कैसा हो शीशा/दर्पण/आईना/कांच का वास्तु सम्मत उपयोग
भारतीय वास्तु शास्त्र के अनुसार दर्पण घर में सकारात्मक उर्जा को बढाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं । दर्पण के कुछ ऐसे भी फायदे हैं जिनसे आप अपने घर में धन, प्रसन्नत्ता तथा खुशियो को कई गुणा बढा सकते हो । दर्पण के द्वारा आप घर में फैली नकारात्मक उर्जा को दूर कर सकते हो एवम बिना तोड फोड किये वास्तु दोषो को भी दूर कर सकते हो । आइना कहां लगाना चाहिए और कहां नहीं इस संबंध में विद्वानों और वास्तुशास्त्रियों द्वारा कई महत्वपूर्ण बिंदू बताए गए हैं। वास्तुशास्त्र में दर्पण को उत्प्रेरक बताया गया है, जिसके द्वारा भवन में तरंगित ऊर्जा की सृष्टि सुखद अहसास कराती है। इसके उचित उपयोग द्वारा हम अनेक लाभजनक उपलब्धियां अर्जित कर सकते हैं।
दर्पण या आईना हमें हमारे व्यक्तित्व की झलक दिखाता है। सजना संवरना हर मनुष्य की सामान्य प्रवृति है।आईने के बिना अच्छे से सजने-संवारने की कल्पना भी नहीं की जा सकती। दिनभर में कितनी ही बार आप खुद को देखने के लिए दर्पण का उपयोग करते हैं, सुंदर फ्रेम में लगे हुए मिरर को घर की साज़-सज्जा के लिए बड़े चाव से बाजार से खरीद कर लाते होंगे,लेकिन क्या आप जानते है कि इसकी उपयोगिता सिर्फ देखने और सजाने भर तक ही सीमित नहीं रह जाती हैं।
घर की किस दिशा में, किस आकृति का दर्पण लगा है इसका भवन और वहां की आस-पास की ऊर्जा पर अच्छा ख़ासा प्रभाव पड़ता है। इसलिए वास्तु में इसके सही इस्तेमाल पर ज़ोर दिया जाता है। क्योंकि सही दिशा में दर्पण लगाकर यदि वास्तुदोष का निवारण किया जा सकता है, तो वहीं इसके गलत दिशा में लगे होने से नकारात्मक ऊर्जा के स्तर में वृद्धि हो जाती है जिसके कारण स्वास्थ्य एवं धन की हानि हो सकती है।
सकारात्मक ऊर्जा का हो प्रवेश
वास्तु विज्ञान के अनुसार सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह पूर्व से पश्चिम की ओर एवं उत्तर से दक्षिण की ओर रहता है। इसलिए दर्पण को हमेशा पूर्व और उत्तर वाली दीवारों पर इस प्रकार लगाना चाहिए कि देखने वाले का मुख पूर्व या उत्तर में रहे। इन दिशाओं में दर्पण लगाने से जीवन में उन्नति एवं धन लाभ के अवसर बढ़ जाते हैं। पश्चिम या दक्षिण दिशा की दीवारों पर लगे दर्पण,पूर्व और उत्तर से आ रही सकारात्मक ऊर्जाओं को रिफ्लेक्ट कर देते हैं।
शयनकक्ष (बेड़रूम) में न लगाएं आईना
शयन कक्ष में दर्पण कभी नहीं लगाएं। ऐसा करने से दाम्पत्य जीवन में विश्वास की कमी आती है। इसके साथ ही पति-पत्नी में आपसी मतभेद भी बढ़ता है एवं पति-पत्नी को कई स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां उठानी पड़ सकती हैं। पति-पत्नी दोनों को दिन भर थकान महसूस होती है,आलस्य बना रहता है। यदि ड्रेसिंग टेबल रखना ज़रूरी ही हो तो इस तरह रखें कि सोने वालों का प्रतिबिम्ब उसमें दिखाई न दे, या फिर सोने से पहले इसे ढक दें। यह भी ध्यान रहे कि जहाँ दर्पण लगा हो उसमें नकारात्मक प्रभाव को बढ़ाने वाली वस्तुओं का प्रतिबिम्ब दिखाई न पड़े।
कैसा हो बाथरूम का शीशा/दर्पण/आईना/कांच ?
फेस वॉश करने के बाद अथवा स्नान करने के बाद खुद को देखने के लिए लोग बाथरूम में दर्पण लगाते हैं। वास्तु विज्ञान के अनुसार बाथरूम में दर्पण लगाते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि दर्पण दरवाजे के ठीक सामने नहीं हो। दर्पण का काम होता है प्रवर्तन यानि रिफ्लेक्ट करना,जब हम बाथरूम में प्रवेश करते हैं तो हमारे साथ सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा दोनों ही बाथरूम में प्रवेश करती है। और जब हम सोकर उठते है तब नकारात्मक ऊर्जा की मात्रा अधिक होती है,दरवाजे के सामने दर्पण होने से हमारे साथ जो भी ऊर्जा बाथरूम में प्रवेश करती है वह वापस घर में लौट आती है। नकारात्मक प्रभाव को दूर करने के लिए बाथरूम में दर्पण इस प्रकार से लगाना चाहिए ताकि इसका रिफ्लेक्शन बाथरूम से बाहर की ओर न हो।
कैसा हो वास्तु सम्मत शीशा/दर्पण/आईना/कांच ?
ऐसा हो तो अच्छा है – साफ़, स्पष्ट एवं वास्तविक छवि दिखाई देने वाला दर्पण ही काम में लें। नुकीला, चटका हुआ या धुंधला दिखाई देने वाला दर्पण अनेक समस्याओं का कारण बन सकता है। दर्पण जितने हल्के और बड़े होंगे उनका प्रभाव उतना ही अच्छा होगा। शुभफलों में वृद्धि के लिए दीवार पर आयताकार, वर्गाकार या अष्टभुजाकार दर्पण लगाने का ही प्रयास करें।
यह रखें दर्पण/आईना/शीशा उपयोग करते समय सावधानी
भवन में नुकीले व् तेजधार वाले दर्पण नहीं लगाने चाहियें । ये हानिकारक होते है. दर्पण का टूटना अशुभ माना जाता है । ऐसी मान्यता है कि कोई मुसीबत इस दर्पण पर टल गयी है, टूटे दर्पण को तुरंत ही फेंक देना चाहिए । दर्पण को सोते समय हमेशा कपडे मे ढक कर सोना चाहिये ।
क्या है दर्पण की सही दिशा ?
वास्तुशास्त्री पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार वास्तु शास्त्र के मुताबिक ब्रह्मांड की पॉजीटिव एनर्जी हमेशा पूर्व से पश्चिम की तरफ और उत्तर से दक्षिण की तरफ चलती है। इसलिए दर्पण को हमेशा पूर्व या उत्तर की दीवार पर इस तरह लगाना चाहिए की देखने वाले का चेहरा पूर्व या उत्तर की ओर रहे। क्योंकि दक्षिण या पश्चिम की दीवारों पर लगे दर्पण , उलट दिशाओं से आ रही ऊर्जा को रिफ्लेक्ट कर देते हैं और आप नहीं चाहेंगे कि आप के घर में आ रही पॉजीटिव एनर्जी वापस लौट जाए।
जाने और समझें दर्पण/शीशा/आईने सम्बंधित वास्तु नियमों को
वैदिक वास्तुशास्त्र के हिसाब से किसी भी भवन/घर में दर्पण या आईने का बहुत महत्व होता है। आपके घर में किस दिशा में, किस आकार और आकृति का दर्पण लगा है, इसका भवन और इसके आस-पास की उर्जा पर काफी प्रभाव पड़ता है। इसलिए वास्तुशास्त्र में इसके सही इस्तेमाल पर काफी जोर दिया जाता है, क्योंकि दर्पण का इस्तेमाल किसी भी तरह की अशुभ उर्जा का मार्ग बदलने के लिए किया जाता है। वास्तुविद पण्डित दयानन्द शास्त्री जी बताते हैं कि सुख-समृद्धि के लिए सही दिशा में, उपयुक्त आकार के दर्पण का होना बहुत जरूरी है। न सिर्फ भारतीय वास्तु शास्त्र में, बल्कि चाइनीज वास्तु यानी फेंगशुई में भी दर्पण को लाभकारी माना गया है। लेकिन इसके लाभ के लिए इसका सही इस्तेमाल बहुत जरूरी है, क्योंकि गलत इस्तेमाल से नुकसान होते भी देर नहीं लगती। इसका अर्थ यह भी नहीं कि आप अपने घर या दफ्तर में लगे हर दर्पण को शक की निगाह से देखने लगें या किसी भी शीशे को घर लाने से पहले वास्तुविशेषज्ञ की सलाह लें। लेकिन अगर आप थोड़ी सी सूझबूझ और जानकारी से इसका इस्तेमाल करें तो काफी लाभ उठा सकते हैं।
– किसी भी आवासीय भवन अथवा व्यावसायिक भवन में ईशान (उत्तर-पूर्व) क्षेत्र ,उत्तर या पूर्व दीवाr में दर्पण लगाना चाहिए इसके लगाने से आय में वृद्धि होने लगती है. और व्यवसायिक सम्बन्धी बाधाए दूर होती है ।
– आवासीय भवन अथवा व्यावसायिक भवन में दक्षिण, पश्चिम, आग्नेय, वायव्य एवं नैऋत्य दिशा में दीवारों पर लगे हुए दर्पण अशुभ होते है. यदि आपके यहां इस प्रकार के दर्पण लगे हुए है, तो उन्हें तुरंत हटा देना चाहिए ।
– शयन कक्ष में यदि दर्पण लगाना है तो उत्तर या पूर्व की दीवार पर ही दर्पण लगाना चाहिए ।
– पलंग पर सो रहे पति-पत्नी को प्रतिबिंबित करने वाला दर्पण तलाक तक का कारण बन सकता है। इसलिए रात्रि के समय दर्पण दृष्टि से ओझल होना चाहिए।
– भवन में छोटी और संकुचित जगह पर दर्पण रखना चमत्कारी प्रभाव पैदा करता है।
– मकान का कोई हिस्सा असामान्य शेप का या अंधकारयुक्त हो तो वहाँ कटे या बढ़े हुए हिस्से में दर्पण लगाकर ऊर्जा को संतुलित करें
– यदि घर के बाहर इलेक्ट्रिक पोल, ऊँची इमारतें, अवांछित पेड़ या नुकीले उभार हैं और आप उनका दबाव महसूस कर रहे हैं तो उनकी तरफ पाक्वा मिरर लगाकर निदान करें
– दर्पण के संबंध में एक सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि बेड रूम में बिस्तर के ठीक सामने आइना लगाना अशुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इससे पति-पत्नी को कई स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां झेलनी पड़ती है।
– दर्पण सदैव उत्तर अथवा पूर्व दिशा की दीवार पर लगाना शुभदायक होते है।
– भवन में नुकीले व् तेजधार वाले दर्पण नहीं लगाने चाहियें। ये हानिकारक होते है ।
– यदि आपके घर के दरवाजे तक सीधी सड़क आने के कारण द्वार वेध हो रहा है और दरवाजा हटाना संभव नहीं है तो दरवाजे पर पाक्वा मिरर लगा दें। यह बेहद शक्तिशाली वास्तु प्रतीक है। अत: इसे लगाने में सावधानी रखना चाहिए।
– बिस्तर के ठीक सामने आइना होने से पति-पत्नी के वैवाहिक सम्बन्धों में भारी तनाव पैदा होता है। इसके कारण पति-पत्नी के अच्छे भले सम्बन्धों के बीच किसी तीसरे व्यक्ति का प्रवेश भी हो सकता है।
– वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में लगे दर्पण जिस कोण या दिशा में लगे होते हैं उस कोण की ऊर्जा को परावर्तित करते है ,अब अगर दर्पण सकारात्मक क्षेत्र में लगे होंगे तो सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह भवन में अधिक होगा।
-मकान का कोई हिस्सा असामान्य शेप का या अंधकारयुक्त हो तो वहाँ गोल दर्पण रखें।
-यदि घर के बाहर इलेक्ट्रिक पोल, ऊँची इमारतें, अवांछित पेड़ या नुकीले उभार हैं और आप उनका दबाव महसूस कर रहे हैं तो उनकी तरफ उत्तल दर्पण रखें।
-किसी भी दीवार में आईना लगाते वक्त इस बात का ध्यान रखें कि वह न एकदम नीचे हो और न ही अधिक ऊपर अन्यथा परिवार के सदस्यों को सिर दर्द हो सकता है।
-यदि बेडरूम के ठीक बिस्तर के सामने दर्पण लगा रखा है तो उसे फौरन हटा दें। यहाँ दर्पण की उपस्थिति वैवाहिक और पारस्परिक प्रेम को तबाह कर सकती है।
-मकान के ईशान कोण में उत्तर या पूर्व की दीवार पर स्थित वॉश बेसिन के ऊपर दर्पण भी लगाएँ यह शुभ फलदायक है।
-दर्पण के नकारात्मक प्रभाव को कम करने के लिए उन्हें ढक कर रखना चाहिए अथवा इन्हें अलमारियों के अन्दर की ओर लगवाने चाहिए।
-मकान के ईशान कोण में उत्तर या पूर्व की दीवार पर स्थित वॉश बेसिन के ऊपर दर्पण लगाएँ यह शुभ फलदायक है।
शीशा/दर्पण/आईना वैसे तो एक बहुत छोटी चीज़ है, लेकिन आपके घर मे सकारात्मक ऊर्जा लाने मे यह महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।पण्डित दयानन्द शास्त्री जी ने बताया कि वास्तु के हिसाब से यह एक महत्त्वपूर्ण चीज़ है। यह सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा को प्रभावित कर सकता है। वैसे तो, शीशे का इस्तेमाल चेहरा देखने के लिए किया जाता है, लेकिन कुछ ही लोग इसके नकारात्मक और सकारात्मक ऊर्जा वाले प्रभावों को जानते हैं।
इसके उपयोग द्वारा जहां वास्तुदोष दूर किया जा सकता है ठीक वैसे ही इसके गलत प्रयोग से वास्तु दोष पैदा भी हो सकते हैं। जिसके कारण धन और स्वास्थ्य की हानि होती है। वास्तुशास्त्र में दर्पण को उत्प्रेरक बताया गया है, जिसके द्वारा भवन में तरंगित ऊर्जा की सृष्टि सुखद अहसास कराती है। इसके उचित उपयोग द्वारा हम अनेक लाभजनक उपलब्धियां अर्जित कर सकते हैं।
दर्पण या आइना सजने व संवरने के लिये प्रयोग किया जाता हैं । आईना हमारे दैनिक जीवन में प्रयोग होता हैं । दिन में कई बार हम खुद को आइने में देखते हैं। इसी वजह से आइना ऐसी जगह लगाया जाता है जहां से हम आसानी से खुद को देख सके। आइने का संजने व संवरने के अलावा भी अत्यधिक मह्त्व हैं ।
आइना कहां लगाना चाहिए और कहां नहीं इस संबंध में विद्वानों और वास्तुशास्त्रियों द्वारा कई महत्वपूर्ण बिंदू बताए गए हैं।
वास्तु शास्त्र के हिसाब से शीशे ऊर्जा को रोक भी सकते हैं और बिगाड़ भी सकते हैं| इसलिए एक सुकूनभरी और शांतिपूर्ण ज़िंदग़ी जीने के लिए शीशे को सही जगह और दिशा मे लगाना ज़रुरी है | घर में शीशे की जगह और दिशा मे साधारण बदलाव करने से धन में वृद्धि हो सकती है। शीशे के उचित प्रयोग द्वारा सकारात्मक प्रभाव कैसे बढ़ाएं, आइये जाने पंडित दयानन्द शास्त्री जी से–
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अगर घर के लॉकर के सामने शीशे लगाए जाएँ तो इससे धन दो गुना हो सकता है।
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उत्तर दिशा में शीशा लगाना लाभकारी होता है। क्योंकि, उत्तर दिशा धन के देवता कुबेर का केंद्र होती है, उस दिशा को ऊ र्जावान और सकारात्मक रखना ज़रूरी है।
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दुकान और शोरूम के ईशान और मध्य में छत पर दर्पण नहीं लगाना चाहिए। दूसरे भागों में दर्पण लगाने से आय में वृद्धि होती है।
यदि किसी कारण से आपके भवन और व्यवसाय स्थल का ईशान कोण नैऋत्य कोण से ऊंचा है, तो ईशान कोण की ओर फर्श में आधे से एक फुट चौड़ा आईना या दर्पण लगाने से लाभ होने लगेगा।
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धन को बढाने मे मदद करने वाली ऊर्जा को बनाए रखने के लिए कोई भी बिज़नेस मैन अपनी तिजोरी (कैश बॉक्स) के पास शीशा लगा सकते हैं। ऐसा करने से न केवल धन लाभ होगा बल्कि कस्टमर्स भी बढ़ेंगे।
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अच्छी सेहत के लिए, बाथरूम में शीशे पूर्व या उत्तरी दीवारों पर होने चाहिए। ऐसा करने से नकारात्मकता को दूर करने और सजीवता लाने में मदद मिलती है।
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ड्रेसिंग रूम में शीशों को ज़मीन से कम से कम चार से पाँच फुट ऊपर रखना चाहिए।
लेख – पं. दयानंद शास्त्री, वास्तुशास्त्री एवं ज्योतिषाचार्य (+91 90393 90067)