’स्वच्छ उतराखण्ड, स्वच्छ भारत’ ऐतिहासिक शिखर सम्मेलन में सहभाग करने परमार्थ निकेतन पहुंच रहे देश-विदेश से अतिथिगण
श्रीरामकथा में पूज्य श्री रमेश भाई ओझा जी एवं मुफ्ती नसीहुर रहमान,ने किया सहभाग
’हम है समाधान’ शिखर सम्मेलन की तैयारियाँ पूर्ण
प्राकृतिक जीवन एवं प्राकृतिक चिंतन अपनायें -स्वामी चिदानन्द सरस्वती
स्वच्छता रूपी कथा के संदेश को आत्मसात कर हम श्री राम की पंचवटी को पुनः स्थापित कर सकते है- रमेश भाई ओझा
हम जैसा शरीर के लिये सोचते हैं वैसा ही ब्रह्मण्ड के लिये भी सोचें तो स्वच्छता कायम करना मुश्किल नहीं -मुफ्ती नसीहुर रहमान
ऋषिकेश, 2 जून। आज परमार्थ निकेतन के पावन गंगा तट पर आयोजित माँ गंगा एवं पर्यावरण संरक्षण के लिये समर्पित श्री राम कथा में पूज्य रमेश भाई ओझा जी एवं असम की धरती से पधारे माननीय मौलाना मुफ्ती नसीहुर रहमान, प्रिसपल आल जमैतुल इसलामियाँ ने सहभाग किया। दोनों विशिष्ट अतिथि परमार्थ निकेतन में माँ गंगा के तट पर आयोजित ’स्वच्छ उŸाराखण्ड, स्वच्छ भारत’ एवं ’हम है समाधान’ ऐतिहासिक शिखर सम्मेलन में सहभाग करने हेतु पधारे हैं। इस सम्मेलन में सहभाग करने के लिये भारत सहित विश्व के अनेक देशों से गणमाण्य अतिथि परमार्थ पहुंच रहे हैं।
परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज के 65 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर, 3 जून, उनके जन्मदिवस को प्रकृति एवं पर्यावरण संरक्षण को समर्पित किया जा रहा है। इस अवसर पर ऐतिहासिक शिखर सम्मेलन का आयोजन हो रहा है, जिसमें सहभाग करने हेतु प्रसिद्ध अभिनेत्री हेमामालिनी जी, प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता श्री विवेक ओबेराय जी, श्री माननीय श्री नरेन्द्र सिंह तोमर जी, केन्द्रीय ग्रामीण विकास, पंचायतीराज स्वच्छता एवं पेयजल मंत्री, भारत सरकार, श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत जी, मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड, महामहिम के के पाल जी, राज्यपाल उत्तराखण्ड, श्री परमेश्वरन अय्यर, सचिव, पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय, श्रीमती बिन्दु देव, डॉ पीÛ बीÛ सलीम, अल्पसंख्यक मंत्रालय पश्चिम बंगाल, पूज्य संत श्री रामदेव जी, योग गुरू, संस्थापक – पंतजलि योगपीठ, पूज्य स्वामी गुरूशरणानन्द जी, संत ज्ञानी गुरूबचन सिंह, मुख्य जत्थेदार अकाल तख्त स्वर्ण मन्दिर, श्री माधवप्रियदास स्वामी, अध्यक्ष – श्री स्वामी नारायण मंदिर, महामण्डलेश्वर पूज्य स्वामी महेश्वरानन्द जी, माननीय फादर पालॅ वी मुंजेली जी, कार्यकारी निदेशक क्रिश्चन इण्टरनेशलन, एचÛ ईÛ टूकसे रिनपोचेजी, लामा लोबजंग जी, आचार्य रूपचनन्द्र मुनिजी, ईमाम उमर इलियासी, अध्यक्ष – ऑल इण्डिया आर्गेनाइजेशन, भाई मोहिंदर सिंह अहुलवालिया, अध्यक्ष – गुरूनानक निष्काम सेवक जत्था यू के, एवं अनेक विशिष्ठ अतिथि सहभाग कर रहे है।
आज की दिव्य श्री रामकथा में पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने अपने संदेश में कहा कि ’हमें प्राकृतिक जीवन एवं प्राकृतिक चिंतन अपनाना होगा। जीवन में परिवर्तन तभी सम्भव है जब व्यक्ति के विचारों में परिवर्तन होता है। हम अपने दृष्टिकोण एवं विचारधारा में परिवर्तन कर कार्य-पद्धति में बदलाव ला सकते हैं जिससे समाज, संसार एवं कायनात सब कुछ बदल सकता है। हम सब साथ-साथ, हाथों में हाथ लेकर इस स्वच्छता की मुहिम में सहभाग करें। प्रदूषित होती धरती, नदियों एवं पर्यावरण के संरक्षण के लिये मिलकर प्रयत्न करें। उन्होने कहा कि हम सभी साथ होंगे तो परिवर्तन के क्षण भी पास होंगे।’
मौलाना मुफ्ती नसीहुर रहमान ने कहा कि ’ईश्वर ने जिस प्रकार शरीर की रचना की है, उसमें प्रत्येक अंग निश्चित स्थान पर लगाया है। शरीर में भोजन ग्रहण एवं निष्कासन का निश्चित स्थान होता है उसी प्रकार हमें भी धरती पर प्रदूषकों का निष्तारण निश्चित स्थान पर ही करना चाहिये। अगर शरीर के सारे अंग बिखरे हों, तो आप सुचारू रूप से कार्य नहीं कर पायेंगे और शरीर व्याधिग्रस्त हो जायेगा, उसी प्रकार धरती पर कूड़ा-कचरे को निश्चित स्थान पर डालें, यत्र तत्र नहीं फेंके अन्यथा धरती का संतुलन बिगड जायेगा और उसके परिणाम जललजे के रूप में सामने आ सकता है। शरीर, ब्रह्मण्ड का छोटा रूप है। हम जैसा शरीर के लिये सोचते हैं वैसा ही ब्रह्मण्ड के लिये सोचें तो स्वच्छता कायम हो सकती है।
पूज्य श्री रमेश भाई ओझा जी ने कहा कि कथा की सार्थकता तभी है जब श्रोता ग्रहण कर अनुकरण करें। उन्होने कहा की आप सभी प्रतिदिन श्री मुरलीधर जी महाराज के मुखारबिन्द से श्री राम कथा का श्रवण कर रहे हैं और पूज्य स्वामी श्री चिदानन्द सरस्वती जी महाराज एवं पूज्य संतों की वाणी से स्वच्छता, पर्यावरण एवं नदियों के संरक्षण का संदेश सुन रहे हैं। इस स्वच्छता रूपी कथा के संदेश को आत्मसात कर प्रस्थान करें तो शीघ्र ही हम श्री राम की पंचवटी को पुनः स्थापित कर सकते हैं।
कथा व्यास श्री मुरलीधर जी महाराज को रूद्राक्ष का पौधा भेंट किया इस पावन अवसर पर जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती जी ने सहभाग किया।