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पितृ पक्ष 2020 : जानिए श्राद्ध का महत्व, कब से कबतक हैं पितृ पक्ष

हर साल पितृ पक्ष के समय पर पूर्वजों के लिए श्राद्ध कर्म किया जाता है। इस अवधि में विशेष तौर पर पिंडदान, तर्पण, हवन और अन्न दान किया जाता है। यह समय पूर्ण रूप से पितरों को समर्पित माना जाता है। श्राद्ध करने से पितरों को शांति मिलती है और परिवार पर उनका आशीर्वाद बना रहता है। ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष में जो लोग अपने पितरों का तर्पण नहीं कराते हैं उन्हें पितृदोष लगता है। जानते हैं इस साल पितृपक्ष कौन सी तिथि से लगने वाला है और इस बार कौन सा विशेष संयोग बन रहा है।



पितृ पक्ष पर विशेष संयोग

हिंदू धर्म में पितृ पक्ष काफी महत्वपूर्ण माना गया है। इस बार 19 साल बाद ऐसा संयोग बन रहा है कि पितृ पक्ष और नवरात्र के बीच में एक महीने का अंतर रहेगा। दरअसल पितृ पक्ष के बाद अधिकमास लग जाएगा और इस वजह से नवरात्रि का पावन पर्व 17 अक्टूबर से शुरू होगा।

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श्राद्ध का महत्व

पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध किया जाता है। यहां श्राद्ध का अर्थ श्रद्धापूर्वक अपने पितरों के प्रति सम्मान और आस्था प्रकट करने से है। पितृ पक्ष के समय में लोग अपने पूर्वजों को याद करते हैं और उनका आशीर्वाद पाने के लिए प्रार्थना करते हैं। 15 दिन की इस अवधि को श्राद्ध पक्ष भी कहा जाता है। वैदिक ज्योतिष के मुताबिक जब कन्या राशि में सूर्य का प्रवेश होता है तब उसी दौरान पितृ पक्ष मनाया जाता है। भारतीय धर्मशास्त्र एवं कर्मकाण्ड के अनुसार पितर देव स्वरूप होते हैं।

श्राद्ध सारिणी

2 सितंबर- पितृ पक्ष श्राद्ध आरंभ- पूर्णिमा- बुधवार
3 सितंबर- प्रतिपदा का श्राद्ध
4 सितंबर- द्वितीया का श्राद्ध
5 सितंबर- तृतीया का श्राद्ध
6 सितंबर- चतुर्थी का श्राद्ध
7 सितंबर- पंचमी का श्राद्ध
8 सितंबर-षष्ठी का श्राद्ध
9 सितंबर- सप्तमी का श्राद्ध
10 सितंबर- अष्टमी का श्राद्ध
11 सितंबर- नवमी का श्राद्ध
12 सितंबर- दशमी का श्राद्ध
13 सितंबर- एकादशी का श्राद्ध
14 सितंबर- द्वादशी का श्राद्ध
15 सितंबर- त्रयोदशी का श्राद्ध
16 सितंबर- चतुर्दशी का श्राद्ध
17 सितंबर- सर्वपितृ श्राद्ध

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Post By Shweta