झूलेलाल जयंती 2025: सम्पूर्ण जानकारी
झूलेलाल जयंती(Jhulelal Jayanti) सिंधी समुदाय के आराध्य देव भगवान झूलेलाल के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में मनाई जाती है। भगवान झूलेलाल(Jhulelal Jayanti) को सिंधी समाज के संरक्षक और सिंधु नदी के देवता के रूप में पूजा जाता है। यह पर्व चेटीचंड के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि यह चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है, जो हिंदू नववर्ष के समय आता है।
झूलेलाल जयंती/चेटी चण्ड में 30 मार्च 2025, रविवार को मनाई जाएगी।
- चेटी चण्ड मुहूर्त – 06:13 पी एम से 07:17 पी एम तक
- अवधि – 01 घण्टा 03 मिनट्स
- प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ – 29 मार्च, 2025 को 04:27 पी एम बजे से
- प्रतिपदा तिथि समाप्त – 30 मार्च, 2025 को 12:49 पी एम बजे तक
भगवान झूलेलाल का जीवन परिचय
जन्म:
- झूलेलाल का जन्म सिंध प्रदेश (वर्तमान पाकिस्तान) के नसरपुर नगर में हुआ था।
- उनका जन्म लगभग 10वीं या 11वीं शताब्दी में हुआ माना जाता है।
- उनका जन्म चेटीचंड (चैत्र शुक्ल द्वितीया) के दिन हुआ था।
संघर्ष और चमत्कार:
- उस समय सिंध क्षेत्र में एक मुस्लिम शासक मिर्खशाह अत्याचार कर रहा था और हिंदुओं को जबरन इस्लाम स्वीकार करने के लिए मजबूर कर रहा था।
- भगवान झूलेलाल ने सिंधु नदी के जल देवता वरुण देव के अवतार के रूप में जन्म लिया और अपने चमत्कारों से मिर्खशाह को पराजित किया।
- झूलेलाल जी ने “उम्मीद और विश्वास” का संदेश दिया और हिंदू-मुस्लिम एकता को बढ़ावा दिया।
झूलेलाल की उपासना:
- झूलेलाल को ‘उदयचंद’, ‘अमरलाल’, ‘ख्वाजा खिजर’, और ‘दरियालाल’ के नाम से भी जाना जाता है।
- वे मछली पर विराजमान, जलधारा से उत्पन्न, सफेद घोड़े पर सवार और दिव्य तेजस्वी रूप में पूजे जाते हैं।
- उनकी आराधना करते समय “झूलेलाल बीरो, पाहिंजो वारो” (झूलेलाल भगवान हमारे रक्षक हैं) का उद्घोष किया जाता है।
चेटीचंड/झूलेलाल जयंती का महत्व
सिंधी समुदाय के लिए नववर्ष का आरंभ:
चेटीचंड केवल भगवान झूलेलाल का जन्मदिन ही नहीं बल्कि सिंधी नववर्ष का भी प्रतीक है।धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव:
इस दिन सिंधी समाज के लोग पूजा-पाठ, भजन-कीर्तन, शोभायात्रा (झांकी), भंडारे और सत्संग का आयोजन करते हैं।जल के महत्व की पूजा:
झूलेलाल जी को जल देवता का अवतार माना जाता है, इसलिए जल से जुड़ी पूजा की जाती है और इसे जीवन के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।
झूलेलाल जयंती कैसे मनाई जाती है?
- झूलेलाल की मूर्ति या चित्र की पूजा
- ‘बहाना साहिब’ की प्रथा – पानी से भरे कलश में मीठे चावल, नारियल और फल अर्पित किए जाते हैं।
- झांकी और शोभायात्रा निकाली जाती है
- सिंधी लोक गीत और भजन गाए जाते हैं
- अमर ज्योति और आरती की जाती है
- भंडारे और प्रसाद का वितरण किया जाता है
- सामुदायिक सेवा और दान पुण्य किया जाता है
महत्वपूर्ण बातें
- झूलेलाल का संदेश है “सत्यम, शिवम, सुंदरम”।
- झूलेलाल के अनुयायी उन्हें “दारियलाल” भी कहते हैं।
- सिंधी समाज के प्रमुख ग्रंथों में ‘श्री झूलेलाल चरित्र’ और ‘झूलेलाल नामों’ प्रसिद्ध हैं।
- झूलेलाल की जयंती पर सिंधी समाज दुनिया भर में उल्लास के साथ इसे मनाता है, विशेषकर भारत और पाकिस्तान में।
- यह पर्व हमें धार्मिक सहिष्णुता, जल संरक्षण, प्रेम और भाईचारे का संदेश देता है।
~ रिलीजन वर्ल्ड ब्यूरो