दुनियाभर में हर साल 7 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है। इस तरह के दिवस को मनाने का मकसद लोगों को उनकी सेहत के प्रति जागरूक करना व आम लोगों को अच्छी सेहत के बारे में बताना होता है। आज हम आपको भारत के प्राचीन चिकित्सकों से रूबरू कराएँगे। तो चलिए जानते हैं-
आयुर्वेद विश्व की प्राचीनतम चिकित्सा प्रणालियों में से एक है। भारतीय वेदों और प्राचीन हस्तलेखों में भी धातुकर्म, बीजगणित, खगोल विज्ञान, गणित, वास्तुकला एवं ज्योतिष शास्त्र के बारे में सूचना थी और यह जानकारी उस वक्त से थी, जब पश्चिमी देशों को इनके बारे में पता तक नहीं था
अश्विनीकुमार, धन्वंतरि, दिवोदास काशिराज, नकुल, सहदेव, अर्कि, च्यवन, जनक, बुध, जावाल, जाजलि, पैल, करथ, अगस्त, अत्रि तथा उनके छः शिष्य अग्निवेश, भेड़, जातूकर्ण, पराशर, सीरपाणि हारीत, सुश्रुत और चरक जैसे महान विभुतियां आय़ुर्वेद के आचार्य रह चुके है। जिन्होने भारतीय आयुर्वेद चिकित्सा को एक नया आयाम दिया।
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पतंजलि एक महान चिकित्सक
योगसूत्र के रचनाकार पतंजलि काशी में ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी में चर्चा में थे। पतंजलि के लिखे हुए 3 प्रमुख ग्रंथ मिलते हैं- योगसूत्र, पाणिनी के अष्टाध्यायी पर भाष्य और आयुर्वेद पर ग्रंथ।
पतंजलि को भारत का मनोवैज्ञानिक और चिकित्सक कहा जाता है। पतंजलि ने योगशास्त्र को पहली दफे व्यवस्था दी और उसे चिकित्सा और मनोविज्ञान से जोड़ा। आज दुनियाभर में योग से लोग लाभ पा रहे हैं
पतंजलि एक महान चिकित्सक थे। पतंजलि रसायन विद्या के विशिष्ट आचार्य थे- अभ्रक, विंदास, धातुयोग और लौहशास्त्र इनकी देन है। पतंजलि संभवत: पुष्यमित्र शुंग (195-142 ईपू) के शासनकाल में थे। राजा भोज ने इन्हें तन के साथ मन का भी चिकित्सक कहा है।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्था (एम्स) ने 5 वर्षों के अपने शोध का निष्कर्ष निकाला कि योगसाधना से कर्करोग से मुक्ति पाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि योगसाधना से कर्करोग प्रतिबंधित होता है।
सुश्रुत प्राचीन भारत के शल्य चिकित्सक
सुश्रुत प्राचीन भारत के प्रसिद्ध चिकित्साशास्त्री तथा शल्य चिकित्सक थे। इन्हें “शल्य चिकित्सा का जनक” माना जाता है। सुश्रुत ने प्रसिद्ध चिकित्सकीय ग्रंथ ‘सुश्रुत संहिता’ की रचना की थी। इस ग्रंथ में शल्य क्रियाओं के लिए आवश्यक यंत्रों (साधनों) तथा शस्त्रों (उपकरणों) आदि का विस्तार से वर्णन किया गया है।
सुश्रुत ने कॉस्मेटिक सर्जरी में विशेष निपुणता हासिल कर ली थी। सुश्रुत नेत्र शल्य चिकित्सा भी करते थे। ‘सुश्रुत संहिता’ में मोतियाबिंद के ऑपरेशन करने की विधि को विस्तार से बताया गया है। उन्हें शल्य क्रिया द्वारा प्रसव कराने का भी ज्ञान था। सुश्रुत को टूटी हुई हड्डी का पता लगाने और उनको जोड़ने में विशेषज्ञता प्राप्त थी। शल्य क्रिया के दौरान होने वाले दर्द को कम करने के लिए वे मद्यपान या विशेष औषधियाँ देते थे। सुश्रुत श्रेष्ठ शल्य चिकित्सक होने के साथ-साथ श्रेष्ठ शिक्षक भी थे।
आचार्य चरक आयुर्वेद के ख्यातिप्राप्त विद्वान
आयुर्वेद के आचार्य महर्षि चरक की गणना भारतीय औषधि विज्ञान के मूल प्रवर्तकों में होती है। आचार्य चरक आयुर्वेद के ख्यातिप्राप्त विद्वान् थे। उन्होंने आयुर्वेद के प्रमुख ग्रन्थों और उसके ज्ञान को इकट्ठा करके उसका संकलन किया। चरक ने भ्रमण करके चिकित्सकों के साथ बैठकें की, विचार एकत्र किए और सिद्धांतों को प्रतिपादित किया और उसे पढ़ाई-लिखाई के योग्य बनाया। ‘चरक संहिता’ आठ भागों में विभाजित है और इसमें 120 अध्याय हैं। इसमें आयुर्वेद के सभी सिद्धांत हैं और जो इसमें नहीं है, वह कहीं नहीं है। यह आयुर्वेद के सिद्धांत का पूर्ण ग्रंथ है।
भगवान धन्वंतरि वैद्यक शास्त्र के देवता
आयुर्वेद जगत के प्रणेता तथा वैद्यक शास्त्र के देवता भगवान धन्वंतरि आरोग्य, सेहत, आयु और तेज के आराध्य देव हैं। सर्वभय व सर्वरोग नाशक देवचिकित्सक आरोग्यदेव धन्वंतरि प्राचीन भारत के एक महान चिकित्सक थे जिन्हें देव पद प्राप्त हुआ था ।
पौराणिक व धार्मिक मान्यतानुसार भगवान विष्णु के अवतार समझे जाने वाले धन्वन्तरी का पृथ्वी लोक में अवतरण समुद्र मंथन के समय हुआ था।
शरद पूर्णिमा को चंद्रमा, कार्तिक द्वादशी को कामधेनु गाय, त्रयोदशी को धन्वंतरी, चतुर्दशी को काली माता और अमावस्या को भगवती लक्ष्मी जी का सागर से प्रादुर्भाव हुआ था। धन्वन्तरी ने इसी दिन आयुर्वेद का भी प्रादुर्भाव किया था ।
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