी – नवरात्रि की षष्ठम् देवी
नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। देवी का यह स्वरूप बृहस्पति ग्रह को नियंत्रित करता है। मां कात्यायनी की पूजा से बृहस्पति के दुष्प्रभाव दूर होते हैं। जीवन में संयम, धैर्य और प्रसिद्धि में वृद्धि में होती है। नवरात्रि के छठे दिन लोगों को नारंगी (ऑरेंज) रंग के कपड़े पहनने चाहिए। देवी माँ कात्यायनी की आराधना से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन शहद का भोग लगाकर मां कात्यायनी को प्रसन्न किया जाता है।
इस दिन देवी को प्रसन्न करने के लिए शहद और मीठे पान का भोग लगाया जाता हैं। सूक्ष्म जगत जो अदृश्य, अव्यक्त है, उसकी सत्ता माँ कात्यायनी चलाती हैं। वह अपने इस रूप में उन सब की सूचक हैं, जो अदृश्य या समझ के परे है। माँ कात्यायनी दिव्यता के अति गुप्त रहस्यों की प्रतीक हैं।
क्रोध किस प्रकार से सकारात्मक बल का प्रतीक है और कब यह नकारात्मक आसुरी शक्ति का प्रतीक बन जाता है ? इन दोनों में तो बहुत गहरा भेद है। कहा जाता है कि ज्ञानी का क्रोध भी हितकर और उपयोगी होता है,जबकि अज्ञानी का प्रेम भी हानिप्रद हो सकता है। इस प्रकार माँ कात्यायनी क्रोध का वो रूप है, जो सब प्रकार की नकारात्मकता को समाप्त कर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
लेख – पं. दयानंद शास्त्री, उज्जैन